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Tuesday, June 23, 2020

कुण्डलिया छंद -हीरालाल साहू "समय" छुरा

कुण्डलिया छंद -हीरालाल साहू "समय"  छुरा

रसायनिक खाद

रोज घटत हे खेत के ,उपजाऊ पन मान।
रसायनिक ये खाद हा,बैरी एखर जान।।
बैरी एखर जान, खेत मा झिन गा डारव।
भले मिलय कम धान,तभो ले मन ला मारव।
बीमारी घर आय,दुखी दिन रात कटत हे।
मान समय के बात, उपज हा रोज घटत हे।।

जैविक खेती

जैविक खेती नइ करे, काबर बहुत किसान।
उत्पादन हा कम मिले, मिलथे भाव समान।।
मिलथे भाव समान, लगे अउ मिहनत जादा।
करय कुछू सरकार, ऊँच कीमत के वादा।।
उपराहा मिल जाय , दाम मिहनत के सेती।
तभे सबो अपनाय, किसानी जैविक खेती।


पानी बचाव

पानी रोज बचाय के,जिनगी अपन सँवार।
ये अमरित ला पाय बर,होही तीसर वार।।
होही तीसर वार, उही ताकतवर बनही।
पानी के भंडार,राख जे छाती तनही।।
बूंद बूंद ला सँइत, कहे गा बड़का ज्ञानी।
नावा रद्दा खोज ,बाचही कइसे पानी।

सब्सिडी

बिजली घलो बचाय के,थोकिन करव उपाय।
एखर खपत ला कम करो,लागय झिन पछताय।।
लागय झिन पछताय, कोइला कमती हावय।
सँइते उर्जा आज , जौन हा आगू पावय।।
एहा करजा आय,सब्सिडी मिलथे जबतक।
मूड़ उपर चढ़जाय, बचावव बिजली तबतक।

छंदकार :- हीरालाल गुरुजी "समय"
        छुरा,जिला -गरियाबंद

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ सर जी

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  2. सुग्घर रचना सर

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  3. वाह्ह वाह समय गुरूजी बहुते सुग्घर विषय मन के ऊपर अब्बड़ सुग्घर चिंतन अउ सन्देश ले भरे कुण्डलियाँ भइया 🙏🙏

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