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Monday, December 16, 2019

सार छंद-विषय-गौ माता(नेमेंद्र)

सार छंद-विषय-गौ माता(निबंध)

गाँव दुवारी घर अउ बारी , हावय जी गौ माता।
जम्मो देवी देव समाये , कामधेनु फल दाता।।

नाम बहुत माता के हावय , कामधेनु मन भावय।
माता सेवा जउन करे वो , जीवन भर सुख पावय।।

पानी पसिया पीके दाई , पैरा काँदी खावय।
बछड़ा बाँटा सबो दूध ला , हमला देवत जावय।।

दूध बनत हे दही मही घी , गजब बिटामिन वाला।
छोड़त लोगन मन सब येला , खावत काला काला।

गोड़ चार अउ सींग दुई हे , आँख कान दू हावय।
एक पूँछ अउ एक हवे मुँह , गौ घर पूजे जावय।।

गोबर येखर छेना बनथे , लगे मूत्र गंगा जल।
चमड़ी बनथे मांदर तबला,करै सबो के बड़ भल।।

बनथे हड्डी बटन चटक ले , सुग्घर दिखथे फैशन।
खाद बना लव गोबर बढ़िया , मिटे खेत के टेंशन।।

नंदावत घर घर ले हावय , काबर जी गौ माता।
गौ धन लछमी रूप बरोबर ,सोचत हवय विधाता।।

छंदकार-नेमेन्द्र कुमार गजेन्द्र
 हल्दी (गुंडरदेही) जिला-बालोद
मोबा.अंक-8225912350

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