कुंडलियाँ छन्द-राम कुमार चन्द्रवंशी
"फूल अउ काँटा"
1
काँटा ल कहे फूल हर,सुन निर्मोही बात।
हिरदे मा धर प्रेम तैं,तभे तोर अवकात।
तभे तोर अवकात, हृदय जब नरम बनाबे।
कर घमंड के त्याग, जगत मा आदर पाबे।
राख पिरित के संग,जोड़ ले तैंहर नाता।
गाँठ बाँध के राख, बात ला तैंहर काँटा।।
2
काँटा बोलय फूल ला,अपन गरब तैं छोड़।
देख नरमता तोर नित, देथे लोगन तोड़।
देथे लोगन तोड़,कदर छिन भर हो पाथे।
गरुवा मन दिन-रात,चबाके तोला खाथे।
सदा मोर तैं संग,जोड़ के रखबे नाता।
झूलत रहिबे डार,फूल ला बोलय काँटा।।
छन्दकार-राम कुमार चन्द्रवंशी
बेलरगोंदी (छुरिया)
जिला-राजनांदगाँव
छत्तीसगढ़
"फूल अउ काँटा"
1
काँटा ल कहे फूल हर,सुन निर्मोही बात।
हिरदे मा धर प्रेम तैं,तभे तोर अवकात।
तभे तोर अवकात, हृदय जब नरम बनाबे।
कर घमंड के त्याग, जगत मा आदर पाबे।
राख पिरित के संग,जोड़ ले तैंहर नाता।
गाँठ बाँध के राख, बात ला तैंहर काँटा।।
2
काँटा बोलय फूल ला,अपन गरब तैं छोड़।
देख नरमता तोर नित, देथे लोगन तोड़।
देथे लोगन तोड़,कदर छिन भर हो पाथे।
गरुवा मन दिन-रात,चबाके तोला खाथे।
सदा मोर तैं संग,जोड़ के रखबे नाता।
झूलत रहिबे डार,फूल ला बोलय काँटा।।
छन्दकार-राम कुमार चन्द्रवंशी
बेलरगोंदी (छुरिया)
जिला-राजनांदगाँव
छत्तीसगढ़
वाह्ह वाह वाह्ह चन्द्रवँशी भइया जी बहुते सुग्घर फूल अउ काँटा मन के गोठ बात भइया अब्बड़ सुग्घर 🙏🙏
ReplyDeleteवाह वाह लाजवाब सृजन बहुत बधाई आपको
ReplyDeleteसादर आभार निषाद जी,चंद्राकर जी
ReplyDelete🙏🙏🙏
बहुत बढ़िया सृजन आदरणीय
ReplyDeleteबहुत सुग्घर सर
ReplyDeleteसादर आभार धन्यवाद बघेल जी मानिकपुरी जी
ReplyDeleteवाह वाह।शानदार भावपूरित कुण्डलिया छंद।हार्दिक बधाई चन्द्रवंशी जी।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कुण्डलिया है भाई
ReplyDeleteअनुकरणीय कृत गुरुदेव 💐💐💐
ReplyDeleteबहुत सुग्घर बड़े भैया
ReplyDeleteअहा चन्द्रवंशी जी फूल अउ काँटा के सुघ्घर बतकही। बहुत बहुत बधाई।
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