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Sunday, June 21, 2020

हेम के कुंडलिया

हेम के कुंडलिया

आँखी भारत देश ला,   झन तँय  देखा चीन।
जन्म जात के दोगला,   हावस तँय गुण-हीन।
हावस  तँय  गुण-हीन,  परे  चाल म  हे कीड़ा।
हमर  देश  के  शान,   तोर  बर  हावय  पीड़ा।
गिरबे  मुड़  के  भार,   हवय  डेना  ना  पाँखी।
झन तँय उड़ आगास, दिखाके हमला आँखी।1।

करथस छुपके पीठ मा, रतिहा कन तँय वॉर।
हवस हरामी चीन तँय,   जाबे   हरदम   हार।
जाबे हरदम हार,  छोड़ तँय  अपन अनैतिक।
रखथे हिम्मत पोठ,  हमर  भारत  के सैनिक।
सबो देश कन बैर,  चीन  तँय काबर रखथस।
जीत कभू नइ पास,  तभो लड़ई ला करथस।2।

आनी बानी खात हव, जीव मार के रोज।
कुकर बिलाई बेंदरा,  साँप डेरु केे  गोज।
साँप डेरु के गोज, हवव  कतका पापी रे।
होय प्रकृति हा नाश, बनव अब संतापी रे।
छोड़ बैर के भाव,  मया केे गढ़व  कहानी।
जीव मार झन खाव, रोग हो आनी बानी।3।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

7 comments:

  1. बहुत सुन्दर बधाई हो

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    1. सादर धन्यवाद भैया जी 💐💐🙏🙏

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति बहुत बधाई

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    1. सादर धन्यवाद बड़े भैया जी💐💐🙏

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  3. गज़ब सुग्घर सर

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  4. अब्बड़ सुग्घर कुण्डलियाँ भइया 🙏🙏

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