कृष्ण जन्माष्टमी विशेषांक छंदबद्ध- रचनाये
खैरझिटिया:मोला किसन बनादे (सार छंद)
पाँख मयूँरा मूड़ सजादे,काजर गाल लगादे|
हाथ थमादे बँसुरी दाई,मोला किसन बनादे |
बाँध कमर मा करिया करधन,बाँध मूड़ मा पागा|
हाथ अरो दे करिया चूड़ा,बाँध गला मा धागा|
चंदन टीका माथ लगादे ,पहिरा माला मुंदी|
फूल मोंगरा के गजरा ला ,मोर बाँध दे चुंदी|
हार गला बर लान बनादे,दसमत लाली लाली |
घींव लेवना चाँट चाँट के,खाहूँ थाली थाली |
मुचुर मुचुर मुसकावत सोहूँ,दाई लोरी गादे।
हाथ थमादे बँसुरी दाई,मोला किसन बनादे |
दूध दहीं ला पीयत जाहूँ,बंसी मीठ बजाहूँ|
तेंदू लउड़ी हाथ थमादे,गाय चराके आहूँ|
महानदी पैरी जस यमुना, रुख कदम्ब बर पीपर।
गोकुल कस सब गाँव गली हे ,ग्वाल बाल घर भीतर।
बाग बगीचा मधुबन जइसे,हे जंगल अउ झाड़ी|
बँसुरी धरे रेंगहूँ मैंहा ,भइया नाँगर डाँड़ी|
कनिहा मा कँस लाली गमछा,पीताम्बर ओढ़ादे।
हाथ थमादे बँसुरी दाई,मोला किसन बनादे |
गोप गुवालीन संग खेलहूँ ,मीत मितान बनाहूँ|
संसो झन करबे वो दाई,खेल कूद घर आहूँ|
पहिरा ओढ़ा करदे दाई ,किसन बरन तैं चोला|
रही रही के कही सबो झन,कान्हा करिया मोला|
पाँव ददा दाई के परहूँ ,मिलही मोला मेवा |
बइरी मन ला मार भगाहूँ,करहूँ सबके सेवा|
दया मया ला बाँटत फिरहूँ ,दाई आस पुरादे।
हाथ थमादे बँसुरी दाई,मोला किसन बनादे |
जीतेंद्र वर्मा "खैरझिटिया "
बालको (कोरबा )
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कृष्ण जन्म (छप्पय छंद)
भादो महिना आय , जनम धर किशन कन्हैया ।
भाग अपन सॅहराय , यशोदा बनगे मइया।।
सब झन खुशी मनाय , बधाई बाजे बाजा ।
गावय मंगल गान , सबो परजा सॅग राजा ।।
बाल रुपी हरि आय हे , जग मा मंगल छाय हे ।
नंद लाल मुस्काय जी , सबके मन ला भाय हे ।।
रेशम डोर बॅधाय , हवै चंदन के पलना।
सोय मगन मुस्काय , यशोदा माॅ के ललना।।
खींचत पलना डोर , यशोदा लोरी गावै ।
सुतिजा बेटा मोर , मातु निंदिया ल बलावै ।।
बेर घलो बुड़गे हवै , कान्हा करय अराम जी।
कहय सरग के देवता , जय मनमोहन श्याम जी।।
खेले तॅय घर द्वार , नंदरानी के दुलरू।
बॅधे पाॅव मा तोर , छमाछम बाजे घुॅघरू।।
ठुमक ठुमक के चाल , देख सब हर्षित होथे
मातु यशोदा तोर , अपन सुध बुध ला खोथे ।।
गोकुल के राजा तहीं , यादव कुल के शान जी ।
नर लीला तॅयहा करे ,बाल रूप भगवान जी ।।
साधक कक्षा 10
परमानंद बृजलाल दावना
भैंसबोड़
6260473556
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सूर्यकांत गुप्ता
"हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।"
बाढ़ै अत्याचार, होय अवतार प्रभू के।
कर दै बेड़ापार, जगत आधार न चूके।।
दिन बादर हे आज, उही महुरत सँघरागे।
बाजै बढ़िया साज, जनम दिन कान्हा आगे।।
बहिनी बर तो प्रेम, कंस के जानौ अड़बड़।
करिस बंधु के अहम्, मगर सब कोती गड़बड़।।
खुद ला समझ अजेय, बंधु तो हे बौराये।
नारद बचन सुनाय, कंस ला मौत बलाये।।
नारद बोलिस कंस, मारही पूत देवकी।
संख्या ओकर आठ, जान ले बात देव की।।
आय आठवाँ कोन, मँहू नइ जानत हावँव।
रहिके मुनिवर मौन, कहिस मैं जावत हावँव।।
सुन नारद के बात, कंस के सुध हेरागै।
सोच सोच दिन रात, ओखरो जी डेरागै।।
बाँधिस बेड़ी पाँव, देवकी अउ भाँटो के।
कहिस जेल तुम जाव, पाव अब दुख आँसो के।।
जनमत गइन कोंख देवकी ले लइका मन ।
पाइस नही समोख मार दिस कंस ममा बन।।
मारिस सातों पूत देवकी के वो पापी।
लइस प्रभू अवतार हते बर कंस प्रतापी।।
आठे भादो रात, रहै अँधियार पाख के।
जँउहर ओ बरसात, नई कहि सकौं भाख के।।
कान्हा नटवर श्याम, करिन उन अद्भुत लीला।
आइन मथुरा धाम, देवकी के बन पीला।।
करिन याद वसुदेव, कंस के अत्याचारी।
कहिन करौं का देव, देवकी ओ महतारी।।
चलिन पिता वसुदेव, सूप मा धरे कन्हैया।
गोकुल घर बलदेव, जहाँ हे बन के भइया।।
मात यशोदा नंद, बाप बन मन हर्षाये।
नोनी ला वसुदेव, कंस बर मथुरा लाये।।
पर ओ मूरख जान, घलो बेटी ला मारय।
बेटी देवी मान, काल ला ओही टारय।।
देवी कहिस सियान कंस तैं मरबे अब तो।
आ गे हे भगवान, काय तैं करबे अब तो।।
गोकुल मा आनंद, मनावैं नंद यशोदा।
खेलैं बाल मुकुंद, लेन आनंद हमू गा।।
आप जम्मो झन ला भगवान नारायण के कृष्णावतार अवतरण के अब्बड़ अकन बधाई सहित सादर..
जय जोहार....
सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग...
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: सरसी छंद आधारित गीत
मुरलीधर मनमोहन माधव, मुरली मीठ बजाय ।
धुन सुन गोप गवालिन नाचय, सबके मन ला भाय ।।
राधा रानी रात रात भर, सपना देखे तोर ।
खाना पीना छोड़ छाड़ के, राहय तोर निहार ।।
तोर मुरली म का जादू हे, करिया कान्हा मोर ।
घर घर जाके तिही चुराये, मोहन माखन चोर ।।
तोर मुरली के धुन म माधव, जग ला सरी नाचय ।
मुरलीधर मनमोहन माधव, मुरली मीठ बजाय ।।
गुरतुरहा मुरली धुन सुनके, बछरू गाय मतंग ।
नंदराज के तिही दुलरवा, ग्वालन हें सब संग ।।
बलदाउ तोर बडखा भाई, यशोमति के लाल ।
यमुना तीर म रास रचाये, तै पापी बर काल ।।
कंश नाश करके मन मोहन, जग ले पाप भगाय ।
मुरलीधर मनमोहन माधव, मुरली मीठ बजाय ।।
छंदकार
पुरूषोत्तम ठेठवार
ग्राम - भेलवाँटिकरा
जिला - रायगढ
छत्तीसगढ
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: दुर्मिल सवैया
दुर्गा शंकर ईजारदार
मुरली धर मोहन की जय हो जय चक्र सुदर्शन हाथ धरे ।
सुख कारन माधव की जय हो भव सागर पार अनाथ करे ।
बँसुरीधर केशव की जय हो नटराज हरे सब दुःख हरे ।
जग पाप हरे नर की जय हो मुटका पटके तब कंस तरे।।
दुर्गा शंकर ईजारदार
सारंगढ़
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दिलीप वर्मा
यशोदा के हर ये ओ लाल।
कन्हैया करथे बड़ा कमाल।
बिगाड़य अपन ममा के चाल।
करे रकसा के बारा हाल।
रहे छोटे तब घर-घर जाय।
चुराके माखन मिसरी खाय।
सखा सब संग धरे ओ आय।
फोर के घघरी उधम मचाय।
चराये बधुबन लेगय गाय।
मुरारी मुरली मधुर बजाय।
गोपियाँ सुध बुध रहे भुलाय।
वसन बिन दउड़त मधुबन आय।
लड़कपन मइया ला बड़ भाय।
कन्हैया धुर्रा रहे सनाय।
धरे रोटी अँगना मा जाय।
लूट कउँवा हर रोटी खाय।
ठुमक ठुम रेंगय अँगना खोर।
करत हे पायल सुग्घर शोर।
यशोदा सुन के होय विभोर।
बड़ा नटखट हे माखन चोर।
रचनाकार- दिलीप कुमार वर्मा
बलौदाबाजार छत्तीसगढ़
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हरिगीतिका छंद-
(1)नन्दलाल
हे नन्द लाला तोर ये,मुरली घलो बइरी बने।
दिन रात मँय हाँ सोंच थँव,गुन गाँव मँय मन ही मने।।
घर द्वार मोला भाय नइ,सुन तोर मुरली तान ला।
मँय घूम थँव घर छोड़ के,कान्हा इहाँ अन पान ला।।
(2)नन्दलाल
गोपी कहे कृष्ण से-
जमुना नदी के पार मा,काबर तहूँ इतराय रे।
चोरी करे कपड़ा तहूँ,अउ डार मा लटकाय रे।।
हम लाज मा शरमात हन,तँय हाँस के बिजराय रे।
अइसन ठिठोली छोड़ दे,अब जीव हा गुस्साय रे।।
(3)नन्दलाला
कान्हा कहे राधा से-
ए राधिका सुन बात ला,तँय मोर हिरदे छाय हस।
मोरे मया ला पाय के,गजबे तहूँ इतराय हस।।
राधा बने तँय श्याम के,ये देख दुनिया जानथे।
राधा बिना हे श्याम हा,अब संग मा पहिचान थे।।
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छंद साधक - सत्र-5
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम
(छत्तीसगढ़)
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सरसी छंद आधारित गीत
मुरलीधर मनमोहन माधव, मुरली मीठ बजाय ।
धुन सुन गोप गवालिन नाचय, सबके मन ला भाय ।।
राधा रानी रात रात भर, सपना देखे तोर ।
खाना पीना छोड़ छाड़ के, राहय तोर निहोर ।।
तोर मुरली म का जादू हे, करिया कान्हा मोर ।
घर घर जाके तिही चुराये, माखन मोहन चोर ।।
तोर मुरली के धुन म माधव, जग ला सरी नाचय ।
मुरलीधर मनमोहन माधव, मुरली मीठ बजाय ।।
गुरतुरहा मुरली धुन सुनके, बछरू गाय मतंग ।
नंदराज के तिही दुलरवा, ग्वालन हे सब संग ।।
बलदाउ तोर बडखा भाई, यशोमति के लाल ।
यमुना तीर म रास रचाये, तै पापी बर काल ।।
कंश नाश करके मन मोहन, जग ले पाप भगाय ।
मुरलीधर मनमोहन माधव, मुरली मीठ बजाय ।
छंदकार
पुरूषोत्तम ठेठवार
ग्राम -भेलवाँटिकरा
जिला -रायगढ
छत्तीसगढ
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वासन्ती: मदिरा सवैया
*मोहन*
मोहन ओंठ धरे मुरली मनभावन बाजय बाँसुरिया ।
मीठ लगे मुरली धुन मोहन, गावँय गीत सबो सखियाँ ।।
बाल सखा सब नाचय, मोहन फोड़य माखन के हड़ियाँ ।
मात जसोमति देखन लागय, रेंगत गोकुल के गलियाँ ।।
-वसन्ती वर्मा
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: श्रृंगार छंद :-
*कन्हैया हे माखन चोर*
कन्हैया हे माखन चोर,
फोर देथे मटकी मोर।
भाग जाथे कान्हा तोर,
होत हे गोकुल मा शोर।।
सबो लइका सँग मा आय,
देख जम्मो बड़ इँतराय।
ढील देथे बछरू गाय,
चढ़े ऊपर माखन खाय।।
कभू छेड़य रद्दा बाट,
कभू छेड़य यमुना घाट।
तोर कान्हा के ये काम,
करै सबझन ला बदनाम।।
यशोदा किशन ल सम्भाल,
बिगड़गे लइका के चाल।
चलत हे मनमानी राज,
शिकायत हे सबके आज।।
जगदीश "हीरा" साहू
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रोला छंद
"बन के आ जा गोप"
"भूख मरत हवँ श्याम, कहाँ ले माखन खाबे?
रोवत हावय गाय, शकुन कब गाय चराबे?
ललचाए के बात, कहाँ अब माखन भैया,
बछरू मरगे मोर, बचै कइसे अब गइया ?
बनके आजा गोप, गाय ला बने चराबे।
मुश्किल मा हे जान, प्राण ला तहीं बचाबे।
बछरू मन ला देख, पेट भर पसिया देबे।
मन मा तैंहर ठान, मोर अरजी सुन लेबे।
शकुन्तला शर्मा...
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[ज्योति गबेल:
अरविंद सवैया
किसना बॅसुरी बनके यमुना कुलकै छलकै बहथें झन झोर ।
मनुहार मनोहर हे बॅसुरी सुर बाजत से यमुना हर छोर ।
बइठे हस डार कदम्ब झुके यमुना जल धोवय से पग तोर ।
मन मोहन के बॅसुरी सुन ग्वालिन बोलत हे किसना चितचोर ।
🌺 *ज्योति गभेल*। (कोरबा )
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लाावनी छंद - विरेन्द्र कुमार साहू, बोड़राबाँधा (राजिम)
आज जरूरत हे दुनिया ला, धरम धजा करदे रोहन।
मारे बर कलयुग के दानव, दरश दिखादे तँय मोहन।
हरियर निधिवन वृन्दावन सँग, जम्मों वन ठुठवा परगे।
धरती दाई के चोली हा, भरभर भुर्री कस बरगे।
तोर बिना गौ माता उप्पर , अत्याचार हवय होवत।
अबला बेटी बहिनी मन सब, लाज अपन हावैं खोवत।
बाढ़त हावै कौरव सेना, गुरु सियान बेबस बइठे।
चौराहा मा दुःशासन मन, हाथ ल बेटी के अइठे।
रोवत हवै किसान घलो हा, आँखी मा आँसू तरतर।
आजा बनके इनखर हितवा,इन्दर ला ललकारे बर।
रद्दा देखत दुनिया वाले , किसन कन्हैया आजा तँय।
उनखर भारी दुख ला सुनके, हुँतकारत हौं तोला मँय।
छंद साधक - विरेन्द्र कुमार साहू, बोड़राबाँधा (राजिम)(छंद के छ -9)
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: अरविंद सवैया
कृष्ण जन्म
सब गोप गुवालिन नाँचत हे सँवरे अँगना परछी घर आज
जमुना करिया सँहरावत हे सँउहे प्रगटे जग के सरताज।
मनमोहन रूप धरे बढ़िया सब देखत जी बिसरे हर काज।
फुलवा बरसा सब देव करै हरसै चितचोर मनोहर आज।।
कौशल कुमार साहू
सुहेला(फरहदा)
जिला:-बलौदाबाजार-भाटापारा
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रामकली कारे: कुकुभ छंद - (यशोदा के ललना)
सब सखियन के मरकी फोरे, माखन लूटे अउ खावै।
संग राधिका जमुना तट मा, प्रेम रतन के सुख पावै।।
नन्द यशोदा जी के ललना, बड़ सुन्दर श्याम सलोना।
मन भावन हे छवि अति मोहक, बगरत मुख दही बिलोना।।
मोर पंख के मुकुट सुघर हे, गर भरे मोतियन माला।
पीत कछौटी कमर बंधे हे, कानन हे कुंडल बाला।।
मुरली मधुर बजाथे कान्हा, गोकुल मा रास रचाथे।
बाल ग्वाल अउ गइया गोपी, लीला कर अपन रिझाथे।।
सबके बिगड़े काम बनाथे, धरती सुग्घर सिरजाथे।
जनम धरे माटी मा संगी, गीता के सार बताथे।।
छंद साधक - रामकली कारे
बालको नगर कोरबा
छत्तीसगढ़
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रोला छंद
तिथि हे आठे आज, हवे भादों सुख कारी।
धरे जनम ब्रजराज , मनोहर मुरली धारी।।
वसुदेवा के लाल,देवकी हर जनमाए।
गोद जशोदा नंद,पले सब सुख बरसाए।।
मड़ियावत हे श्याम,कमर करधनियाँ डोले।
छुनुर -छुनुर छनकार,पाँव पैजनिया बोले।।
सोहत हावे पंख,मोर चूंदी घुघरारे।
चंदन केसर माथ, अधर है मुस्की डारे।।
ठमकत रेंगत जात,कभू हे गिर- गिर जावय।
रोवय चिंहुर पार,मात हर दउँड़त आवय।
बाँही भरे समाय,दुलारय गा महतारी।
बोहे अँसुवन धार,लगे सुसकत नटवारी।।
होगे पबरित आज, संग गोकुल ये भुइँया।
हरे बिघन सब राज,आय हे किसन- कन्हैया।
तोरण सजगे साज,बजे अब ढोल- ढमाका।
कर अगवानी श्याम,घरो घर लगे पताका।।
आ जा नंदकिशोर,यशोदा के तँय लाला।
सबो बिपत ला टोर,साँवरे मुरली वाला।।
बगरे करिया रात, हवे गा बड़ दुख भारी।
करव जतन कुछ आज,बचावव हे गिरधारी।।
स्वरचित
सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़
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आशा देशमुख: मंदारमाला सवैया----कृष्ण लीला
का मोहनी तोर बंशी म ऐसे सुने छोड़ आएं सबो काम ला।
दौड़े चले आँय गोपी गुवाला निहारें सबो मोहना श्याम ला।
कान्हा बतादे बनाये ग कैसे महाभाग तेँ नंद के ग्राम ला।
माथा नवावैं सबो देवधामी कहे धन्य वृंदावनी धाम ला।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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ज्योति गबेल
अरविंद सवैया
किसना बॅसुरी सुन के यमुना कुलकै छलकै बहथें झन झोर ।
मनुहार मनोहर हे बॅसुरी सुर बाजत से यमुना हर छोर ।
बइठे हस डार कदम्ब झुके यमुना जल धोवय से पग तोर ।
मन मोहन के बॅसुरी सुन ग्वालिन बोलत हे किसना चितचोर ।
🌺 *ज्योति गभेल*। (कोरबा )
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चलो सखी झुलना झुलाबो
जनम धरे हे नंदलाला, चलो सखी झुलना झुलाबो ।।
जग के वो रखवाला ,चलो सखी दर्शन पाबो।
चंदन के ओकर पलना बने हे
हीरा मोती के झालर लगे हे।
चलो सखी रेशम ड़ोरी लगाबो।।
चलो सखी झुलना झुलाबो ।।।
मोर मुकुट पिंयर रंग झबला
टुकुर टुकुर देखत हे सबला।
चलो पाँव पैजन पहिराबो ।
चलो सखी झुलना झुलाबो ।।
तँय बन ललिता मँय बनहूँ मीरा
काटे कान्हा जगत के पीरा।
वोकर पँइया मा माथ मढ़ाबो।
चलो सखी झुलना झुलाबो ।।
नंद यशोदा जी के वो दुलारा
ब्रज वासिन के प्राण अधारा।
मिलकर जयकारा लगाबो ।।
चलो सखी झुलना झुलाबो ।।
मंगल कलश दुवारी मढ़ाबो
घर अँगना मा चँउक पुराबो।
चारो खूँट दियना जलाबो।
चलो सखी झुलना झुलाबो ।।
बाँधो गली मा तोरन पताका
मथुरा में आये आज विधाता।
चलो नाच के आज रिझाबो।
चलो सखी झुलना झुलाबो ।।
माता यशोदा बाँटत कंगना
कहे मोर घर आये ललना।
गोदी में कान्हा ला पाबो।
चलो सखी झुलना झुलाबो ।।
सरग लोक ले देवता आये
लछमी सरस्वती फूल बरसाये ।
नारद जी ला धलो बलाबो।
चलो सखी झुलना झुलाबो ।।
दर्शन खातिर भोला आगे।
ड़मरू बजा के नाचन लागे।
चलो ओकरो दर्शन पाबो।
चलो सखी झुलना झुलाबो ।।
कतका कान्हा के महिमा गावौं
मँय अज्ञानी पार नइ पावौं।।
चरनन बलि बलि जाबो।।
चलो सखी झुलना झुलाबो ।।
केवरा यदु "मीरा "
राजिम
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मनहरण घनाक्षरी - (कृष्ण जन्म)
अजय अमृतांशु
बिधन मिटाये बर,गोकुल मा आये कृष्ण,आनंद मनावै लोग,
चारो कोती शोर हे ।
ब्रज में उमंग छाये,नाचत हे ब्रजबाला,आगे हवै नंदलाला, महकत खोर हे।
तोरण सजाये अउ,ढोल बजावय लोग,आरती सजाये सब,खड़े ओरी ओर हे।
कन्हैया के रूप देख,फूल बरसावै देव,जमुना के पानी कहै,भाग जागे मोर हे।
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: मतगयंद छंद : कृष्ण के होरी
बाल सखा सब संग धरे अउ हाँसत कूदत आवय टोली।
खोर गली घर ले निकले सब घूमत घामत हे हमजोली।
मारय रंग भरे पिचका अउ गाल मले सब खेलय होली।
श्याम सखा सब आवत जानय गोप गुवालन भागय खोली।
बाल सखा मन मोहन के सब खेलय हाथ धरे पिचकारी।
गाल मलै अउ भाल मलै सब देखव लेवत कोन उधारी।
गोप गुवालिन कूदत फाँदत भागत देवत हे अउ गारी।
रास रचा सब नाच नचावत देखन भावय कृष्ण मुरारी।
पोखन लाल जायसवाल
पलारी ( बलौदाबाजार )
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मिनेश: मनहरण घनाक्षरी
कृष्ण लीला
रास रचै वृंदावन,नाचत हे गोपी मन।
बांसुरी के धुन मा तो,सबो हा मोहाय हे।।
कान मा कुंडल सोहे,माथ के मुकुट मोहे।
कनिहा मा करधनी, मन ला लुभाय हे।।
संग मा हे राधारानी, कान्हा कहै मीठ बानी।
जुग जुग मया मोर, तोर ले जोराय हे।।
बड़ भारी लीला तोर,भाग ला जगादे मोर।
तरसथे अंखियन ,मन अकुलाय हे।।
मिनेश साहू
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श्लेष चन्द्राकर *कुण्डलिया छंद*
बंशीधर लेके जनम, जग मा आवव फेर।
हवय जरूरत आपके, चिटिक करव झन देर।।
चिटिक करव झन देर, पाप भुँइया मा बढ़हत।
नित सहि अत्याचार, मनुख मन रोवत कलपत।।
सुनके हमर गुहार, लहुट आवव मुरलीधर।
धरम बचाये फेर, रचव लील्ला बंशीधर।।
*श्लेष चन्द्राकर*
महासमुंद (छत्तीसगढ़)
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आशा आजाद: मदिरा सवैया
कृष्ण कहे समभाव रखौ नित प्रेम सबो बगरावव जी।
द्वेष कभू झन राखव जी सत मारग ला अपनावव जी।
क्रोध बड़ा नुकसान करे मन शांत म काज बनावव जी।
प्रेम रहे हिरदे म सदा नित मीठ मया ला सिखावव जी।।
आशा आजाद
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सरसी छंद आधारित गीत
मुरलीधर मनमोहन माधव, मुरली मीठ बजाय ।
धुन सुन गोप गवालिन नाचय, सबके मन ला भाय ।।
राधा रानी रात रात भर, सपना देखे तोर ।
खाना पीना छोड़ छाड़ के, राहय तोर निहोर ।।
तोर मुरली म का जादू हे, करिया कान्हा मोर ।
घर घर जाके तिही चुराये, माखन मोहन चोर ।।
तोर मुरली के धुन म माधव, जग ला सरी नाचय ।
मुरलीधर मनमोहन माधव, मुरली मीठ बजाय ।।
गुरतुरहा मुरली धुन सुनके, बछरू गाय मतंग ।
नंदराज के तिही दुलरवा, ग्वालन हे सब संग ।।
बलदाउ तोर बडखा भाई, यशोमति के लाल ।
यमुना तीर म रास रचाये, तै पापी बर काल ।।
कंश नाश करके मन मोहन, जग ले पाप भगाय ।
मुरलीधर मनमोहन माधव, मुरली मीठ बजाय ।
छंदकार
पुरूषोत्तम ठेठवार
ग्राम -भेलवाँटिकरा
जिला -रायगढ
छत्तीसगढ
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी(आठे कन्हैया) के हार्दिक बधाई-
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कृष्ण कन्हैया
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चलौ तिहार मनाबो भइया।
जनम धरे हे कृष्ण कन्हैया।।
कृष्ण पक्ष भादो के आठे ।
रतिहा घुप अँधियारी डाँटे।
जेल कंस के हे दुख दइया।
जनम धरे हे कृष्ण-कन्हैया।
देइस जनम देवकी माता।
गोदी आगे सुख के दाता।
वासुदेव गोकुल पँहुचइया।
जनम धरे हे कृष्ण-कन्हैया।
बाल कृष्ण के बात निराला।
संगी-साथी गोपी ग्वाला।
करै दुलार यशोमति मइया।
जनम धरे हे कृष्ण-कन्हैया।
जमुना तट मा धेनु चरावय।
खेलै कूदै रास रचावय।
मोहन मुरली मधुर बजइया।
जनम धरे हे कृष्ण-कन्हैया।
छुटपन मा दुष्टन ला मारिस।
मार बकासुर पुतना तारिस।
मथुरा जाके कंस बधइया।
जनम धरे हे कृष्ण-कन्हैया।
धरम धजा वोहा फहराइस।
महभारत के युद्ध कराइस।
द्रुपद सुता के लाज बँचइया।
जनम धरे हे कृष्ण-कन्हैया।
वोकर अदभुत हावै लिल्ला।
माथ नँवाबो माई पिल्ला।
आय उही भवपार लगइया।
जनम धरे हे कृष्ण-कन्हैया।
चोवा राम 'बादल '
हथबंद, छत्तीसगढ़
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1,मदिरा सवैया
मोहन माखन माँगत हे मइया मुसकावत देखत हे।
गोकुल के सब गोपिन ला घनश्याम दहीं बर छेकत हे।
देख गुवालिन के मटकी धरके पथरा मिल फेकत हे।
तारन हार हरे हरि हा पँवरी म सबे सिर टेकत हे।
2, मतगयंद सवैया
देख रखे हँव माखन मोहन तैं झट आ अउ भोग लगाना।
रोवत हावय गाय गरू झट लेज मधूबन तीर चराना।
कान ल मोर सुहाय नही कुछु आ मुरलीधर गीत सुनाना।
काल बने बड़ कंस फिरे झट आ मनमोहन प्राण बचाना।
गोप गुवालिन के सँग मोहन रास मधूबन तीर रचावै।
कंगन देख बजे बड़ हाथ के पैजन पाँव के गीत सुनावै।
मोहन के बँसरी बड़ गुत्तुर बाजय ता सबके मन भावै
एक घड़ी म दिखे सबके सँग एक घड़ी सबले दुरिहावै।
चोर सहीं झन आ ललना झन खा ललना मिसरी बरपेली।
तोर हरे सब दूध दहीं अउ तोर हरे सब माखन ढेली।
आ ललना झट बैठ दुहूँ मँय दूध दहीं ममता मन मेली।
मोर जिया ल चुरा नित नाचत गावत तैं करके अटखेली।
गोकुल मा नइ गोरस हे अब गाय गरू ह दुहाय नहीं गा।
फूल गुलाब न हे कचनार मधूबन हे नइ बाग सहीं गा।
मोर सबे सुख शांति उड़े मुरलीधर रास रचे न कहीं गा।
दर्शन दे झट आ मनमोहन हाथ धरे हँव दूध दहीं गा।
धर्म ध्वजा धरनी धँसगे झटले अब आ करिया फहराना।
खोर गली म भरे हे दुशासन द्रौपति के अब लाज बचाना।
शासक संग समाज सबे ल सुशासन के सत पाठ पढ़ाना।
झाड़ कदम्ब जमे कटगे यमुना मतगे मनमोहन आना।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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सुंदर संकलन गुरूदेव
ReplyDeleteबहुत बढ़िया संकलन
ReplyDeleteबहुत सुग्घर संग्रह । जम्मों आदरणीय मन ला हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबड़ सुघ्घर संकलन अउ जम्मो आदरणीय गुरुदेव जी संग साधक दीदी भैय्या मन के बड़ सुघ्घर प्रस्तुति आप मन बड़ अकन अंतस ले बधाई अउ शुभकामना पठोवत हवंव।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर संकलन तैयार होये हे, जम्मो रचनाकार मन ला बहुत बधाई
ReplyDeleteबढ़िया संकलन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विशेषांक
ReplyDeleteसुग्घर संकलन।
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