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Friday, December 27, 2019

सार छन्द'-कमलेश्वर कुमार वर्मा


'सार छन्द'-कमलेश्वर कुमार वर्मा
"वीर बलिदानी"

भारत माँ के रक्षा खातिर,गवाँ अपन जिनगानी।
जुग-जुग बर अम्मर हो जाथे,सबो वीर बलिदानी।।

जंगल पर्वत बरसा गर्रा,झेल सबो परशानी।
छूट अपन माटी के करजा, करथे  सफल जवानी ।।

इँकर वीरता ले हो जाथे, बैरी पानी-पानी।
ठोंक अपन छाती ला रन मा, याद दिलाथे नानी।।


आखिर दम तक गावत रइथे,जय भारत  के बानी।
सदा तिरंगा हा ही बनथे, सइनिक कफ़न निशानी।।

सींच लहू ले ये भुइँया ला,लिखथे त्याग कहानी।
गाड़ा-गाड़ा वंदन कर लव,सुरता कर कुर्बानी।।

छंदकार:कमलेश कुमार वर्मा
शिक्षक
भिम्भौरी,बेरला
जिला-बेमेतरा(छ. ग)

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