सेहत(चौपाई छंद)- जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
*आफत तन में आय जब, मन कइसे सुख पाय*
*तन मन तनतन होय तब, माया मोह सुहाय*
हाड़ माँस के तैं काया धर।
हाय हाय झन कर माया बर।
सब बिरथा काया के सुख बिन।
जतन बदन के करले निस दिन।
तन खेलौना हाड़ माँस के।
जे चाबी मा चले साँस के।
जी ले जिनगी हाँस हाँस के।
दुःख दरद डर धाँस धाँस के।
पी ले पानी खेवन खेवन।
समै समै मा खाले जेवन।
समै मा सुत जा समै मा जग जा।
भोजन बने करे मा लग जा।
झन होवय कमती अउ जादा।
कोशिस कर होवय नित सादा।
गरम गरम खा ताजा ताजा।
बजही तभे खुशी के बाजा।
देख रेख कर सबे अंग के।
हरे सिपाही सबे जंग के।
हरा भरा रख तन फुलवारी।
तैं माली अउ तैं गिरधारी।
योग ध्यान हे तन बर बढ़िया।
गतर चला बन छत्तीसगढ़िया।
तन के कसरत हवै जरूरी।
चुस्ती फुर्ती सुख के धूरी।
चलुक चढा झन नसा पान के।
ये सब दुश्मन जिया जान के।
गरब गुमान लोभ अउ लत हा।
करथे तन अउ मन ला खतहा।
मूंगा मोती कहाँ सुहावै।
जब काया मा दरद हमावै।
तन तकलीफ उहाँ बस दुख हे।
तन के सुख तब मनके सुख हे।
जतन रतन कस अपन बदन ला।
सजा सँवार सदन कस तन ला।
तन मशीन बरोबर ताये।
जे नइ माने ते दुख पाये।
तन के तार जुड़े हे मन ले।
का का करथस तन बर गन ले।
जुगत बनाले सुख पाये बर।
आलस तन के दुरिहाये बर।
तन हे चंगा तब मन चंगा।
रहे कठौती मा तब गंगा।
कारज कर झन बने लफंगा।
बने बुता बर बन बजरंगा।।
*सेहत ए सुख साधना, सेहत गरब गुमान*
*सेहत ला सिरजाय जे,उही गुणी इंसान*
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
Followers
Monday, August 10, 2020
सेहत(चौपाई छंद)- जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत सुग्घर सृजन भाई
ReplyDeleteलाजवाब सर
ReplyDelete