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Sunday, June 14, 2020

कुंडलियां छन्द-द्वारिका प्रसाद लहरे


कुंडलियां छन्द-द्वारिका प्रसाद लहरे

(१) गुरु
पावन गुरु के नाँव हे,जप ले जी सतनाम।
चरण कमल के छाँव मा,पा ले गा सुख धाम।
पा ले गा सुख धाम,जनम ला सुफल बनाले।
होही हंसा पार,सदा गुरु ध्यान लगाले।।
कहै द्वारिका सार,बरसथे सुख के सावन।
सदा नवाले माथ,नाँव हे गुरु के पावन।।

(२) दाई बाबू
दाई बाबू के सबो,कर लव गा सम्मान।
देथें खुशी अपार जी,परगट ये भगवान।
परगट ये भगवान,करौ सब निस दिन सेवा।
इँखरे दे आशीष,समझ लव मिसरी मेवा।
पावव ममता छाँव,अपन जिनगी भर भाई।
करलव पूजा रोज,देवता बाबू दाई।।

(३) खेती खार
पावन खेती खार हा,भारत के पहिचान।
महिनत करथे रात-दिन,अब्बड़ हमर किसान।
अब्बड़ हमर किसान,खेत मा फसल उगाथे।
भरथे सबके पेट,इही भगवान कहाथे।
चना गहूँ अउ धान,लगे अड़बड़ मनभावन।
सुख के देथे छाँव,हमर खेती हे पावन।।

छंदकार-द्वारिका प्रसाद लहरे
 व्याख्याता शा.उ.मा.वि.इन्दौरी/
बायपास रोड़ कवर्धा छत्तीसगढ़

2 comments:

  1. वाह वाह लहरे सर, बहुत सुंदर कुण्डलिया छंद लीखे हव आपमन, बहुत बधाई

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद चंद्राकर सर जी।

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