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Saturday, August 1, 2020

कुंडलिया :बलराम चंद्राकर

कुंडलिया :बलराम चंद्राकर 

विश्वगुरु 

भारत गुरु जग के बनै, हम बन जावन दूत।
मान बढ़ावन देश के, बन के वीर सपूत।।
बन के वीर सपूत,जगत मा जस बगरावन।
गीता करम-विधान ,अमल मा सब झन लावन।।
जीवन ये अनमोल,चलन हम दियना बारत।
छोड़न स्वारथ काम,विश्वगुरु होवय भारत।।

नोनी

नोनी बाबू बीच मा, कोनों करौ न भेद। 
अपने डोंगा मा कभू, करिहौ झन जी छेद। 
करिहौ झन जी छेद, सुनौं नर-नारी एके। 
छोड़ौ जुन्ना बात, कतक ला रहिहौ टेके।। 
जतन करौ जस खेत, बरोबर होवै बोनी। 
राहौ सदा सचेत, पढ़ै जी सुग्घर नोनी।। 

मँहगाई 

मँहगाई के मार मा, सिहरत जनता आज। 
पढ़-लिख बइठे मइनखे, कोनों काम न काज।। 
कोनों काम न काज, बढ़त हे आबादी हा। 
शासन सुनै न बात, व्यर्थ का आजादी हा?? 
होय कहूँ जी रोग, रोय तब बहिनी भाई।
कइसे होय इलाज, गजब अरचन मँहगाई।। 

महमाई सारदा

महमाई हे सारदा, चरन पखारौं तोर।
दाई किरपा राखिहौ, अरजी हावै मोर।। 
अरजी हावै मोर, ज्ञान के होय प्रकासा। 
होवै जग उजियार, पाप के करिहौ नासा।। 
सुखी रहै घर-द्वार, रहै झन एको खाई। 
करिहौ माँ कल्याण, इही विनती महमाई।। 

फूट

भाई-भाई फूट मा, कइसे होय निबाह। 
अपन पराया भेद अउ, मन मा राहै डाह।। 
मन मा राहै डाह, कहाँ तब भाईचारा। 
आपस के ये बैर, दिखै जी पारा-पारा ।। 
रिश्ता नता अमोल, सम्हालौ पाटौ खाई। 
रइहौ जुरमिल साथ, सरग होही जग भाई।।

दौनापान

अँगना मा घर के सुघर,उपजे दौना पान। 
खोंच कान मा पान ला, रेंगै मोर मितान।
रेंगै मोर मितान, हरे दौना सँगवारी।
होगे नता अमोल,हवै घर जस फुलवारी।। 
छनन छनन छनकाय, हाथ जब गोरी कँगना। 
महर-महर ममहाय, सुहावय दौना अँगना।। 

वीर सिपाही

वीर सिपाही देश के, सरहद मा तैनात। 
जान लगा के दाँव मा, सजग हवै दिन-रात। 
सजग हवै दिन-रात, देश के रक्षा खातिर। 
करै शत्रु के नास, रहै जी कतको शातिर।। 
जनता मा सुखचैन, हवै जी इँकरे बाँही।
नइ भुलाय बलिदान, अमर ये वीर सिपाही।।

लाँघन

बइठे लाँघन देख तो, लागत हे अकुलाय।
चघे बेंदरा रूख मा, ठुड़गा हे का खाय।। 
ठुड़गा हे का खाय, पेट बर चाही दाना। 
झीटी खाँधा डार, सिरागे जम्मो खाना।। 
जंगल दिखै उजार, भूख मा अतड़ी अँइठे। 
बखरी मा अब जाँव, कहै जी बइठे बइठे।। 

छंदकार :
बलराम चंद्राकर भिलाई
7587041253

34 comments:

  1. बहुत सुग्घर सर जी

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    1. धन्यवाद बोधन जी

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    2. बहुत सुंदर बलराम भाई💐💐

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    3. आप के मया पिरीत अइसने बने रहै ।बहुत बहुत धन्यवाद आप ला।

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  2. बहुत सुंदर भईया जी।

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  3. जी बहुत-बहुत धन्यवाद आप ला। आभार ।

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  4. बहुत सुग्घर भैया

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद जी। शुक्रिया।

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  5. बेहतरीन बलराम भाई

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    1. जीतेंद्र भाई अपन कीमती समय निकाल के हमर प्रयास ला सराहेव सुग्घर लागिस ।हृदय ले आभार आप ला ।हमर छंद खजाना छत्तीसगढ़ी भाखा ला पोठ कर बर दिन रात लगे हावै आप सबो विद्वान साथी मन के समर्थन अउ सहयोग मिलत रहै। निवेदन ।

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  6. बहुत सुंदर बलराम भैया

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    1. सादर धन्यवाद आप ला ।हमर छंद खजाना मा सदैव आपके स्वागत हे। शुक्रिया ।

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  7. मँहगाई के मार मा, सिहरत जनता आज।
    पढ़-लिख बइठे मइनखे, कोनों काम न काज।।
    कोनों काम न काज, बढ़त हे आबादी हा।
    शासन सुनै न बात, व्यर्थ का आजादी हा??
    होय कहूँ जी रोग, रोय तब बहिनी भाई।
    कइसे होय इलाज, गजब अरचन मँहगाई।।


    वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह - - - -जोरदार भैया जी

    हार्दिक बधाई

    सुरेश पैगवार

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    1. धन्यवाद मोर भाई, सादर आभार। अइसने हमर छंद परिवार ला मया मिलत रहे। समाज ला घलो एकर महत्व ले परिचित करावौ अउ भाषा के मान बर जन जन तक पहुंचावत रहौ।

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    1. धन्यवाद बेटा, हमर छंद खजाना मा स्वागत है। छत्तीसगढ़ी मा आज 6000 छंद हमर छंद खजाना मा मिलही ।चार साल पहिली छंद के नाव मा सुन्य रिहिस ।आज हजारों सवैया, घनाक्षरी, वार्णिक मात्रिक छंद अउ सेकड़ो गजल छत्तीसगढ़ी मा उपलब्ध हे छत्तीसगढ़ी के प्रतिष्ठा बर इहाँ बहुत काम होवत हे। करीब 44 देश के हमर प्रवासी मन घलो हमर छंद ला पढ़त हे आज ।यानि छत्तीसगढ़ी घलौ वैश्विक होगे। है ना बड़े बात।

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  9. मोर मयारुक भाई के जम्मो कुंडलियाँ श्रेष्ठ ही नहीं
    श्रेष्ठतम हे...गुरवर कृपा के नतीजा आय..कालजयी रचना के सृजन...बहुत बहुत बधाई भाई...
    गुरुदेव ल सादर प्रणाम सहित.. भाई ल घलो सादर नमस्कार...🌹🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹🌹

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    1. सूर्यकांत भैया, सादर प्रणाम। सहीं कहेव भैया, गुरु कृपा ले ही सम्भव हो पाय हे। अब लागत हे कि हमरो सिरजन इतिहास रचत हे छत्तीसगढ़ी भाखा के विकास मा।
      छत्तीसगढ़ के कोना कोना ले छंद साधक मन आज छंद के छ परिवार ले जुड़ के काम करत हे ।हमर आप के घलो थोक बहुत एमा भागीदारी हा हमरो मन के मन ला संतोष दे थे।
      आपो ला साधूवाद भैया जी ।जै छत्तीसगढ़ ।

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  10. बहुत ही बढ़िया रचना

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  11. दौनापान

    अँगना मा घर के सुघर,उपजे दौना पान।
    खोंच कान मा पान ला, रेंगै मोर मितान।
    रेंगै मोर मितान, हरे दौना सँगवारी।
    होगे नता अमोल,हवै घर जस फुलवारी।।
    छनन छनन छनकाय, हाथ जब गोरी कँगना।
    महर-महर ममहाय, सुहावय दौना अँगना।।

    वाह बहुत सुघ्घर।

    एक ले बढके एक कुंडलियाँ।।
    आनन्द आगे।।

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    1. धन्यवाद जीतेंद्र गुरु, छंद के छ परिवार के साधक होना वाकई गर्व के अनुभूति देथे। हमर रचना मन ला लोगन के सराहना मिलत हे,गुरूदेव के कृपा ये।

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  12. बहुत बढ़िया बलराम भाई,गीतकार के नाम से प्रसिद्ध बलराम चंद्राकर जी अब सबो विधा में आगे बढ़त हे, कुंडलियां पढ़के मज़ा आगे ।खूब तरक्की करो शुभकामनाएं

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद पीलाराम भैया आप मन हमर छंद खजाना मा रूचि रखेव। आप मन के मया मिलत रहै ।छत्तीसगढ़ी बर समर्पित ये छंद खजाना मा आप ला हजारों छंद बद्ध एक से एक रचना मिलही।

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  13. बहुत बढ़िया बलराम भाई,गीतकार के नाम से प्रसिद्ध बलराम चंद्राकर जी अब सबो विधा में आगे बढ़त हे, कुंडलियां पढ़के मज़ा आगे ।खूब तरक्की करो शुभकामनाएं

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  14. बहुत सुन्दर कुंड़लिया की रचना करे हस बलराम बहुत बहुत बधाई ।

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    1. जी बहुत-बहुत धन्यवाद आप ला। अइसने हमर छत्तीसगढ़ी छंद के छंद परिवार बर मया बने रहै अउ छंद खजाना ला बीच बीच मा मया दुलार मिलत रहै ।सादर आभार ।

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  15. बहुत सुग्घर अऊ सराहनीय तोर रचना है बलराम सदा नित नवीन रचना रचते रहू ऐसे मोर शुभकामना है आज के उदीयमान सितारा नक्षत्र बनके आकाश में जगमगाही वो दिन दूर नईहे

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    1. आप के आशीष ले निश्चित ही हमन ला बरकत मिलही हमर छंद खजाना बर अइसने आशीष बरसात रहौ सदा । आपके शुभवचन ले मन प्रफुल्लित होगे ।हार्दिक आभार

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  16. बेहतरीन प्रयास।

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