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Sunday, June 28, 2020

कुण्डलियाँ :- जगदीश "हीरा" साहू

कुण्डलियाँ :- जगदीश "हीरा" साहू

पूजव मनखे जिंदा

जिन्दा मा पूछय नहीँ, मरे नवावय शीश।
मंदिर मा हो आरती, बाहर हे जगदीश।।
बाहर हे जगदीश, खड़े कोनो नइ जानय।
खोजय सब भगवान, बात काबर नइ मानय।।
मनखे सेवा सार, मान झन हो शर्मिंदा।
जिनगी अपन सँवार, पूजले मनखे जिन्दा।।

घर मा शौचालय बना

घर मा शौचालय बना, बढ़ही घर के मान।
खुश रइही बेटी बहू, जे हे घर के शान।।
जे हे घर के शान,  राख ले खुश तँय ओला।
सँवर जही घर-बार, पड़य ना रोना तोला।।
कहय आज जगदीश, बना ले तँय पल भर मा।
साथ दिही सरकार, बात  रखना तँय घर मा।।

तीजन बाई

तीजन बाई जी हवय, छत्तीसगढ़ के शान।
बगराये सब देश मा, छत्तीसगढ़  के मान।।
छत्तीसगढ़ के मान, बढ़ाये सब जग जाके।
पाये  बड़  सम्मान,  पंडवानी  वो   गाके।।
जानत हे  संसार, करे  सब  अबड़  बड़ाई।
छत्तीसगढ़ के शान, हवय जी तीजनबाई।।

जगदीश "हीरा" साहू (व्याख्याता)
कड़ार (भाटापारा), बलौदाबाजार
छत्तीसगढ़

4 comments:

  1. वाह्ह वाह अब्बड़ सुग्घर भावपूर्ण कुण्डलियाँ भइया जी 🙏🙏

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  2. छन्द खजाना मा जगा दिए बर धन्यवाद भैया जी

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  3. बड़ सुग्घर सृजन आदरणीय 🙏🌹🙏

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  4. बड़ सुग्घर सृजन आदरणीय 🙏🌹🙏

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