कुंडलियाँ छंद - बोधन राम निषादराज
(1) बिरहिन -
हाँसत हावै फूल हा, मोरो मन बउराय।
भँवरा गुनगुन गात हे,आगी जिया लगाय।।
आगी जिया लगाय,कोन ला भेजँव पाती।
जोड़ी गय परदेश, दुःख मा जरथे छाती।।
बैरी फागुन आय,करौं का कुछु नइ भावै।
देख हाल ला मोर,फूल हा हाँसत हावै।।
(3) छितका कुरिया -
तइहा के जी बात ला,लइका देख भुलाय।
नवा जमाना आय हे,छितका कुरिया काय।।
छितका कुरिया काय,कोन हा इहाँ बताही।
पक्का पक्का देख,सबो घर आज बनाही।।
मनखे चतुरा होय, गाँव अउ घर छँइहा के।
कुरिया काय बताँव,बात ला जी तइहा के।।
(3) बइला गाड़ी -
खन खन देखव बाजथे,बइला गाड़ी ताय।
दू ठन बइला फाँदके,गाँव गौंतरी जाय।।
गाँव गौंतरी जाय, जोर के माई पिल्ला।
कतका गीत सुनाय,बइठ के चिल्ला चिल्ला।
लइका बच्चा देख,आत हे रन भन रन भन।
बइला गाड़ी हाँक ,बाजथे देखव खन खन।।
छंदकार- बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम
(छत्तीसगढ़)
(1) बिरहिन -
हाँसत हावै फूल हा, मोरो मन बउराय।
भँवरा गुनगुन गात हे,आगी जिया लगाय।।
आगी जिया लगाय,कोन ला भेजँव पाती।
जोड़ी गय परदेश, दुःख मा जरथे छाती।।
बैरी फागुन आय,करौं का कुछु नइ भावै।
देख हाल ला मोर,फूल हा हाँसत हावै।।
(3) छितका कुरिया -
तइहा के जी बात ला,लइका देख भुलाय।
नवा जमाना आय हे,छितका कुरिया काय।।
छितका कुरिया काय,कोन हा इहाँ बताही।
पक्का पक्का देख,सबो घर आज बनाही।।
मनखे चतुरा होय, गाँव अउ घर छँइहा के।
कुरिया काय बताँव,बात ला जी तइहा के।।
(3) बइला गाड़ी -
खन खन देखव बाजथे,बइला गाड़ी ताय।
दू ठन बइला फाँदके,गाँव गौंतरी जाय।।
गाँव गौंतरी जाय, जोर के माई पिल्ला।
कतका गीत सुनाय,बइठ के चिल्ला चिल्ला।
लइका बच्चा देख,आत हे रन भन रन भन।
बइला गाड़ी हाँक ,बाजथे देखव खन खन।।
छंदकार- बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम
(छत्तीसगढ़)
सादर नमन गुरुदेव जी।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर सर
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