Followers

Sunday, June 21, 2020

कुण्डलियां छन्द:- गुमान प्रसाद साहू

कुण्डलियां छन्द:- गुमान प्रसाद साहू

।।किसान।।
नाँगर बइला जोड़ के, जावय खेत किसान।
खेत खार ला जोत के, बोंवत हावय धान।।
बोंवत हावय धान, किसानी के दिन आगे,
बरसत पानी देख, सबो के मन हरसागे।
महिनत करय अपार, खपावय दिन भर जाँगर,
जोड़ी बइला फाँद ,खेत मा जोतय नाँगर।।

।।भ्रष्टाचार।।
दिन-दिन बाढ़त जात हे, देखव भ्रष्टाचार।
भ्रष्टाचारी मौज मा, जनता हे लाचार।।
जनता हे लाचार, देश ला कोन बचावय,
हवय जेन रखवार, उही हा लूट करावय।
मनखे बदले भेष, आज देखव जी छिन छिन,
भारी लूट खसोट, देश मा होवय दिन-दिन।।

।।मोह माया छोड़।।
माया मोह गुमान हा, नइ आवय जी काम।
दू आखर के नाम ला, भजले सीता राम।।
भजले सीता राम, तोर जिनगी तर जाही,
हो जाबे भव पार, मुक्ति चोला हा पाही।
जाबे संगी छोड़, हवय माटी ये काया,
नइ आवय कुछु काम, तोर जतने सब माया।।

।।पानी।।
पानी बिन होवत हवय,जीव जन्तु बेहाल।
कोनो खँइता झन करव, राखव सब सम्हाल।।
राखव सब सम्हाल, हवय जिनगी जल जानव।
बूँद बूँद के मोल, सबो येकर पहिचानव।
बिरथा झन बोहाव, करव झन तुम मनमानी।
हावय बड़ अनमोल, जगत मा संगी पानी।।

छन्दकार:- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम:- समोदा (महानदी)
जिला:- रायपुर छत्तीसगढ़

5 comments:

  1. वाह वाह गुमान भाई

    ReplyDelete
  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  3. वाह वाह लाजवाब सृजन हे आप मन के

    ReplyDelete
  4. वाह्ह वाह अब्बड़ सुग्घर कुण्डलियाँ भइया 🙏🙏

    ReplyDelete