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Wednesday, June 10, 2020

दोहा के 21 प्रकार~कन्हैया साहू 'अमित"

दोहा के 21 प्रकार~कन्हैया साहू 'अमित"
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1. *भ्रमर दोहा* (22 गुरु+4 लघु)
आऔ देखौ गाँव ला, रंगे देशी रंग।
भौंरा बाँटी खेलथें, जम्मों संगी संग।।

2. *सुभ्रामर दोहा* (21 गुरु+6 लघु)
आऔ देखौ गाँव मा, सुग्घर देशी खेल।
खेले कूदे मा घलो, होवै सोझे मेल।।

3. *शरभ दोहा* (20 गुरु + 8 लघु)
गिल्ली डंडा खेल ला, खेलैं पीपर छाँव।
आरी-पारी बद गियाँ, लेथें-देथें दाँव।।

4. *श्येन दोहा* (19 गुरु + 10 लघु)
फोदा फल्ली फिलफिली, रेसटीप पित्तूल।
खेलैं देशी खेल ला, झूलँय झोंपा झूल।।

5. *मंडूक दोहा* (18 गुरु +12 लघु)
खेलौ देशी खेल ला, कोनो रुखुवा छाँव।
भाही तोला बड़ सदा, अपने गँवई गाँव।।

6. *मर्कट दोहा* (17 गुरु +14 लघु)
देख कबड्ड़ी खेल ला, कतका होथे जोश।
माटी ले राहव जुड़े, अतका राखव होश।।

7.  *करभ दोहा* (16 गुरु + 16 लघु)
खो-खो खुडवा खेल मा, आथे बड़ आनंद।
हार जीत मा हे मजा, सबके अपन पसंद।।

8. *नर दोहा* (15 गुरु + 18 लघु)
फुगड़ी बिल्लस खेलथें, नोनीमन हा झार।
करैं खेलवारी अमित, अपने अँगना द्वार।।

9. *हंस दोहा* (14 गुरु + 20 लघु)
लइका डंडा कोलथे, धरके लौड़ी हाथ।
खेलँय जुरमिल जहुँरिया, ले सँघेर सब साथ।।

10. *गयंद दोहा* (13 गुरु +22 लघु)
घोर-घोररानी कहत, गोल-गोल लँय घूम।
हाँसत कुलकत खेलना, अंतस जावय झूम।।

11. *पयोधर दोहा* (12 गुरु+ 24 लघु)
सुघर तिरीपासा लगय, चार सखा सकलाँय।
धर चिचोल बीजा 'अमित', कौड़ीकस ढरकाँय।।

12. *बल दोहा* (11 गुरु +26 लघु)
बीस अमृत आ खेल ले, दउँड़ भाग अउ बैठ।
मनभर मन ले मन मिला, झन तैं मितवा ऐठ।।

13. *वानर दोहा* (10 गुरु + 28 लघु)
छुआ छुऔला अमरना, खेलँय बड़का छोट।
'अमित' ससनभर खेलथें, चिटिक रखँय नइ खोट।।

14. *त्रिकल दोहा* (9 गुरु + 30 लघु)
चुन-चुन गोंटा लानथें, गिन-गिन धरलँय पाँच।
पँचवा कहिथे अउ 'अमित', जानव बतरस साँच।।

15. *कच्छप दोहा* (8 गुरु + 32 लघु)
गली-खोर चँउरा 'अमित', खेलँय नदी पहाड़।
अपन-अपन गरियस गड़ी, मिलजुल करँय जुगाड़।।

16. *मच्छ दोहा* ( 7 गुरु + 34 लघु)
भटकउला बर छाँटलव, गोंटी सुघर  पचीस।
भटक ठिठक खेलव भलुक, चिटक रखव नइ रीस।।

17. *शार्दूल दोहा* (6 गुरु + 36 लघु)
हमर गाँव गँवई गजब, चटकमटक बड़ दूर।
खेलकूद हिरदय बसय, सुख उपजय भरपूर।।

18. *अहिवर दोहा* (5 गुरु + 38 लघु)
खेलउना सरबस हमर, करय पिरित बरसात।
हरसय हिरदय अति 'अमित', गदगद अंतस घात।।

19. *ब्याल दोहा* (4 गुरु + 40 दोहा)
मनभर मनहर बड़ सुघर, हमर गँवइहा खेल।
सुमत सबर दिन, सख सदा, जुरमिल रखय सकेल।।

20. *बिडाल दोहा* (3 गुरु + 42 लघु)
गतर-गढ़न गथफत हमर, झन तँय समझ गँवार।
हवय सरग सम गढ़ हमर, बरसय मया अपार।।

21. *श्यान दोहा* (2 गुरु + 44 लघु)
खरतर खरखर सब 'अमित', खदर बसर रहि ठाँव।
जनम-मरन सुख दुख सहित, करव कदर हर गाँव।।
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भाटापारा छत्तीसगढ़ ©®
चलभाष~9200252055

5 comments:

  1. बहुते सुघ्घर सृजन

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  2. बड़ सुग्घर सर जी। दोहा के प्रकार बहुत सुग्घर

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  3. अति बढ़िया दोहा गुरुजी 💐💐

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  4. बहुत सुंदर रचना, बधाई

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  5. बहुत शानदार रचना सर

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