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Wednesday, August 12, 2020

गुरू बालकदास जयंती विशेष छन्द बद्ध रचनाये

  

गुरू बालकदास जयंती विशेष छन्द बद्ध रचनाये

डी पी लहरे: रोला छंद 
गुरू बालकदास जयंती

सदगुरु बालकदास,जयंती आज मनाबो।
रहिस प्रतापी वीर,जगत ला बात बताबो।
सत के करय प्रचार,अमर राजा बलिदानी
संपत्ति अधिकार,दिलाइस हवय निशानी।।(१)

गुरू बजाइस सोझ,फिरंगी मन के बाजा।
कहिथे तभे समाज,गुरू बलिदानी राजा।।
जानैं लोक समाज,गुरू के पावन गाथा।
गुरू चरन मा आज,नवाँलन सबझन माथा।।(२)

राजा बालकदास,सबो जन के सुध लेवय।
करै सदा सत न्याय,सजा दोषी ला देवय।
औराबाँधा धाम,गुरू के अमर कहानी।
गुरू शहादत ग्राम,मुलमुला बने निशानी।।(३)

छंदकार
द्वारिका प्रसाद लहरे
कवर्धा छत्तीसगढ़

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 आल्हा छंद- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
सतनामी कुल जनम धरे हँव-

सतनामी कुल जनम धरे हँव, सतनामी मँय नाम कहाँव ।
अंश हरँव बलिदानी गुरु के, रखँव कभू नइ पाछू पाँव ।।

चरण पखारँव राजा गुरु के, सतनामी के मान बढ़ाय ।
सोये नींद जगाये खातिर, गाँव गाँव रावटी लगाय ।।

संग रहय सरहा जोधाई, भारी योद्धा इमन कहाय ।।
हाथ जोर इँहला बंदन हे, चरणों देवँव माथ नवाय ।।

लगे रावटी औराबांधा, जिहाँ गये गुरु बालकदास ।
ताँकत राहय दुश्मन बैरी, फेंके राहय धोखा फाँस ।।

टूट पड़े तब दुश्मन बैरी, हाथ लिये नंगी तलवार ।
मारो मारो काहन लागे, जिहाँ लगे गुरु के दरबार ।।

पीठ जोर के लड़े लड़ाई, सुकला लोटा थामे हाथ ।
साँस रहत सरहा जोधाई, आगू पाछू राहय साथ ।।

करम फूटगे सतनामी के, बालक गुरु के गिरगे लाश ।
श्राप दिये तब गुरु बालक जी, तुँहर वंश के होही नाश ।।

साँस हवय साँसा मा जब तक, महिमा गुरु मँय तोरे गांव ।
कलम बँधावय सुमता मोरे, मिलत रहय किरपा के छाँव ।।

✍🏻 इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
          बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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