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Sunday, August 9, 2020

छप्पय छन्द- मथुरा प्रसाद वर्मा

 छप्पय छन्द- मथुरा प्रसाद वर्मा 


1. मया

मया ल काबर मोर,नहीं तँय जाने बइरी।

मन मा करथे सोर, पाँव के तोरे पइरी।।

निष्ठुर नैना तोर, करेजा घायल होगे।

कहिथे पूरा गाँव, टुरा हा पागल होगे।।

पीरा बाचे हे अभी,ले के जाही जान रे।

सुरता तोरे अब बही, छोड़े नही परान रे।।


2. भ्रष्टाचार 

भ्रष्टाचारी आज, बेच के देश ल खावय।

सब होगे बइमान, कोन हा देश बचावय।

कव्वा कुकूर बाज, सहीं सब माँस चिथइया।

जनता रोवय रोज, कोन हे हमर बचइया ।

रखवारी कर  देश के, नेता मन ले आज रे।

बेचत हे बइमान मन , महतारी के लाज रे । 


3.चुनाव

वादा के भरमार, चार दिन चलही संगी।

टकला बर सरकार, लान के देही कंघी।

अब चुनाव हे पास, खास हो जाही जनता।

नेता आही गाँव, पेट भर खाही जनता।

मुद्दा के हर बात ला, दार साग अउ भात ला।

मतलब बर भरमाय सब, जनता के जज्बात ला।



4.जिनगी

आँटे पैरा डोर, बइठ के पैरा जिनगी।

कभू बेच के चाय, तलत हे भजिया जिनगी।

करम करे का लाज, शुरू कर बढ़बे आगे।

दुनियाँ हे रफ्तार आज सब दाउड़े भागे।

चलत चलत सागर मिलय, रुके धार बसाय रे।

ठीहा मिलही ठेल के, ठेलहा धोखा खाय रे।


5. बइलागड़ी

चरच रचरच आय, सड़क मा बइला गाड़ी।

गाँव गवतरी जाय, करय सब खेती बाड़ी।

घन्नर घेंच बँधाय, बाजथे घनघन घनघन।

दउड़त सरपट जाय, हवा कस सनसन सनसन।

आज नँदागे कालके , बइला गाड़ी छाँव रे।

मोटर गाड़ी हे अबड़, तब ले सुन्ना गाँव रे।


कवि - मथुरा प्रसाद वर्मा 

  1. ग्राम- कोलिहा जिला बलौदाबाजार(छ. ग.)

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