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Wednesday, August 12, 2020

ममतामयी माँ मिनीमाता जी ल काव्यांजलि

ममतामयी मिनीमाता जी ल काव्यांजलि


लावणी छंद-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'

       श्रद्धा के सुरता माँ मिनी माता

भारत माँ के हीरा बेटी,ममतामयी मिनी माता।

तॅंय माँ हम संतान तोर ओ,बनगे हे पावन नाता।

सुरता हे उन्नीस् सौ तेरा, मार्च माह तारिक तेरा।

देवमती दाई के कुँख मा,जन्म भइस रतिहा बेरा।

खुशी बगरगे चारो-कोती,सुख आइस हे दुख जाके।

ददा संत बड़ नाचन लागिस,बेटी ला कोरा पाके।

सुख अँजोर धर आइस बेरा,कटगे अँधियारी राता।

तॅंय माँ हम संतान तोर ओ,बनगे हे पावन नाता।

छट्ठी नामकरण आयोजन,बनिन गाँव भर के साक्षी।

मछरी सही आँख हे कहिके,नाँव धराइन मीनाक्षी।

गुरु गोसाई अगम दास जी,गये रहिन आसाम धरा।

शादी के प्रस्ताव रखिन हे,उही समय परिवार करा।

अगम दास गुरु के पत्नी बन,मिलहिस नाँव मिनी माता।

तॅंय माँ हम संतान तोर ओ,बनगे हे पावन नाता।

सन उन्नीस् सौ इंक्यावन मा,अगम लोक गय अगम गुरू।

खुद के दुख ला बिसर करे माँ,जन सेवा के काम शुरू।

बने प्रथम महिला सांसद तैं,सारंगढ़ छत्तीसगढ़ ले।

तोर एक ठन रहै निवेदन,जिनगी बर कुछ तो पढ़ ले।

पढ़े लिखे ला काम दिलावस,सरकारी खुलवा खाता।

तॅंय माँ हम संतान तोर ओ,बनगे हे पावन नाता।

जन्म भूमि आसाम रहिस हे,कर्म भूमि छत्तीसगढ़ ओ।

शोषित ला अधिकार दिलावस,शासन ले माँ लड़ लड़ ओ।

अस्पृश्यता दहेज निवारण,दुनो विधेयक पेश करे।

समरसता के धरके आगी,भेद भाव ला लेस डरे।

सूत्रधार बाँगो बाँधा के,करुणामयी मिनी माता।

तॅंय माँ हम संतान तोर ओ,बनगे हे पावन नाता।

सन उन्नीस् सौ बछर बहत्तर,महिना तिथि अगस्त ग्यारा।

वायु यान के दुर्घटना ले,सन्नाटा पसरे झारा।

एक सत्य हे काल जगत मा,कहिथें सब ज्ञानी ध्यानी।

समय रहत कर ले सत कारज,के दिन के ये जिनगानी।

अंतस बर श्रद्धा के सुरता,छोड़ चले तैं गुरु माता।

तॅंय माँ हम संतान तोर ओ,बनगे हे पावन नाता।

रचनाकार-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

गोरखपुर,कबीरधाम छत्तीसगढ़

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  डी पी लहरे: सार छंद गीत म श्रद्धांजली

ममता करुणा के तँय मूरत,मोर मिनी माता ओ।
अघुवा बनके जोरे राहस,जन-जन ले नाता ओ।।

सतनामी के शान तहीं हस,सबके के राज दुलारी।
सुमता समता लाके तँय हा,टारे जग अँधियारी।।
दुखिया मन के दु:ख हरइया,सुख के तँय दाता ओ।
ममता करुणा के तँय मूरत,मोर मिनी माता ओ।।(१)

नारी मन के मान बढ़ाये,पहली संसद बनके।
सत्य राह मा निसदिन तँय हा,चले रहे ओ तनके।।
दीन हीन सब मनखे मनके,तँय भाग बिधाता ओ।
ममता करुणा के तँय मूरत,मोर मिनी माता ओ।।(२)

तोर सहीं महिमा वाले अब,नइ हें कोनो दूजा।
जब तक चाँद सुरुज हा रइही,जुग-जुग होही पूजा।।
भाई-चारा अमर एकता,सब मा उद्गाता ओ।।
ममता करुणा के तँय मूरत,मोर मिनी माता ओ।।(३)

छंदकार
द्वारिका प्रसाद लहरे
कवर्धा छत्तीसगढ़

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रामकली कारे
कुकुभ छंद (ममतामयी मिनी माता)

दया भरे हिरदय ओ तोरे,  ममतामयी मिनी माता।
शान बढ़ाये नारी के तॅय, महतारी भाग बिधाता।।

छत्तीसगढ़ म सब मनखे बर, पहिली साॅसद बन आये।
मानव ले मानव ला जोड़े, माॅग योजना सिरजाये।।

साकार करे बाॅगो हसदो, बाॅध नहर ला धर लाने। 
बेटी बनके फर्ज निभाये, सुख समृद्धि ल भर माने।।

विपदा जब जब आये माता, आस धराये दुखहारी।।
जन जन बर तॅय काम करे ओ, देश राज बर सुखकारी।।

मोर मिनी माॅ राजदुलारी, सत सत नमन हवय बलिदानी।
पुष्प करत हव अर्पण तोला, शक्ति स्वरूपा स्वाभिमानी।।


छंद साधक - रामकली कारे
बालको नगर कोरबा छत्तीसगढ़

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लावणी छंद- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

जगत जननी ममतामयी मिनीमाता-

अट्ठारह सौ छियानबे के, बात बतावत हँव तोला।
पड़े रहय जब अकाल भारी, बेच डरिन सब घर कोला।।

तीन बछर के अकाल बैरी, कमर सबो के टोर डरे।
दाना दाना बर सब तरसे, लोगन भूखन प्यास मरे।।

पंडरिया के गाँव सगोना, मालगुजार बुधारी जी।
खाय कमाये निकल पड़े तब, संग पत्नि बुधियारी जी।।

चाउँरमति अउ पारबती, देवमती तीनों बेटी।
छोट छोट लइका ला राखे, मुड़ी उठाये दुख पेटी।।

चले कमाये असम राज मा, सब्बो बैठ रेलगाड़ी।
बीच सफर मा दू बेटी के, देख जुड़ागे तन नाड़ी।।

भूख प्यास मा दू बेटी ला, परगे जिनगी ले खोना।
दिल मा पथरा बाँध रखे जी, कोंन सुनय ममता रोना।।

मातु पिता के गोद बचिस तब, देवमती बेटी इक झन।
कोंख येखरे जनम धरिस हे, मीनाक्षी अनमोल रतन।।

आगे चलके जेन कहाइस, ममता मयी मिनी माता।
दीन दुखी के बनिस मसीहा, छतीसगढ़ से रख नाता।।

सन उन्निस सौ तेरह के अउ, तेरह तारीख पहाती।
लेइस जनम मिनी माता जी, दहन होलिका के राती।।

असम राज के नवागांव मा, जनम धरे माटी पावन।
धन्य बुधारीदास पिता हो, माता बुधयारिन दामन।।

दग दग काया कंचन जइसे, चमके माँ सूरत भोली।
जग उद्धार करे बर आये, ममता भरके माँ ओली।।

जन्म ग्राम सलना ला छोड़े, जमुनामुख मा आ बसगे।
पाय प्राथमिक तक शिक्षा माँ, देश प्रेम तन मन रसगे।।

सतनामी समाज छत्तीसगढ़, अगमदास गुरु गोसाई।
रामत सामत करत पहुँचगे, असम राज के परछाई।।

निसंतान गुरु जी हा राहय, चिंता उत्तराधिकारी।
ब्याह करे बर मीनाक्षी से, बात करिस पिता बुधारी।।

कहे बुधारीदास संत जी, अहो भाग गुरु  हमरे हे।
बनहि बहू गुरु कुल मीनाक्षी, ओखर किस्मत सँवरे हे।।

दू तारीख जुलाई महिना,सन उन्निस सौ तीस रहे।
धूमधाम से शादी होगे, जन जन जय जयकार कहे।।

राजनीति मा अगुवा गुरु जी, काम करे जन प्रिय भावन।
लोकसभा मा सांसद बनगे, सन उन्निस सौ जी बावन।।

अगम दास सतलोकी होगे, तरस गये माँ सुख अंगद।
सन तिरुपन के उपचुनाव मा, बनिस मिनीमाता सांसद।।

मध्यप्रदेश अविभाजित के, सांसद पहिली महिला ये।
ज्ञानवान माँ प्रखर प्रवक्ता, विचार जेखर गहिला ये।।

तीन बार माँ लगातार जी, करिस सुशोभित खुद आसन।
बाँध रखे राहय मुट्ठी मा, सबो प्रशासन अउ शासन।।

सन उन्निस सौ इक्यासी मा, हसदो बाँध बनाये बर।
माँ प्रस्ताव रखिस संसद मा, भूख अकाल मिटाये बर।।

संसद ले मंजूरी ला के, बनगे माँ भाग्य विधाता।
नामकरण ला मिलके राखिन, बांगो बाँध मिनीमाता।।

माँगिस कानून एक अइसे, सत्रह अप्रैल तिरुपन के।
अश्पृश्यता करे निवारण, दुःख हरे माँ जन जन के।।

आठ मई उन्निस सौ पचपन, करिस राष्ट्रपति मंजूरी।
एक जून सन पचपन मा जी, सपना होइस माँ पूरी।।

बड़े बड़े नेता मन से तो, माँ के राहय पहिचानी।
रहिस इंदिरा खास करीबी, राखे खुदे स्वाभिमानी।।

श्रमिक हित मा कदम बढ़ाइस, देख इँखर जी करलाई।
छत्तीसगढ़ मजदूर संघ के, गठन करिस  तब भेलाई।।

कांड करिस गुरुवाइन डबरी, बन सवर्ण मन उन्मादी।
ला कटघरा खड़ा कर दिस माँ, तब सुनौ इंदिरा गाँधी।।

जिनगी ला अर्पण कर दिस माँ, जन जग दीन भलाई मा।
सत उपदेश धरे अँचरा गुरु, घासीदास दुहाई मा।।

काल बरोबर बनके आइस, ग्यारह अगस्त बहत्तर जी।
छोड़ सबो ला माता चल दिस, रोये धरती अम्बर जी।।

लौट चले आजा ओ माता, जन जन आज पुकारत हे।
गजानंद बन दुखिया बेटा, श्रद्धा सुमन चढ़ावत हे।।

छंदकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
 बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

6 comments:

  1. बहुत सुंदर संकलन गुरूदेव सादर वंदन

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  2. बहुत सुग्घर संग्रह

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  3. बहुत सुग्घर संकलन, जम्मो रचनाकार मन ला बहुत बधाई

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  4. मिनी माता के पुण्य तिथि मा सुघ्घर रचना संकलित करके राखे हवव💐💐💐

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