सार छंद-विषय-गौ माता(निबंध)
गाँव दुवारी घर अउ बारी , हावय जी गौ माता।
जम्मो देवी देव समाये , कामधेनु फल दाता।।
नाम बहुत माता के हावय , कामधेनु मन भावय।
माता सेवा जउन करे वो , जीवन भर सुख पावय।।
पानी पसिया पीके दाई , पैरा काँदी खावय।
बछड़ा बाँटा सबो दूध ला , हमला देवत जावय।।
दूध बनत हे दही मही घी , गजब बिटामिन वाला।
छोड़त लोगन मन सब येला , खावत काला काला।
गोड़ चार अउ सींग दुई हे , आँख कान दू हावय।
एक पूँछ अउ एक हवे मुँह , गौ घर पूजे जावय।।
गोबर येखर छेना बनथे , लगे मूत्र गंगा जल।
चमड़ी बनथे मांदर तबला,करै सबो के बड़ भल।।
बनथे हड्डी बटन चटक ले , सुग्घर दिखथे फैशन।
खाद बना लव गोबर बढ़िया , मिटे खेत के टेंशन।।
नंदावत घर घर ले हावय , काबर जी गौ माता।
गौ धन लछमी रूप बरोबर ,सोचत हवय विधाता।।
छंदकार-नेमेन्द्र कुमार गजेन्द्र
हल्दी (गुंडरदेही) जिला-बालोद
मोबा.अंक-8225912350
गाँव दुवारी घर अउ बारी , हावय जी गौ माता।
जम्मो देवी देव समाये , कामधेनु फल दाता।।
नाम बहुत माता के हावय , कामधेनु मन भावय।
माता सेवा जउन करे वो , जीवन भर सुख पावय।।
पानी पसिया पीके दाई , पैरा काँदी खावय।
बछड़ा बाँटा सबो दूध ला , हमला देवत जावय।।
दूध बनत हे दही मही घी , गजब बिटामिन वाला।
छोड़त लोगन मन सब येला , खावत काला काला।
गोड़ चार अउ सींग दुई हे , आँख कान दू हावय।
एक पूँछ अउ एक हवे मुँह , गौ घर पूजे जावय।।
गोबर येखर छेना बनथे , लगे मूत्र गंगा जल।
चमड़ी बनथे मांदर तबला,करै सबो के बड़ भल।।
बनथे हड्डी बटन चटक ले , सुग्घर दिखथे फैशन।
खाद बना लव गोबर बढ़िया , मिटे खेत के टेंशन।।
नंदावत घर घर ले हावय , काबर जी गौ माता।
गौ धन लछमी रूप बरोबर ,सोचत हवय विधाता।।
छंदकार-नेमेन्द्र कुमार गजेन्द्र
हल्दी (गुंडरदेही) जिला-बालोद
मोबा.अंक-8225912350
वाह वाह सुग्घर सार छंद।हार्दिक बधाई नेमेंद्र जी।
ReplyDeleteप्रणाम गुरुदेव
Deleteगजब सुग्घर रचना सर
ReplyDeleteआभार गुरुदेव
Deleteवाह्ह्ह्ह्ह्ह् सुग्घर छंंद
ReplyDelete🙏🙏🙏🙏🙏
Deleteगौ माता ऊपर सुग्घर अउ भावपूर्ण रचना, बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद मित्र
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