मोटर गाड़ी (सार छंद)-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
हवा संग मा बात करत हे,देखव मोटर गाड़ी।
देखावा अउ जल्दी बाजी,फोड़त हावय माड़ी।
जाने जम्मो झन जोखिम हे,तभो करे अनदेखा।
अपने हाथ बिगाड़त फिरथे,अपन भाग के लेखा।
उहू आदमी लउहा लेवय,जे टारे नइ काड़ी-।
हवा संग मा बात करत हे,देखव मोटर गाड़ी।
मनखे तनखे मोटर गाड़ी,दिनदिन भारी बाढ़े।
साव चेत हो चलना पड़ही,रथे गाय गरु ठाढ़े।
हाल दिखे बेहाल सड़क के,का जंगल अउ झाड़ी।
हवा संग मा बात करत हे,देखव मोटर गाड़ी।
खुदे झपाये अउ दूसर के,हाड़ा गोड़ा टोड़े।
बात बरजना घलो न माने,नशापान नइ छोड़े।
उहू कुदावै मोटर गाड़ी,जउने हवै अनाड़ी--।
हवा संग मा बात करत हे,देखव मोटर गाड़ी।
नवा नवा गाड़ी आगे हे,आगे नवा चलैया।
यमराजा लेआघू निकले,देख सड़क हा भैया।
दुर्घटना ला देख जुड़ाथे,हाथ पाँव अउ नाड़ी।
हवा संग मा बात करत हे,देखव मोटर गाड़ी।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
अति सुन्दर गुरुदेव जी बधाई हो
ReplyDeleteसधन्यवाद सर जी
Deleteबहुत बहुत बधाई वर्मा जी
ReplyDeleteसधन्यवाद सर जी
Deleteदुर्घटना ले देर भली👌👌👍👏👏
ReplyDeleteसुग्घर संदेश देवत आपके रचना गुरुदेव,🙏
💐💐💐💐💐
अद्भुत गुरुदेव
ReplyDeleteसधन्यवाद भाई
Deleteवाहःह भाई
ReplyDeleteकतका सुघ्घर बखान करे हव
मोटर गाड़ी के
सादर नमन दी
Deleteसिरतोन जम्मो दृश्य आँखी आघु आगे भैया जी, बढिया विषय सृजन,बहुत बधाई ।
ReplyDeleteसादर पायलागी दीदी
Deleteज्वलंत समस्या ऊपर बढ़िया सृजन,सादर बधाई
ReplyDeleteवाहहहहहहहह!वाहहहहह!उम्दा
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