- आल्हा छन्द - कमलेश वर्मा
"सोनाखान के वीर"
सत्रह सौ पंचनबे सन मा, झूम उठिस बड़ सोनाखान।
रामराय घर जनम धरिन जी, हमर राज के बड़का शान।1।
मातु पिता मन खुशी मनावत, नारायण सिंह धर लिन नाम।
निडर साहसी बचपन ले वो, पूजय देवता बिहना शाम।2।
जमींदार बन वो हा आघू, बिकट करिस जी जनकल्यान।
पूरा कोशिश सदा करिस वो, झन राहय कोनो परशान ।3।
जब अकाल अउ सूखा पड़ गिस,सन छप्पन के घटना जान।
तब जनता मा बँटवा दिस वो, अपन सबो कोठी के धान।4।
तभो बहुत झन भूख-प्यास ले, करत रिहिन हे चीख-पुकार।
लोगन संगे नारायण तब, गिस व्यापारी माखन- द्वार।5।
फेर सेठ के दिल नइ पिघलिस, नइ दिस वोहर धान उधार।
तब नारायण सिंह हा बोलिस, सबो लूट लेवव भंडार।6।
घटना पाछू माखन पहुँचिस, अंगरेज इलियट के तीर।
मोर लूट लिन कोठी साहब, मनखे अउ नारायण वीर।7।
फेर पकड़ के नारायण ला, अंगरेज मन भेजिन जेल।
तोड़ जेल ला वोहर निकलिस, करके बड़का सुग्घर खेल।8।
वापिस सोनाखान पहुँच के, कर लिस वो सेना तैयार।
अंगरेज मन संग युद्ध मा, सेना भारी करिस प्रहार।9।
चलिस सरासर बान धनुष ले, अउ होइस भाला ले वार।
कैप्टन स्मिथ के दल कोती जी, मच गिस बिक्कट हाहाकार।10।
फेर अंत मा घमासान के, बंदी बनगे वीर महान।
चलिस मुकदमा झूठ-कपट ले, देशद्रोह ला कारन मान।11।
नारायण ला सजा सुना दिस, फाँसी दे के ले बर जान।
रइपुर के जय स्तंभ चौक मा, दे दिस योद्धा हा बलिदान।12।
अपन प्रान ला देके वोहर, रख लिस बड़ माटी के मान।
जुग-जुग बर अम्मर होगे जी, लाँघन-भूखन के भगवान।13।
सन संतावन के ये घटना, छागे पूरा हिन्दुस्तान।
जनता मन हा जागिन भारी, आजादी बर दिन सब ध्यान।14।
नारायण सिंह के भुइँया ला, सरग सँही देवव सम्मान।
बार-बार मैं मूड़ नवावँव,पावन माटी सोनाखान।15।
रचना - कमलेश कुमार वर्मा
व्याख्याता, भिम्भौरी
बेरला,बेमेतरा (छत्तीसगढ़)
मो.-9009110792
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(2) आल्हा छन्द - नमेंद्र कुमार गजेंद्र
"वीर नारायण सिंह"
रामराय के घर मा जन्मे , बालक संतावन मा एक।
नारायण बिंझवार नाम के , सुन लव सुग्घर गाथा नेक ।।
अंग्रेजन सन लोहा लेवत , मन मा राखिस भारी धीर।
माटी के नारायण बेटा , माटी बर लड़ बनगे वीर ।।
वो सिंघगढ़ के राजा बेटा , जेखर नाम रहिस बिंझवार।
परजा बर बघवा सन लड़गे, हाथ बनिस वोकर तलवार ।।
बहादुरी के सुन के गाथा , अंग्रेजन दे नामे वीर।
वीर लगे जे नारायण तब , फैले गाथा जमुना तीर ।।
जमाखोर के अन्न लूट के, जनता ला दे दिस वो बाँट।
लोगन कोनो भूख मरे झन, बइठे सोचे घर के आँट ।।
बस्तर के जब नरनारी ला , नारायण दे रहिस सकेल।
अंग्रेजन मन के माथा ले , रहिस बोहाये भारी तेल ।।
हँसिया साबर धर के परजा , नारायण सँग हो तैयार।
माटी के खातिर सब लड़गें , भेजिन सब गोरा यम द्वार ।।
बना आदिवासी के सेना , खड़े रहिस बघवा कस वीर।
एक झपट्टा भर वो मारे , छाती सबके देवय चीर ।।
आजादी के बन वो नायक , भरे रहिस भारी हुंकार।
कुकुर बिलइ कस अंग्रेजन मन , भागन लागिन सुन चित्कार ।।
शेर गोंडवाना बस्तर के , आजादी के योद्धा आय।
काँट भोंग के अंग्रेजन ला , अपन राज ले हवय भगाय ।।
बघवा ला पहिना के बेंड़ी , अंग्रेजन चौड़ा कर माथ।
रइपुर के जय स्तंभ चौक मा , फाँसी दे दिस बाँधे हाथ ।।
रचनाकार-नेमेन्द्र कुमार गजेन्द्र
ग्राम-हल्दी(गुंडरदेही) जिला-बालोद
मोबा.8225912350
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(3) आल्हा छन्द - विरेन्द्र कुमार साहू
"वीर नारायण सिंह"
नारायण सिंह धाकड़ चेलिक , बइरी बर सँउहे यमदूत।
लड़िस लड़ाई स्वतंत्रता के , माटी हितवा वीर सपूत।1।
जब जब बइरी मन आ-आके , करे रहिन भारी अतलंग।
पानी पसिया देके भिड़गे , रन मा वोहर बइरी संग।2।
रामसाय के बघवा बेटा , लइका रहय घात के ऊँच।
पोटा काँपय बइरी मनके , रेंगय बीस हाथ ले घूँच।3।
बाँधे पागा लाली फेंटा , सादा धोती उनकर शान।
हाथ म पहिरे चाँदी चूरा , सोना-बारी सोहे कान।4।
रहय रोठ बंदूक पीठ मा , कनिहा मा धरहा तलवार।
बउरे इनला सदा वीर हा ,केवल खातिर पर उपकार।5।
छंदकार : विरेन्द्र कुमार साहू , ग्राम -.बोड़राबाँधा (राजिम), जिला - गरियाबंद (छ.ग.) 9993690899
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(4) आल्हा छंद - श्लेष चन्द्राकर
"वीर नारायण सिंह"
महावीर नारायण सिंह ला, रिहिस देश ले अब्बड़ प्यार।
लड़िस लड़ाई आजादी के, आँखी मा भरके अंगार।।
जन के हक मारय अँगरेजन, अपन भरयँ जी उन गोदाम।
काम करावँय घात रात दिन, अउ देवँय गा कमती दाम।
दिन-दिन जब अँगरेजन मन के, बढ़त रिहिस हे अत्याचार।
तब विरोध मा आघू आइस, नारायण हा धर तलवार।।
कभू गुलामी के जिनगी हा, उन ला गा नइ आइस रास।
सबो आदिवासी ल सकेलिन, अपन बनाइन सेना खास।।
नारायण हुंकार भरिस हे, सबो उठाइस तब हथियार।
लड़िस हवँय गोरा मन सन जी, ओमन माँगे बर अधिकार।।
जुलुम देख के मनखे ऊपर, अब्बड़ खउलय सिंह के खून।
देख वीर ला गोरा मन के, गिल्ला हो जावँय पतलून।।
रिहिस हवय नारायण सिंह हा, ऊँचा-पूरा धाकड़ वीर।
उठा-उठा के ठाढ़ पटक के, बैरी मन ला देवय चीर।।
जब दहाड़ बघवा कस मारय, बने-बने के जी थर्राय।
प्रान बचाये बर बैरी मन, रुखराई के बीच लुकाय।।
खच खच खच तलवार चलावय, मारय सर सर गा ओ तीर।
अँगरेजन के सैनिक मन हा, उनकर आघू माँगय नीर।।
रिहिन वीर नारायण सच्चा, भारत माता के जी लाल।
करे रिहिन सन संतावन मा, अँगरेजन के बाराहाल।।
छंदकार - श्लेष चन्द्राकर,
पता - खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, महासमुन्द (छत्तीसगढ़)
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(5) आल्हा छंद - महेन्द्र देवांगन माटी
"वीर नारायण सिंह"
रामराय के घर मा आइस , भारत माता के वो लाल।
ढोल नँगाड़ा ताँसा बाजे , अँगरेजन के बनगे काल।।
लइका मन सँग खेलय कूदे , कभू नहीं मानिस वो हार।
भाला बरछी तीर चलावै , कोनों नइ पावय गा पार।।
जंगल झाड़ी पर्वत घाटी , घोड़ा चढ़ के वोहर जाय।
वोकर रहय अचूक निशाना , बैरी मन ला मार गिराय।।
नारायण सिंह नाम ल सुन के , अँगरेजन मन बड़ थर्रांय।
पोटा काँपय गोरा मन के , जंगल झाड़ी भाग लुकाँय।।
जब जब अत्याचार बढ़य जी , निकल जाय ले के तलवार ।
गाजर मूली जइसे काटे , मच जाये गा हाहाकार ।।
खटखट खट तलवार चलाये , सर सर सर सर तीर कमान ।
लाश उपर गा लाश गिराये , बैरी के नइ बाँचे जान ।।
सन छप्पन अंकाल परिस तब , जनता बर माँगीस अनाज ।
जमाखोर माखन बैपारी , नइ राखिस गा वोकर लाज ।।
आगी कस बरगे नारायण , लूट डरिस जम्मो गोदाम ।
सब जनता मा बाँटिस वोहर , कर दिस ओकर काम तमाम।।
चालाकी ले अँगरेजन मन , नारायण ला डारिस जेल।
देश द्रोह आरोप लगा के , खेलिस हावय घातक खेल।।
दस दिसम्बर संतावन मा , बीच रायपुर चौंरा तीर।
हाँसत हाँसत फँदा चूम के , झुलगे फाँसी माटी वीर ।।
छंदकार - महेन्द्र देवांगन "माटी"
पंडरिया (कबीरधाम) छत्तीसगढ़
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(6) कुकुभ छंद गीत-श्रीमती आशा आजाद
छत्तीसगढ़ म जनमिस हीरा, वीर नरायण कहलावै।
सच्चा सेनानी ओ राहिन,भारत मा गुन ला गावै।।
अंग्रेज़ी सासन ले जूझिन,अबड़ रहिन जी ओ दानी।
कुर्रूपाट मा जनम लिहिन जी,करिन देश बर अगवानी।
बिंझवार परिवार के बेटा,आज माथ ला चमकावै।
छत्तीसगढ़ म जनमिस हीरा,वीर नरायण कहलावै।।
नरभक्षी ओ शेर ल मारिन,ओखर पढ़लौ सब गाथा ।
अमर वीर के कुर्बानी ले,भारत के चमकिस माथा।
डरिस नही अंतस मन ले ओ,साहस सबके मन भावै।
छत्तीसगढ़ म जनमिस हीरा,वीर नरायण कहलावै।।
बहादुरी के अब्बड़ किस्सा,देश प्रेम अउ कुर्बानी।
ब्रिटिश राज हा मान बढ़ाइस,पदवी दिन आनी बानी।
जयस्तंभ के चौक म फाँसी,तोप तान के उड़वावै।
छत्तीसगढ़ म जनमिस हीरा,वीर नरायण कहलावै।।
बनिन स्वतंत्रता संग्रामी,याद रही ये बलिदानी।
छत्तीसगढ़ म अमर नाव हे,आज दिवस ला सब मानी।
हिरदे ले परनाम करौ जी,अइसन हीरा नइ आवै।
छत्तीसगढ़ म जनमिस हीरा,वीर नरायण कहलावै।।
छंदकार-श्रीमती आशा आजाद
पता-मानिकपुर कोरबा छत्तीसगढ़
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(7) सरसी छंद - बोधन राम निषाद
वीर नरायन जनम धरिन हे, माटी सोना खान।
जंगल झाड़ी लड़िन लड़ाई, होके बड़े सुजान।।
जमीदारी के बोझा बोहे, जनता ला सुख देय।
ओखर हक बर काम करे वो, बैरी लोहा लेय।।
अठरा सौ सन् सन्तावन मा, लड़े शहीद कहाय।
वीर नरायन बेटा माँ के, छत्तीसगढ़ ल भाय।।
छंदकार-बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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आत्मा वीर नारायण के(लावणी छंद) दुख पीरा हा हमर राज मा,जस के तस हे जन जन के। देख कचोटत होही आत्मा,शूरवीर नारायन के। जे मन के खातिर लड़ मरगे,ते मन बुड़गे स्वारथ मा। तोर मोर कहि लड़त मरत हे, काँटा बोवत हे पथ मा। कोन करे अब सेवा पर के,माटी के खाँटी बनके। देख कचोटत होही आत्मा,शूरवीर नारायन के।
अधमी सँग मा अधमी बनके,माई पिला सिरावत हे। पइसा आघू घुटना टेकत,गरब गुमान गिरावत हे। परदेशी के पाँव पखारय,अपने बर ठाढ़े तन के। देख कचोटत होही आत्मा,शूरवीर नारायन के।
बाप नाँव ला बेटा बोरे, महतारी तक ला छोड़े। राज धरम बर का लड़ही जे,भाई बर खँचका कोड़े। गुन गियान के अता पता नइ, गरब करत हे वो धन के। देख कचोटत होही आत्मा,शूरवीर नारायन के।
लाँघन ला लोटा भर पानी,लटपट मा मिल पावत हे। कइसे जिनगी जिये बिचारा,रो रो पेट ठठावत हे। अपने होगे अत्याचारी,मुटका मारत हे हनके। देख कचोटत होही आत्मा,शूरवीर नारायन के।
नेता बयपारी मन गरजे,अँगरेजन जइसन भारी। कोन बने बेटा बलिदानी,दुख के बोहय अब धारी। गद्दी ला गद्दार पोटारे, करत हवय कारज मनके। देख कचोटत होही आत्मा,शूरवीर नारायन के।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया" बाल्को,कोरबा(छग)
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आत्मा वीर नारायण के(लावणी छंद) दुख पीरा हा हमर राज मा,जस के तस हे जन जन के। देख कचोटत होही आत्मा,शूरवीर नारायन के। जे मन के खातिर लड़ मरगे,ते मन बुड़गे स्वारथ मा। तोर मोर कहि लड़त मरत हे, काँटा बोवत हे पथ मा। कोन करे अब सेवा पर के,माटी के खाँटी बनके। देख कचोटत होही आत्मा,शूरवीर नारायन के।
अधमी सँग मा अधमी बनके,माई पिला सिरावत हे। पइसा आघू घुटना टेकत,गरब गुमान गिरावत हे। परदेशी के पाँव पखारय,अपने बर ठाढ़े तन के। देख कचोटत होही आत्मा,शूरवीर नारायन के।
बाप नाँव ला बेटा बोरे, महतारी तक ला छोड़े। राज धरम बर का लड़ही जे,भाई बर खँचका कोड़े। गुन गियान के अता पता नइ, गरब करत हे वो धन के। देख कचोटत होही आत्मा,शूरवीर नारायन के।
लाँघन ला लोटा भर पानी,लटपट मा मिल पावत हे। कइसे जिनगी जिये बिचारा,रो रो पेट ठठावत हे। अपने होगे अत्याचारी,मुटका मारत हे हनके। देख कचोटत होही आत्मा,शूरवीर नारायन के।
नेता बयपारी मन गरजे,अँगरेजन जइसन भारी। कोन बने बेटा बलिदानी,दुख के बोहय अब धारी। गद्दी ला गद्दार पोटारे, करत हवय कारज मनके। देख कचोटत होही आत्मा,शूरवीर नारायन के।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया" बाल्को,कोरबा(छग)
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सपूत वीर नारायण सिंह जी ला सादर छंद मय श्रद्धांजलि
ReplyDeleteशत् शत् नमन
जय शहीद वीर नारायण के,छत्तीसगढ़ के सान🙏🙏💐
ReplyDeleteअमर शहीद वीरनारायण सिंह ल शत शत नमन।उँखर सम्मान म सुग्घर सुग्घर शब्द फूल ले गूँथे रचना माला भावविभोर करत हे...
ReplyDeleteछत्तीसगढ़ महतारी के वीर सपूत ला श्रद्धांजलि देवत छंद खजाना मा सकलाये जम्मों छंदमय श्रद्धासुमन अनमोल हें।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई।
सुघ्घर सुघ्घर छंद माला सिरजाय हे भाई बहिनी मन
ReplyDeleteसबो झन ला बहुत बहुत बधाई
जम्मों छंदकार मन ला हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसादर बधाई,आप सबला
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteशहीद वीर नारायण सिंह जी ल बड़ सुग्घर अकन छंदमय श्रद्धांजली,एक से बढ़के एक रचना बर आप मन ला बधाई
ReplyDelete