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Wednesday, June 3, 2020

रोलाछंद-शोभामोहन श्रीवास्तव

रोलाछंद-शोभामोहन श्रीवास्तव

नवधा भक्ति   
1/ 
प्रभु नौ बरन बताय, भगत बर रेंगे धरसा।
ओमा जा रे जीव, अभरही किरपा बरसा।।
होही ईश दयाल, मया के दिहे चिन्हारी।
नवधा भक्ति जगान, बने अब तज चरियारी ।।
   2/                                                                             नर तन बर नौ बाट, बताये  तेमा जाबो।
दसवाँ कहूँ धँवाय, कभू हम नइ पतियाबो।।
पहिली भक्ति सुजान, संत के सुनबो बानी।
दूसर भक्ति मया, कीरतन भजन कहानी।।                                     3/
तीसर गुरु के गोड़, चाकरी सेवा धरबो ।
चौथा प्रभु गुनगान, कपट तज के अब करबो।।
पंचम मंतर जाप, मया हरि जब्बर जोरे ।
मन में हो बिस्वास, जेन ला बेद अँजोरे ।।
4/
छटवाँ तज सब काम, धाम के बिरथा बोझा।
काया कसन लगाम, परै झन लालच झोझा।।
सरलग संत सुजान, संगती धरमी चाला।
भक्ति सात के भार, बनन सम आँखी वाला।।
5/
सबमें देखन एक, जगत पति चारो कोती।
सबो जीव के माँझ, बरत हे ओकर जोती।।
कहे हवय भगवान, संत ला बड़का सबले।
सब बर वो सब बेर, सुलभ हो जाथे रबले।।
6/
भक्ति आठ के ज्ञान, जेन हे तेमा राजी।
मन राखन संतोष, रहै मन नहीं नराजी।।
सपना मा परदोष, दिखै झन आँही-बाँही।
अपन बाट हम जान, करै कोनो हर काँहीं।।
7/
नवम भक्ति अनुसार, सहज हो पानी जइसे।
तजन कपट छल चाल, रहन प्रभु चाहै तइसे।।
रहि भरोस भगवान, एक अउ दूसर नाही।
मन मा रखन न दु:ख, रीस सुख लालच काँही।।

शोभामोहन श्रीवास्तव
रायपुर छ.ग.

8 comments:

  1. सुग्घर सृजन।हार्दिक शुभकामनाएं।

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  2. बहुत सुंदर अउ भावपूर्ण सृजन

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  3. बहुत सुघ्घर सृजन

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  4. नौ प्रकार के भक्ति के वर्णन रोला छंद मा। घात सुघ्घर बधाई आप ला।

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  5. गज़ब सुग्घर दीदी

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  6. सुग्घर सृजन ।हार्दिक बधाई ।

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