रोला छंद - राजेश कुमार निषाद
सेवा करके तोर,हमन मइया जस गाबो।
आके शरण म तोर,सबो झन माथ नवाबो।।
द्वार खड़े हन तोर,हमर तैं लाज बचादे।
अपने लइका जान,भाग ला हमर जगादे।।
काटत हावय पेड़,कहाँ ले छइयाँ पाबो।
बिना पेड़ के आज,हवा बिन सब मर जाबो।।
नइ बच ही जब पेड़,धरा बंजर हो जाही। बढ़ जाही बड़ ताप,छाँव बर सब पछताही।।
मोटर गाड़ी लान,घुमत गा सबझन जाबो।
होवत बेरा साँझ, लहुट के भइया आबो।।
एती ओती देख,हमर मन गदगद होही।
नइ जा पाही जेन,अबड़ गा वोहर रोही।।
छंदकार:- राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद रायपुर छत्तीसगढ़
बहुत सुग्घर भाई जी
ReplyDeleteसुग्घर रोला गुरुजी 💐💐
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रोला छंद
ReplyDeleteबहुत सुंदर है
ReplyDeleteअद्धभुत sra
Superb
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रचना भाईजी
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