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Saturday, August 15, 2020

छन्द के छ परिवार के प्रस्तुति-स्वतंत्रता दिवस विशेषांक


 

छन्द के छ परिवार के प्रस्तुति-स्वतंत्रता दिवस विशेषांक

 छंदकार--चोवा राम वर्मा 'बादल'

1 *भारत माता*
(चौपाई छंद)

जय जय हो जय भारत माता । जय किसान जय भाग्य विधाता।।
 धजा तिरंगा के जय जय हो। नजर परे बैरी मा भय हो।।

 जय शहीद बलिदानी मन के। हिंद निवासी जम्मों झन के।।
 अजर अमर हे भारत माता। तहीं हमर अच भाग्य विधाता।।

 शांति दूत जग जाहिर गाँधी। जे सुराज के लाइस आँधी।।
 बाल पाल अउ लाल जवाहर। लौह पुरुष सब हवयँ उजागर ।।

जय सुभाष जे फौज बनाइच। आजादी के अलख जगाइच।।
 भगत सिंग बिस्मिल गुरु अफजल। गोरा मन के टोरिन नसबल।।

 ऊँचा माथ चंद्रशेखर के। गौरव गाथा हे घर घर के।।
 रानी लक्ष्मी झाँसी वाली। दुर्गावती लड़िस जस काली ।।

 कतको झन हावयँ बलिदानी। जिंकर कोनो नइये सानी।। 
महराणा वो चेतक वाला। जेन अपन नइ छोड़िच भाला ।।

 वीर शिवाजी सुरता आथे। रोम-रोम पुलकित हो जाथे।।
 देवभूमि माँ हे कल्यानी। पबरित गंगा जमुना पानी ।।

सेवा मा सब हावय अरपन। 'बादल' के  ए तन मन अउ धन।।  
 रहिबे छाहित भारत माता ।सरग सहीं सब सुख के दाता ।।

2  तिरंगा के जय बोल
          (सार छंद)

आजादी के हमर परब मा, आँच कभू झन आवय।
 नीलगगन मा फहर तिरंगा, लहर लहर लहरावय।।

 दुनिया भर में चमचम चमकय, देश हमर ध्रुव तारा।
 दसो दिशा मा गूंँजत राहय,  पावन जय के नारा ।।

शेखर बिस्मिल बोस बहादुर, जेकर परम पुजारी ।
 जे झंडा ला प्राण समझथन, भारत के नर नारी।।

 थाम तिरंगा लड़ गोरा ले, दे हाबयँ कुरबानी ।
 जेला देख शत्रु डर्राके, रण मा माँगैं पानी।।

 बापू अउ सरदार नेहरू ,गुन गाइन सँगवारी।
 गावत राहय महिमा जेकर, कविवर अटल बिहारी।।

 देव हिमालय मूँड़ उठाके, जेकर महिमा गाथे।
उही धजा के बंदन करके, 'बादल' माथ नवाथे।।

चोवाराम वर्मा"बादल"
हथबन्द
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1, एक दिन के देश भक्ति (सरसी छन्द)-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

देशभक्ति चौदह के जागे, सोलह के छँट जाय।
पंद्रह तारिक के दिन बस सब, जय भारत चिल्लाय।

आय अगस्त महीना मा जब, आजादी के बेर।
देश भक्ति के गीत बजे बड़, गाँव शहर सब मेर।
लइका संग सियान मगन हे, झंडा हाथ उठाय।
पंद्रह तारिक के दिन बस सब, जय भारत चिल्लाय।

रँगे बसंती रंग म कोनो, कोनो हरा सफेद।
गावै हाथ तिरंगा थामे, भुला एक दिन भेद।
तीन रंग मा सजे तिरंगा, लहर लहर लहराय।
पंद्रह तारिक के दिन बस सब, जय भारत चिल्लाय।

ये दिन आये सबझन मनला, बलिदानी मन याद।
गूँजय नाम नेहरू गाँधी, भगत सुभाष अजाद।
देशभक्ति के भाव सबे दिन, अन्तस् रहे समाय।
पंद्रह तारिक के दिन बस सब, जय भारत चिल्लाय।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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2, अपन देस(शक्ति छंद)

पुजारी  बनौं मैं अपन देस के।
अहं जात भाँखा सबे लेस के।
करौं बंदना नित करौं आरती।
बसे मोर मन मा सदा भारती।

पसर मा धरे फूल अउ हार मा।
दरस बर खड़े मैं हवौं द्वार मा।
बँधाये  मया मीत डोरी  रहे।
सबो खूँट बगरे अँजोरी रहे।

बसे बस मया हा जिया भीतरी।
रहौं  तेल  बनके  दिया भीतरी।
इहाँ हे सबे झन अलग भेस के।
तभो  हे  घरो घर बिना बेंस के।
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चुनर ला करौं रंग धानी सहीं।
सजाके बनावौं ग रानी सहीं।
किसानी करौं अउ सियानी करौं।
अपन  देस  ला  मैं गियानी करौं।

वतन बर मरौं अउ वतन ला गढ़ौ।
करत  मात  सेवा  सदा  मैं  बढ़ौ।
फिकर नइ करौं अपन क्लेस के।
वतन बर बनौं घोड़वा रेस के---।
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जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
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3, कइसे जीत होही(सार छंद)

हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी।
जे मन चाहै ये माटी हा,होवै चानी चानी----।

देश प्रेम चिटको नइ जानै,करै बैर गद्दारी।
भाई चारा दया मया ला,काटै धरके आरी।
झगरा झंझट मार काट के,खोजै रोज बहाना।
महतारी  ले  मया करै नइ,देवै रहि रहि ताना।
पहिली ये मन ला समझावव,लात हाथ के बानी।
हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी--।

राजनीति  के  खेल निराला,खेलै  जइसे  पासा।
अपन सुवारथ बर बन नेता,काटै कतको आसा।
मातृभूमि के मोल न जानै,मानै सब कुछ गद्दी।
मनखे  मनके मन मा बोथै,जात पात के लद्दी।
फौज  फटाका  धरै फालतू,करै मौज मनमानी।
हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी--।

तमगा  ताकत  तोप  देख  के,काँपै  बैरी  डर मा।
फेर बढ़े हे भाव उँखर बड़,देख विभीषण घर मा।
घर मा  ये  मन  जात  पात  के,रोज मतावै गैरी।
ताकत हावय हाल देख के,चील असन अउ बैरी।
हाथ  मिलाके  बैरी  मन ले,बारे  घर  बन छानी।
हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी----।

खावय ये माटी के उपजे,गावय गुण परदेशी।
कटघेरा मा डार वतन ला,खुदे लड़त हे पेशी।
अँचरा फाड़य महतारी के,खंजर गोभय छाती।
मारय काटय घर वाले ला,पर ला भेजय पाती।
पलय बढ़य झन ये माटी मा,अइसन दुश्मन जानी।
हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी-----।

घर के बइला नाश करत हे, हरहा होके खेती।
हारे हन इतिहास झाँक लौ,इँखरे मन के सेती।
अपन देश के भेद खोल के,ताकत करथे आधा।
जीत भला  तब कइसे होही,घर के मनखे बाधा।
पहिली पहटावय ये मन ला,माँग सके झन पानी।
हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी----।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा) छग
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4, बलिदानी (सार छंद)

कहाँ चिता के आग बुझा हे,हवै कहाँ आजादी।
भुलागेन बलिदानी मन ला,बनके अवसरवादी।

बैरी अँचरा खींचत हावै,सिसकै भारत माता।
देश  धरम  बर  मया उरकगे,ठट्ठा होगे नाता।
महतारी के आन बान बर,कोन ह झेले गोली।
कोन  लगाये  माथ  मातु के,बंदन चंदन रोली।
छाती कोन ठठाके ठाढ़े,काँपे देख फसादी----।
भुलागेन बलिदानी मन ला,बनके अवसरवादी।

अपन  देश मा भारत माता,होगे हवै अकेल्ला।
हे मतंग मनखे स्वारथ मा,घूमत हावय छेल्ला।
मुड़ी हिमालय के नवगेहे,सागर हा मइलागे।
हवा  बिदेसी महुरा घोरे, दया मया अइलागे।
देश प्रेम ले दुरिहावत हे,भारत के आबादी----।
भुलागेन बलिदानी मन ला,बनके अवसरवादी।

सोन चिरइयाँ अउ बेंड़ी मा,जकड़त जावत हावै।
अपने  मन  सब  बैरी  होगे,कोन  भला  छोड़ावै।
हाँस हाँस के करत हवै सब,ये भुँइया के चारी।
देख  हाल  बलिदानी  मनके,बरसे  नैना धारी।
पर के बुध मा काम करे के,होगे हें सब आदी--।
भुलागेन  बलिदानी मन ला,बनके अवसरवादी।

बार बार बम बारुद बरसे,दहले दाई कोरा।
लड़त  भिड़त हे भाई भाई,बैरी डारे डोरा।
डाह  द्वेष  के  आगी  भभके ,माते  मारा   मारी।
अपन पूत ला घलो बरज नइ,पावत हे महतारी।
बाहिर बाबू भाई रोवै,घर मा दाई दादी--------।
भुलागेन बलिदानी मन ला,बनके अवसरवादी।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
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5, हमर तिरंगा(दोहा गीत)

लहर लहर लहरात हे,हमर तिरंगा आज।
इही हमर बर जान ए,इही  हमर ए लाज।
हाँसत  हे  मुस्कात  हे,जंगल  झाड़ी देख।
नँदिया झरना गात हे,बदलत हावय लेख।
जब्बर  छाती  तान  के, हवे  वीर  तैनात।
सुबे  कहाँ  संसो  हवे, नइहे  संसो   रात।
महतारी के लाल सब,मगन करे मिल काज।
इही--------------------------------- लाज।

उत्तर  दक्षिण देख ले,पूरब पश्चिम झाँक।
भारत भुँइया ए हरे,कम झन तैंहर आँक।
गावय गाथा ला पवन,सूरज सँग मा चाँद।
उगे सुमत  के  हे फसल,नइहे बइरी काँद।
का का मैं बतियाँव गा, गजब भरे हे राज।
लहर------------------------------लाज।

तीन रंग के हे ध्वजा, हरा गाजरी स्वेत।
जय हो भारत भारती,नाम सबो हे लेत।
कोटि कोटि परनाम हे,सरग बरोबर देस।
रहिथे सब मनखे इँहा, भेदभाव ला लेस।
जनम  धरे  हौं मैं इहाँ,हावय मोला नाज।
लहर-----------------------------लाज।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)

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दोहा छंद - रामकली कारे

धरे तिरंगा हाथ मा, फहराबो आगास।
चारों कोती गुॅज उठय, छाये हे उल्लास।।

आजादी ला पाय बर, दिहिंन वीर बलिदान।
सीना तान खड़े रहिन, भारत के सन्तान।।

भारत भुइॅया ला करिन, जय जय जय जोहार।
आजाद भगत के लहू, दुश्मन दय ललकार।।

आवव मिलके सब करिन, जन गण मन के गान।
ऊॅचा भारत भाल हो, बाढ़य रोजे मान।।

हरियर सादा केसरी, झंडा हे पहिचान।
सुख शान्ति अउ शक्ति के, करवाथे गा भान।।

खड़े सजग सैनिक हमर, आगी के अंगार। 
देवय यज्ञ आहूति मा, आवय दुश्मन पार।।

लगा प्राण बाजी हमर, रक्षा करबो आज।
मातृ भूमि ले बड़ मया, अउ करथन गा नाज।।

छंद साधक - रामकली कारे 
बालको नगर कोरबा छत्तीसगढ़
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दोहा चौपाई छंद-द्वारिका प्रसाद लहरे

भाई-चारा एकता,भारत के पहिचान।
मिलके रहिथन संग मा,कोनों नोहन आन।।

भारत भुँइयाँ के गुन गावौं,
होत बिहनिया माथ नवावौं।
ये माटी मा जनम बितावौं,
सात जनम बर येला पावौं।।

तीन रंग के धजा तिरंगा,
देखत मा मन होवय चंगा।
हमर एकता भाई-चारा,
रहिथन मिलके झारा-झारा।।

ऊँचा भारत देश के,राहय जग मा भाल।
सबो बढ़ाबो मान ला,हम भारत के लाल।।

सरग बरोबर भारत भुँइयाँ,
झरना सागर लागय पँइयाँ।
तरिया नदिया पाँव पखारे,
खड़े हिमालय बाँह पसारे।।

अब्बड़ सोहे हवय पहाड़ी,
हरियर-हरियय जंगल झाड़ी।
फूल बाग के पहिरे साँटी,
खेत-खार के महके माटी।।

पावन भारत देश के,कतका करँव बखान।
सरग बरोबर लागथे,सुख के इहाँ खदान।।

जगत गुरू भारत कहिलावै,
सोन चिरइयाँ जग दुलरावै।
अजर-अमर भारत के गाथा।
जुग-जुग टेंकय जग हा माथा।।

आनी-बानी गहना गोंटी,
भरे धान के सुघ्घर ओंटी।
जीव-जगत ला पार लगावै,
भारत भुँइयाँ सब ला भावै।।

वंदन भारत देश ला,जग मा हवय महान।
नमन् हवय सब वीर ला,जे होगें बलिदान।।

छंदकार
द्वारिका प्रसाद लहरे
बायपास रोड़ कवर्धा 
छत्तीसगढ़
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: सार छन्द- गुमान प्रसाद साहू 
।।परब आजादी।।

आये हावय परब अजादी, जुरमिल सबो मनावव।
जय बोलव भारत माता के, राष्ट्र गान ला गावव।
बड़ मुश्किल मा मिले हवै जी, सब ला ये आजादी।
अउ होवन झन देहू संगी, अइसन जी बरबादी।
हरय तिरंगा शान देश के, लहर लहर लहरावव।
आये हावय परब अजादी, जुरमिल सबो मनावव।।
मनखे मनखे एके हावय, भेद कभू झन जानौ।
जात पात के पाटव डबरा, धरम देश ला मानौ।
भेद मिटालव ऊँच नीच के, सुमता डोर बँधावव।
आये हावय परब अजादी, जुरमिल सबो मनावव।।

रचना- गुमान प्रसाद साहू, ग्राम समोदा(महानदी)
जिला -रायपुर, छत्तीसगढ़।                    
 छन्द साधक - कक्षा "6"
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शंकर छंद :- जय बोलव भारत माता के

जय बोलव  भारत माता के,  आय सबके शान।
मौका  हे  करजा  छूटे  के,  लगा  देवव  जान।।
बैरी  ऊपर  टूट  परव  जी, तुमन  बनके  काल।
सोचव झन आगू का होही, आज ठोंकव ताल।।

कूटी-कूटी दुश्मन ला  करके, भेज ओकर देस।
भूला जाही खुसरे  बर जी, वो  बदल के भेस।।
कसम हवय  दाई के तोला,चुका करजा आज।
तोर  रहत  ले झन  बगरै  जी, इहाँ  गुंडाराज।।

जाति धरम मा बाँट-बाँट के, टोरय  हमर देस।
वो मनखे ला गोली मारव, मिट जाही कलेस।।
मार भगावव  तुमन  सबो ला, जेन देवय संग।
तब मिटही  दुनिया ले  भाई, आतंक  के रंग।।

जगदीश "हीरा" साहू
कड़ार (भाटापारा)
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 कुण्डलिया -अजय अमृतांशु

आजादी के रंग मा,रंगे हवय परिवेश।
रंग बसंती छाय हे,झूमत हावय देश।।
झूमत हावय देश,भगतसिंह सुरता आथे।
खुदीराम के त्याग, जोश मन मा भर जाथे।।
सुन गाँधी के बात, देश मा छागे खादी।
कतको दिन बलिदान, पाय बर ये आजादी।।

अजय अमृतांशु
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
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: कुंडलिया - कन्हैया साहू 'अमित'

धजा तिरंगा देश के, फहर-फहर फहराय।
तीन रंग के शान ले, बैरी घलो डराय।
बैरी घलो डराय, रहय कतको अभिमानी।
देबो अपन परान, निछावर हमर जवानी।
गुनव अमित के गोठ, कभू  झन आय अड़ंगा।
जनगण मन रखवार, अमर हो धजा तिरंगा।


छतरंगा संस्कृति इहाँ, आनी-बानी भेस।
अनेकता मा एकता, हावय भारत देस।
हावय भारत देश, मिलय दाई कस ममता।
अलग धरम अउ जात, तभो ले दिखथे सुमता।
कहय अमित हा आज, सुमत मा रहिथें चंगा।
सुग्घर तीज तिहार, इहाँ संस्कृति छतरंगा।


धजा तिरंगा देख के, बैरी हा थर्राय।
संग हवा के ऊँच मा, लहर-लहर लहराय।
लहर-लहर लहराय, गजब झंडा हा फर-फर।
काँपय कपसै ठाढ, देख के बैरी थर-थर।
कहय अमित हा आज, इहाँ रक्छक बजरंगा।
अड़बड़ फभित अगास, हमर हे धजा तिरंगा।


बनँव पतंगा देश बर, अपने प्रान गवाँव।
धरँव जनम जे बेर मैं, भारत भुँइयाँ पाँव।
भारत भुँइयाँ पाँव, देश के बनँव पुजारी।
नाँव-गाँव सम्मान, इँहे ले हे चिन्हारी।
सिधवा झन तैं जान, बैर मा हरँव भुजंगा।
कहय अमित सिरतोन, देश बर बनँव पतंगा।


भुँइयाँ भारत हा हवय, सिरतों सरग समान।
सुमता के उगथे सुरुज, होथे नवा बिहान। 
होथे नवा बिहान, फुलय सब भाखा बोली।
किसिम किसिम के जात, दिखँय जी एक्के टोली।
गुनव अमित के गोठ, कहाँ अइसन जुड़ छँइयाँ।
सबले सुग्घर देश, सरग कस भारत भुँइयाँ।

कन्हैया साहू 'अमित'
भाटापारा छत्तीसगढ़
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*दोहा छंद - अमित टंडन अनभिज्ञ*
  
करव सुरक्षा देश के, स्वारथ छोड़व आज। 
कायरता के भेष मा, झन करहू जी काज॥ 

मिलके करलव काम जी, तभे कमाहू नाम। 
होही तब गुनगान हा, बढ़ही जी सम्मान॥ 

कर दव न्यौछावर सबों, तन मन धन अभिमान। 
भारत माता कहत हे, आगू बढ़व जवान॥ 

करव नाश दुख क्लेश के, मारग सुघर बनाव। 
गर्व करय जी देश हा, अइसन नाम कमाव। 

पावन भारत भूमि के, अड़बड़ हावय मान। 
झन समझव बेकार जी, जग मा हवै महान॥ 

भारत के सेना खड़े, सरहद मा दिन रात। 
मुँह तोड़ दय जवाब जी, दुश्मन खावय मात॥ 

-अमित टंडन अनभिज्ञ 
बरबसपुर, कवर्धा छ्त्तीसगढ़ 
 छंद साधक सत्र - 10
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अमर अटल बनहूँ फौजी (हेम के कुकुम्भ छंद)


कहिथे नोनी सुन दाई ला, अमर अटल बनहूँ फौजी।
अपन देश के रक्षा खातिर, करहूँ मँय हर मन मौजी।।

मोरो रग रग मा भारत हे, बनहूँ मँय हर मर्दानी।
सब दुश्मन ले लोहा लेहूँ, बन मँय झाँसी के रानी।।

जय भारत जय भाग्य विधाता, रोजे मँय गावँव गाथा।
हे भारत भुइँया महतारी, अपन लगालँव तोला माथा।।

बइरी मन के काल बनव मँय, घुसे नहीं सीमा द्वारी।
खड़े तान के सीना रइहूँ, सौ सौ झन बर मँय भारी।।

काली दुर्गा रणचंडी बन, बइरी ला मार भगाहूँ।
भारत के वीर तिरंगा ला, सदा सदा मँय लहराहूँ।।

अटल खड़े रइहूँ पहाड़ जस, अपन देश के मँय सीमा।
देख देख बइरी मन भागय, ताकत रखहूँ जस भीमा।।

दुश्मन कतको मार भगाहूँ, रहूँ एकदम मँय चंगा।
मर जाहूँ ता पहिरा देबे, मोला तँय कफन तिरंगा।।

जय भारत जय भारतीय के, बोले दुनिया जयकारा।
अपन वीर बलिदानी मन के, गूँजय सबो डहर नारा।।

-हेमलाल साहू
छंद साधक सत्र-01
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)
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सुखी सवैया - नीलम जायसवाल

जय हिन्द बलावत आज सबे, निज देश ध्वजा फहरावत हावय।
मन मा भगती अउ प्रेम भरे, मिल राष्ट्रिय गान ल गावत हावय।
जय भारत माँ-जय हिंद कहें, कहि के सब हाथ उठावत हावय।
लइका मन आज परेड करै, सँग रेंगते मा बड़ भावत हावय।।

जब लाल किला म ध्वजा लहरे, त स्वतन्त्र इही दिन सुघ्घर आवय।
सब लोग बने सज के निकलै, तब संस्कृति के खुशबू महकावय।
दुनिया पँहुचे पहुना बन के, अउ भारत के मुखिया गुण गावय।
दिखलावय ताकत ला उनला, सज के सब सैन्य कमाल दिखावय।।

नीलम जायसवाल
छंद साधिका सत्र-०५
भिलाई, दुर्ग, छत्तीसगढ़।
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*कज्जल छंद*----*आशा देशमुख* 

स्वतंत्रता के परब मनाँय।
सब जगह झंडा फहराँय।
जन मन गण के गीत गाँय।
सब भाईचारा निभाँय।

अब्बड़ दिखत हवय उजास।
हावय ये जी परब खास।
निशदिन करय देश विकास।
फइले बगिया के सुवास।

हवय तिरंगा हमर मान।
येखर खातिर देत प्रान।
हवय हिमालय हमर शान।
रक्षक हवँय वीर जवान।

मिलके रहिबो हमन संग।
जीतबो सबो हमन जंग।
दुनिया होवत रहय दंग।
हमर निराला हवय ढंग।

आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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: छन्न पकैया छंद - विरेन्द्र कुमार साहू

छन्न पकैया छन्न पकैया, सुमत भाव मन मोहय।
आजादी के कोनों मतलब, देश तोड़ना नोहय।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, रहय एकता हम मा।
नइ मरही तब लोकतंत्र हा, बाहुबली के बम मा।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, देश सबो ले ऊपर।
लड़बो भिड़बो एखर खातिर, एखर माटी चूपर।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, देश-धरम बर मरबो।
देशभक्त बनके भुँइया के, माथा ऊँचा करबो।।

छंद-साधक - विरेन्द्र कुमार साहू, ग्राम - बोड़राबाँधा (पाण्डुका) जि. - गरियाबंद(छ.ग.)
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वाम सवैया - बोधन राम निषादराज

मनावव सुग्घर ये जनतंत्र ल आवव संग धजा लहरावौ।
शहीद हवै कतको मनखे मन ओखर याद म दीप जलावौ।।
सुराज मिले गजबे दिन मा अब आवव आज खुशी ल मनावौ।
चलौ सब गा मिल के अब भारत वंदन सुग्घर गीत ल गावौ।।

छंदकार - बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

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आल्हा छंद- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

धन्य धन्य हे भारत माता, धन्य धन्य वो वीर महान ।
जान गवाँ के मान बढ़ाथे, जा सीमा मा सीना तान ।।

तपत रेत अउ गरमी जाड़ा, देवय पहरा बारो मास ।
सुख निंदिया हमला घर देवय, खुद जीयय बन जिंदा लाश।।

छोड़ खुशी घर के तन नारी, जा थामे सीमा बंदूक ।
देख कभू चूके झन भाई, साध निशाना तोर अचूक ।।

वीर भगत सिँह फाँसी चढ़गे, हँसते हँसते गुरु सुखदेव ।
झुका सकिन दुश्मन बैरी का, हिला सकिन का भारत नेँव ।।

ताल ठोक के लिंन आजादी, भगिस फिरंगी पागी छोर ।
तोड़ गुलामी के बेड़ी ला, लाइन भारत सुख के भोर ।।

नमन नमन हे वीर सपूतों, आवव मिलके फूल चढ़ाव।
बनके सच्चा लाल देश के, भारत माँ के लाज बचाव।।

छंदकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )
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: लावणी छंद 

हमर तिरंगा फहरत राहय,गाना सुग्घर हम गाबो।
 जय हो भारत माता कहिके,झंडा ला चल फहराबो।

कोनो बैरी देश म मोरो,आँखी ला झन गड़ियावय।
आके हमरो सरहद में अब,कोनों झन पाँव बढ़ावय।


जब जब आथें मुँह के खाथें,रोवत हपटत ओ जाथें।
मोर देश के वीर सिपाही, लोहा के चना ला चबाथें।।

अभी चेत जा दुश्मन तँयहा,येती बर झन तँय आबे।
बैंसठ वाला दिन नोहे अब,लहुट नहीं तँय  जा पाबे।।

कतका तपबे चीनी पाकी, लबरा चपटा तँय हा रे।
गद्दारी रग रग मा हाबे, वोकर फल तँय अब पा रे।

हिन्दी चीनी भाई भाई ,कहिके चोरी तँय आये।
बिसवा बलदा चालिसो के,मरना ला तँहू बलाये।।

आगे अब राफेल  तोर बर,अब भूँज  घला देखाबो।
अभी मान जा जान बचाले,अब तोला मजा  चखाबो।।

केवरा यदु "मीरा "
राजिम
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 कुकुभ छंद - आशा आजाद

शहीद मन के कुर्बानी

देश प्रेम हा लहूँ लहूँ मा,दिहिन देश बर कुरबानी।
हिंदुस्तान के आजादी मा,याद रही सब बलिदानी।।

मंगल पांडे खूब लड़िस जी,सच्चा ओ क्रांतीकारी।
स्वतंत्रता संग्रामी बनके,होगे दुश्मन बर भारी।।

बिस्मिल के साहस ला जानौ,भारत मा लहूँ गिराये हे।
तीस साल के उमर रहिस तब ,मरके फरज निभाये हे।।

खुदीराम के साहस बढ़के,जोश अबड़ राखै भारी।
सरकारी दफ्दर मा करदिस,बम के ओ गोला बारी।।

वीर भगत सुखदेव शूर अउ,राजगुरू हे संग्रामी।
अशफाई उल्लाह खान ला,कहिथे सच्चा सेनानी।।

वीर चन्द्रशेखर के साहस,कांड करिस ओ काकोरी।
घायल हो गिस लड़ते लड़ते,छुटिस सांस के तब डोरी।।

कहय लाजपत जेला सबझन,सच्चा ओ क्रांतिकारी।
नाव उधम सिंह साहस रखके,खूब करिस जी बम बारी।।

छंदकार - आशा आजाद
पता -
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 कुकुभ छंद - राजेश कुमार निषाद

तीन रंग के धजा तिरंगा

चलव चलव सब दीदी भइया, आजादी परब मनाबो।
तीन रंग के धजा तिरंगा,मिलके हम सब फहराबो।।

       जन गण मन अधिनायक जय हे, राष्ट्र गान सब झन गाबो।                  जनम धरे हन ये भुइयाँ मा, हमर भाग मा इतराबो।                     
              गली गली मा घुमबो संगी,सबो लगावत जयकारा।
धरे हाथ मा धजा तिरंगा,हावै जे सबला प्यारा।।                               
         करबो सुरता भगत राजगुरु,तिलक असन बलिदानी के।                            दुर्गा लक्ष्मी बाई जइसे,स्वतंत्रता सेनानी के।।       
                                                           
सदा तिरंगा ला लहराबो,नीला नीला बादल मा।।
आँच कभू नइ आवन देवन,भारत माँ के आँचल मा।

रचनाकार :- राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद रायपुर छहत्तीसगढ़
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स्वतंत्रता दिवस-रोला छंद
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कतको घर जैदाद, देश के नाम लुटाए। 
कतको बीर शहीद, देश बर जान गँवाए। ।
झन ककरो बलिदान, त्याग ला कभू  भुलावन। 
उँकरे रद्दा रेंग, देश के मान बढ़ावन। ।

आजादी के जोत, जलय भारत मा सरलग। 
देशप्रेम के भाव,रहय हर दिल मा जगमग। ।
आजादी के जंग, कथा ला झन बिसरावन। 
भारत माँ के मान ,रखे बर किरिया खावन। ।

दीपक निषाद-बनसाँकरा( सिमगा)
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 कुकुभ छंद- विजेन्द्र वर्मा

भारत माँ के सेवा बर जी, न्यौछावर हे जिनगानी।
साँस साँस मा आस जगाथे,मोर देश के बलिदानी।।

ठोंक अपन छाती ला संगी,बइरी उप्पर चढ़ जाथे।
थर थर काँपे बइरी मन हा,अइसन तो रार मचाथे।।

देश धरम बर मरथे मिटथे,गढ़थे जी अमर कहानी।
सींच लहू ले ये भुइँया ला,देथे अपने कुर्बानी।।

छाती मा जी गोली खाके,बइरी ला गिन गिन मारे।
रहय खून मा लथपथ वोहा,कभू नहीं हिम्मत हारे।।

कफन शीश मा बाँध निकलथे,चौड़ा करके जी सीना।
दहक जथे वो ज्वाला बनके,नइ देखय मरना जीना।।

विजेन्द्र वर्मा
नगरगाँव (धरसीवाँ)
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अश्वनी कोसरे : *छन्न पकैया छन्न पकेैया* 

1.
छन्न पकैया छन्न पकेैया, आजादी परब मनाबो|
जुरमिल के हँसी खुशी ले, ऊँचा झंडा फहराबो||

2.
छन्न पकैया छन्न पकेैया, आजादी के दिन आगे|
भारत माँ के कोना कोना, जन गन हर गूँजन लागे||

3.
छन्न पकैया छन्न पकेैया, गीत खुशी के गाबो|
भारत माँ के यश के खातिर, हम जयकारा बोलाबो||

4.
छन्न पकैया छन्न पकेैया, मन नाचन झूमन लागे|
गाँव गली अउ शहर नगर मा, देख तिरंंगा लहरागे||

5.
छन्न पकैया छन्न पकेैया, भाई चारा बगराबो|
मास्क बाँधे मूँह नाक मा, इसकुल अँगना जुरियाबो||

6. 
छन्न पकैया छन्न पकैया, कोरोना नइ घबराबो|
सामाजिक दूरी मा रहि के, सेनेटाइजर लगाबो||

छंदकार- अश्वनी कोसरे
सत्र- 09
कवर्धा कबीरधाम
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 **भारत के सेना**
  ( त्रिभंगी छन्द)

सेना के साहस, हे बघवा कस,बैरी मन बर, काल हरे।
सीमा ला राखत, छिन-छिन जागत, भारत माँ के, लाल हरे।
आँखी देखाही, वो पछताही,जउन   इँकर सँग, होड़ करे।
बादर कस गरजत,बड़ ललकारत, 
हर दुश्मन के, तोड़ हरे।

हे भारतमाता, भाग्य विधाता, सैनिक मन हा, शान हरे।
हो बरसा जाड़ा, काँपत हाड़ा, जनगणमन के, गान करे।
भारत के सेना, हमरे डेना, रक्षा बर दीवार हरे।
छेड़य जब बैरी, मातय गैरी, उनकर बड़ संहार करे।

ये भारत भुइँया, धरती मइया, सैनिक मन बर, धाम हरे।
जुग-जुग ले अम्मर, सेवा इनकर, परहित बर जो, काम करे।
धर दीया- बंदन, कर अभिनंदन, मूड़ नवा के, मान करौ।
हो घोर घनेरा, अड़चन बेरा, जिनगी अपने, दान करौ।

साधक-कमलेश वर्मा
भिम्भौरी, बेमेतरा

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 ज्ञानू कवि: कुकुभ छंद

जब जब आय परब आजादी, सुरता आथे बलिदानी।
येला पाये खातिर संगी, होंगे कतको कुर्बानी।।

हमर देश के  शान तिरंगा, लहर लहर ये लहराये।
भेदभाव ला छोड़ छाड़ के, हँसी खुसी सब फहराये।।

केसरिया सादा अउ हरियर, तीन रंग झंडा प्यारा।
सदा उड़य नित ये अगास मा, दुनियाँ ले सुग्घर न्यारा।।

ऊँच नीच अउ जाँत पाँत के, पाँटन हम सब मिल खाई।
एक संग सब मिलजुल रहिबो, छोड़न हम अपन ढिठाई।।

छोड़ लोभ लालच स्वारथ ला, सुग्घर अब रोज कमाबो।
प्रान देश हित बर अरपन कर, भुइयाँ के लाज बचाबो।।

छंदकार- ज्ञानुदास मानिकपुरी
ग्राम-चंदेनी(कवर्धा)
छत्तीसगढ़

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: छन्न पकैया छंद - श्लेष चन्द्राकर
शीर्षक- भारत माता

छन्न पकैया छन्न पकैया, जय हो भारत माता।
माँ अउ लइका के जइसे हे, तोर हमर ओ नाता।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, तोला रोज सुमरथँन।
पालत पोसत ते हच सब ला, तोरे पूजा करथँन।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, तोर आन बर अड़बो।
आँच चिटिक नइ आवन देवन, बैरी मन ले लड़बो।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, सुग्घर बूता करबो।
दुख चिटको नइ देवन माता, तोर पीर सब हरबो।।

छंदकार - श्लेष चन्द्राकर
पता - खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, महासमुंद (छत्तीसगढ़)

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 त्रिभंगी छन्द-हिन्द वीरा(नेमेन्द्र)

भारत के जच्चा, बेटा सच्चा, सीमा तीर हुँकार भरे।
काँपय बैरी मन,सुनके गरजन, वीर जोर जय, गान करे।।
मानय लोहा जन ,चीन पाक मन,छल बल कर बड़, वार करे।
दे उत्तर लड़के, भारत अड़के, सब बैरी के, प्राण हरे।।

बड़ के छल बल कर, लालच मा मर, चीन पीठ ले, आन लड़े।
चीनी भागव रे, सब जागव रे, हिन्द आज तइयार खड़े।।
मरना हे तोला, धर ले झोला, मैं बघवा ललकार करों।
अब के नइ छोंड़व, गला मरोड़व, चीर तोर तन, चार करों।।

दुश्मन बर गरजे, सेना बरजे, बन पहरी यम, राज खड़े।
बरसा अउ जाड़ा, काँपे हाड़ा, जोश भरे मन, ठाड़ अड़े।।  
ललकारे भारी, आँखी कारी, नश मा लावा, लाल बहे।
जय हिंद भरे मन, अर्पण कर तन, सीना गोली, रोज सहे।।

छंदकार-नेमेन्द्र कुमार गजेन्द्र
हल्दी-गुंडरदेही,जिला-बालोद
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 महेंद्र बघेल: हमर अजादी (सरसी छंद)

पाय हवन जी हमन अजादी, धरके झंडा एक।
हाल चाल ला का कहि सकथन, काकर नीयत नेक।

नैतिकता हा रोज खिरावत, लेवत उप्पर साॅंस।
स्वार्थ लोभ के खातिर भरगे, सदाचार मा भाॅंस।

बहू बहन बेटी महतारी, सोंचत हावॅंय आज।
कते रूप मा हवय दरिंदा,कइसे बचही लाज।

पहिली राजा राज करय अउ, जनता रहय गुलाम।
दाऊ लाला राज करत अब, बदले हे बस नाम।

लोकतंत्र ला खोजत खोजत, बितिस तिहत्तर साल।
भाषण सुनके थपटी पीटत, होइस बारा हाल।

जात धरम मंदिर मस्जिद मा, हपटत हावय देश।
सादा कुरथा पहिर मदारी, फूॅंकत मंतर क्लेश।

दाग लगे खाखी करिया ला, आस दॅंदर के रोय।
कोन करे अब उज्जर इनला, साबुन धीरज खोय।

देश कंगला करे फरेबी,जोर मोटरा बाॅंध।
भागत हें परदेश कलेचुप, चढ़त पॅंदोली खाॅंध।

कतना आगू बढ़े हवव जी, अंतस मा तॅंय सोच।
थोरिक किस्मत हा बदलिस ते,अभी घलव हे लोच।

बड़ मुश्किल मा मिलिस अजादी, राखव येकर मान।
इही तिरंगा गीत गान हर,हम सबके पहिचान।

महेंद्र कुमार बघेल डोंगरगांव
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
 कज्जल छंद- मोहन लाल वर्मा 

हमर देश के गा जवान ।
रतिहा होवय या बिहान ।
राख हथेरी मा परान ।
चलथें सीना अपन तान ।।

मानँय नइ वो कभू हार ।
रहिथें रण बर गा तियार ।
भागँय नइ हथियार डार ।
आगू बढ़के करँय वार ।।

सुरता पुरखा के लमाय ।
माथ तिलक माटी लगाय ।
कफन तिरंगा बड़ सुहाय ।
मान देश के गा बढ़ाय ।।

छंदकार- मोहन लाल वर्मा 
पता- ग्राम-अल्दा, तिल्दा, 
रायपुर (छत्तीसगढ़)
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21 comments:

  1. स्वतंत्रता दिवस के सुघ्घर छंदमय रचना संकलन 💐💐💐🇨🇮🇨🇮

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  2. बहुते सुघ्घर संकलन सादर बधाई

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  3. वाम सवैया - बोधन राम निषादराज

    ( 15 अगस्त)

    मनावव सुग्घर ये जनतंत्र ल आवव संग धजा लहरावौ।
    शहीद हवै कतको मनखे मन ओखर याद म दीप जलावौ।।
    सुराज मिले गजबे दिन मा अब आवव आज खुशी ल मनावौ।
    चलौ सब गा मिल के अब भारत वंदन सुग्घर गीत ल गावौ।।

    छंदकार - बोधन राम निषादराज
    सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

    सुधार के बाद प्रस्तुत है।

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  4. मोर रचना ला जगा दे हे बर सादर आभार गुरूदेव

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  5. This comment has been removed by the author.

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  6. अब्बड़ सुग्घर संकलन हवय जितेन्द्र भाई

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  7. 15 अगस्त के ऊपर सुंदर रचना संकलन गुरुदेव ला सादर प्रणाम अउ जम्मों छंदकार मन ला हार्दिक बधाई

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  8. बहुते सुघ्घर संकलन हे भाई
    सबो झन ल बधाई

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  9. स्वतंत्रता दिवस विशेषांक मा सुग्घर सुग्घर छंद के संकलन होय हे ,गुरुदेव ।हार्दिक बधाई ।सादर प्रणाम ।

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  10. जय हिंद जय भारत,जय हिंद सेना।।

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  11. वाह्ह्ह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह्ह् शानदार छंद संकलन

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  12. बहुत सुंदर संकलन, बधाई

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  13. एक ले बढ़के एक छंद रचना, आप सब ला स्वतंत्रता पर्व के बधाई

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  14. स्वतंत्रता दिवस बर अनमोल संकलन🇮🇳🇮🇳👏👍💐🇮🇳🇮🇳

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  15. बहुतेच सुग्घर संकलन।हार्दिक बधाई।

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  16. बहुतेच सुग्घर संकलन।हार्दिक बधाई।

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  17. सुग्घर संकलन। आप सबो ला स्वतंत्रता दिवस के हार्दिक बधाई

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  18. हमर छंद परिवार म हावैं, रतन कथौं साहित के।
    शबद फूल उन रोज चढ़ावैं, अपन वतन बर मिल के।।
    देश प्रेम के पाग म सुग्घर सने हवय रचना मन
    सोए सँगवारी ल जगावैं काज करैं जन हित के।।

    भाई खैरझिटिया जी के जम्मो रचना के कोनो सानी नइये.....
    जम्मो रचनाकार मन ल अंतस ले बधाई ...
    सादर नमस्कार प्रणाम...
    🌹🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹

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  19. लाजवाब विशेषांक

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