दोहा-चोवाराम वर्मा बादल
वंदत हँव गुरु के चरण ,सादर शीश झुकाय ।
धुर्रा माटी ला तको , सोना जेन बनाय ।।
नाम अरुण पावन हवय, लेत मिटै अज्ञान ।
हिरदे चोवा राम के ,जेकर धरथे ध्यान ।।
हे प्रभु जी माँगत हववँ , दे दे आशिर्वाद ।
"छंद के छ" परिवार हा , सदा रहय आबाद ।।
चोवा राम वर्मा बादल
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लावणी छंद -दिलीप वर्मा
मिलगे हे भगवान बरोबर,सब के प्यास बुझावत हे।
आनी बानी छंद सिखा के,सबके भाग जगावत हे।
ओ गुरुवर के आज जनम दिन,सुन अंतस हरसावत हे।
गाड़ा गाड़ा मिले बधाई,रोम रोम हर गावत हे।
छत्तीसगढ़ी छंद सिखाके,भाखा पोठ बनावत हे।
जेन विधा हर लुप्त रहिस हे, तेला आज जगावत हे।
शुद्ध ब्याकरण वाला रचना,रहे भाव मा गहराई।
गति यति मात्रा बाँट सही हो,अइसन सीखत हन भाई।
जनकवि कोदू राम दलित के,बेटा बिड़ा उठाये हे।
अपन पिता के चले डगर मा,खुद चल के चलवाये हे।
अइसन पूत मिले जन जन ला,जइसन गुरु हम पाये हन।
छंद सिखाइन हे जे गुरुवर,तेखर गुण हम गाये हन।
ऊपर वाला ले बिनती हे,गुरु के घर आबाद रहे।
लाख बरस के जिनगी होवय, हर दुख ले आजाद रहे।
जइसन मन मा ठाने हावय, तेन सफलता मिल जावय।
नाम अमर हो ये दुनिया मा, जे चाहय मंजिल पावय।
सौ ले जादा हम साधक मन,गुरु के आशिष पावत हन।
धन्य भाग हमरो हे संगी,जे गुरु के गुण गावत हन।
सदा मनावत रहन जनम दिन,आशिष गुरु के पावन जी।
अरुण निगम गुरुदेव जनम के,शुभ दिन आज मनावन जी।
दिलीप कुमार वर्मा
बलौदाबाजार 4-8-2019
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वीरेंद्र साहू-कुंडलियाँ
गोठ-सियानी मंत्र ले, मेटय मन-अँधियार।
सउँहे अरुण सहींक हे, गुरुवर अरुण कुमार।
गुरुवर अरुण कुमार, "दलित" के लाला खाटी।
गुन्निक ज्ञान निधान, मान जे देवय माटी।
छत्तीसगढ़ मा आज, नहीं हे जेखर सानी।
छंद ज्ञान के संग, सुनाथे गोठ-सियानी।।
छंद-साधक - विरेन्द्र कुमार साहू,
बोड़राबाँधा(राजिम)
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कुंडलियाँ छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बेरा मा मैं मोर के, कहिके तैं अउ तोर।
भाँखा के सम्मान बर, चले सबे ला जोर।
चले सबे ला जोर, गुरू जी अरुण निगम हा।
भरत हवय तब रोज, छंद के गागर कम हा।।
छंद के छ हा ताय, छंद सीखे के डेरा।
जुरमिल महिनत होय, मोर मैं के ये बेरा।
जुरियाये छोटे बड़े, गुरू शिष्य कहिलाय।
छंद के छ के क्लास हा, छंदकार सिरजाय।
छंदकार सिरजाय, राज भर मा कतको झन।
सीखे रोज सिखाय, लगाके सबझन तनमन।
गुरू निगम के सोंच, आज बढ़ चढ़ के धाये।
साहित पोठ बनायँ, सबे साधक जुरियाये।।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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कुंडलियाँ छंद
(स्वस्थ रहव गुरु आप जी, जिनगी हो खुशहाल।)
(मोर हवय शुभकामना, जियव बछर सौ साल।।)
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महिमा करौं बखान मैं, अरुण निगम गुरुदेव।
छत्तीसगढ़ पावन धरा, रखिस छंद के नेंव।।
रखिस छंद के नेंव, पाँव ला आगू रख के।
सँवरे हमरो भाग, छंद फल मीठा चख के।।
गजानन्द के आज, बढ़ाइस गुरु जी गरिमा।
अरुण निगम गुरुदेव, तोर मैं गावँव महिमा।।
अरुण निगम गुरुदेव के, महिमा करँव बखान।
ये दुनिया मा मोर बर, सउँहत वो भगवान।।
सउँहत वो भगवान,ज्ञान रुप मिलगे मोला।
पाये बर गुरु ज्ञान, रहिस भटकत जी चोला।।
जीवन उठे तरंग, बुढापा जस होय तरुण।
अइसे गुरु बन छाँव, मिले मोला देव अरुण।।
छंदकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )
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सरसी छंद-ज्ञानु
कलम चलत हे किरपा जेखर, मिले छंद के ज्ञान।
बड़का साहितकार छंदविद, नइ कर सकँव बखान।।
धन्य धन्य हे भाग हमर जी, अइसन गुरु हे साथ।
संग खड़े दुख सुख मा रहिथे, धरे हाथ मा हाथ।।
बात बात मा गोठ सियानी, सदा दिखाथे राह।
भेदभाव नइ जानय सिरतो, देथे नेक सलाह।।
सत साहित के ये छइहाँ मा, जीव जुड़ावँय मोर।
अपन शरण गुरु सदा राखहू, अतके मोर निहोर।।
जन्मदिवस मा इही कामना, रहव स्वस्थ खुशहाल।
फलन फुलन सानिध्य आपके, जियव बछर सौ साल।।
ज्ञानुदास मानिकपुरी
चंदेनी कवर्धा
साधक- सत्र-3
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गुरु महिमा(अमृत ध्वनि छंद)
गुरु के बानी सार हे, गुरु के ज्ञान अपार।
जे मनखे ला गुरु मिलै,होवत हे उपकार।।
होवत हे उप-कार सबो चल,माथ नवावौ।
महिमा जपलौ,माथा टेकव,गुन ला गावौ।।
मन ला सौंपव,गुरु भगती मा,मूरख प्रानी।
आवौ सुनलव,ध्यान लगावौ,गुरु के बानी।।
छंद साधक - 5
बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा(कबीरधाम)
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हेम: परम् आदरणीय गुरुदेव ला समर्पित दोहा
देवय गुरु आशीष ला, लेलव बढ़िया ज्ञान।
जिनगी हो जाही सुखी, करले गुरु के ध्यान।।
सच्चा गुरुवर जौन हे, चेला ना भटकाय।
मन के शंका दूर कर, हमला ज्ञान बताय।।
गुरुवर अच्छा तँय बना, मन मा सोच बिचार।
जिनगी के नइया लगे, भवसागर ले पार।।
गुरुवर कहना मान ले, भटकच नहीं सियान।
मानुष तन तोला मिले, झन कर गरब गुमान।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा (छ. ग.)
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मनहरण घनाक्षरी - आशा आजाद
छंद के विद्वान हावै,छंद गुरु कहलावै,
छंद ज्ञान बाँटत हे,सुघर विचार हे।
छंद के कक्षा चलावै,अमरित बगरावै,
छंद गुरुदेव हा जी,हमर अधार हे।
छंद संस्थापक हावै,साधक के मन भावै,
छंद ज्ञान राज बर,नेक उपहार हे।
छंद के गोठ सियानी,हावै बड़ ओ ज्ञानी,
अरुण निगम जी के,नमन सत्कार हे।।
छंदमयी गोष्ठी होवै,जुरमिल ओमा खोवै,
सुरमयी साज ले जी,मान ला बढ़ात हे।
छंद साधिका के वाणी,जम्मो हावय कल्याणी,
घर बइठे गुरु सबो,उनला सिखात हे।
छंद मा रमाये हवे,ज्ञान गंगा नित बहे,
गुरु शिष्य परंपरा,सबो अपनात हे।
छंद मा छंदाये हावै,साधक के मन भावै,
छंद परिवार के जी,जग गुन गात हे।।
छंदकार - आशा आजाद
पता - मानिकपुर कोरबा छत्तीसगढ़
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शोभामोहन श्रीवास्तव:गुरुवंदना
जयजय जयजय जय गुरुदेवा, जय गुरुदेवा।
जय हो गुरुदेवा।
जयजय जयजय जय गुरुदेवा, जय गुरुदेवा।।
जय हो गुरुदेवा ।।
ज्ञान धराय हवौ सुखदेवा, हौ सुखदेवा।
काट हमर दुख दालिद केवा ।।
जय हो गुरुदेवा, जय हो गुरुदेवा ।।
जय जय जय जय जय गुरुदेवा, जय गुरुदेवा।
जय हो गुरुदेवा ।।
जगत तुँहर जस देत उठेंवा, देत उठेंवा।।
भोग लगावन भाव कलेवा ।।
जय हो गुरुदेवा। जय हो गुरुदेवा ।।
जय जय जय जय जय गुरुदेवा, जय गुरुदेवा।
जय हो गुरुदेवा ।।
शोभामोहन बिन चरनन सेवा, चरनन सेवा।
लाज मरत झोकत गुन मेवा ।।
जय हो गुरुदेवा, जय हो गुरुदेवा ।।
जय जय जय जय जय गुरुदेवा ।जय गुरुदेवा।
जय हो गुरुदेवा ।।
शोभामोहन श्रीवास्तव
साधिका सत्र आठ
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छंद हा चारो डहर ,बगरत हवय।
ये बगीचा हा सुघर ,महकत हवय।
हे जनमदिन आज तो ,गुरुदेव के।
छंद मंदिर ला बनावत ,नेंव के।
आशा देशमुख
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अब्बड़ सुग्घर संकलन भइया जी प्रणम्य गुरुदेव जी मन ला जन्मदिन के नंगते बधाई 🙏🙏
ReplyDeleteभाई रचनाकार के, उत्तम हावै छंद।
ReplyDeleteपढ़के आइस हे बने, हमला जी आनंद।।
हमला जी आनंद, ज्ञान पाये हन गुरु ले।
बढ़िया छंद प्रबंध, घलो सीखे हन गुरु ले।।
भाखा ए पहिचान, तोर छत्तिसगढ़ दाई।
उत्तम हावै छंद, आप जम्मो के भाई।।
गुरुवर के कृपा कई पीढ़ी तक मिलत रहै
उनला जनमदिन के हिरदे ले बहुत बहुत बधाई
👌👌👍👍👏👏🙏🙏🌹🌹
जन्मदिन के बहुत बहुत बधाई गुरुदेव
ReplyDeleteजय जय जय गुरुदेव
ReplyDeleteसुग्घर गुरु महिमा छंद संकलन। सादर नमन गुरुदेव जी
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