छप्पय छंद- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बारह बछर महिमा बखान
(1) चैत महिना-
नवा बछर शुरुआत, चैत महिना ले होथे।
नव दुर्गा नव रूप, जँवारा माँ बर बोंथे।।
मास अमावस चाँद, तारिका चित्रा जाये।
माह चैत ये नाम, तभे शुभ पावन पाये।।
मन मा भरे उमंग बड़, कारज नेक सँजोर के।
महके मन पर्यावरण, उगे सुमत नव भोर के।।
(2) बैसाख महिना-
नाम पड़े बैसाख, विशाखा शुभ नक्षत्रा।
सिक्ख धर्म नव वर्ष, बताये नानक पत्रा।।
जन्मदिवस सिद्धार्थ, धर्म जन बौद्ध मनाये।
भीम राव साहेब, जन्मदिन पावन आये।।
गुरु जी बालकदास के, दिवस शहादत त्रास के।
अमरदास गुरु जन्म भी, बेटा जे घासीदास के।।
(3) जेठ महिना-
जेठ माह पंचाग, तीसरा महिना परथे।
रहिथे सूरज तेज, घाम अड़बड़ के करथे।।
जल के रहे महत्व, पिला जन पुन्य कमाथे।
रुख राई के छाँव, सबो के मन ला भाथे।।
परब पड़े एकादशी, उपवास रखे निर्जला।
पूजा गंगा दशहरा, पड़े सावित्री व्रत घला।।
(4) आषाढ़-
महिना शुभ आषाढ़, करे सब खेत किसानी।
बरखा रानी खूब, झमाझम बरसे पानी।।
दान पुन्य के कर्म, सबो करथे जन तन मन।
जगन्नाथ प्रभु धाम, चले दर्शन बर भक्तन।।
शुक्ल पक्ष आषाढ़ के, पड़े देवशयनी लगन।
हृदय मयूरा नाचथे, खुशहाली मा हो मगन।।
(5) सावन महिना-
सावन महिना खास, परब हरेली राखी।।
मनभावन बरसात, बदरिया पारे साखी।।
सोमवार उपवास, रखे हिंदू नर नारी ।
मनोकामना पूर्ण, करे भोले भंडारी ।।
शुभ विवाह भगवान शिव, चले करे माँ पार्वती।
ज्योति कलश मन साज के, भक्त करे भव आरती।।
(6) भादों ( भाद्र ) महिना
भाद्र माह कल्याण, सबो के करे भलाई।
धान बियासी होय, काम चलथे निंदाई।।
पोरा तीज तिहार, धरे अँगना मा आथे ।
आजादी के पर्व, खुशी धर सबो मनाथे।।
जन्मदिवस प्रभु कृष्ण के, सतगुरु बालकदास जी।
पूजन करे गणेश के, बँधे आस विश्वास जी।।
(7) क्वांर महिना-
होथे बरसा अंत, क्वांर मा शीत सुहाथे।
हरसे हमर किसान, धान हा पोठिरयाथे।।
कड़के फिर से धूप, उमस हा अबड़ जनाथे।
पितर मोक्ष के पाख, भोग पुरखा ल लगाथे।।
जगमग माँ के द्वार मा, जोत जले नवरात हे।
विजयादशमी क्वांर मा, लाय खुशी सौगात हे।।
(8) कार्तिक महिना-
शरद पूर्णिमा संग, शुरू ये कार्तिक महिना।
भाईचारा जोर, सिखाथे हमला रहिना।।
पतिव्रत करवा चौथ, खुशी धर आय दिवाली।
पावन भाई दूज, भरे मन मा खुशहाली।।
धनतेरस एकादशी, कार्तिक चले नहाय जी।
पूजन नवमी आंवला, हिन्दू धर्म मनाय जी।।
(9) अग्घन महिना-
अग्घन महिना होय, अन्नपूर्णा के पूजा।
जावय खेत किसान, छोड़ बूता सब दूजा।।
माते खेत किसान, करे जी धान लुवाई।
करपा बाँधे खेत, चले भइया भौजाई।।
सोना बाली धान के, महके खेती खार मा।
बाँध बैल गाड़ी सुघर, लाथे जी कोठार मा।।
(10) पूस महिना-
पूस माह मा ठंड, रात दिन अबड़ जनाथे।
तापँय कउड़ा बार, गोरसी नीक सुहाथे।।
सतगुरु घासीदास, जयंती मन हरसाये।
ईसाई के पर्व, यीशु क्रिसमस डे आये।।
धान मिसाई काम हा, चलथे दिन अउ रात जी।
आय छेरछेरा घलो, सम्मत धर सौगात जी।।
(11) माघ महिना-
ऋतु बसंत शुरुआत, माघ महिना ले होथे।
कोयल छेड़े तान, बिरह मा बिरहिन रोथे।।
लहसे आमा डार, लुभाये मन अमराई।
हरा भरा फल फूल, दिखे जग मा सुघराई।।
पावन बसंत पंचमी, पूजन हो माँ सरस्वती।
बिनती वीणावादिनी, ज्ञान धराये मन्दमति।।
(12) फ़ागुन-
फागुन महिना फाग, धरे होली हा आथे।
मनखे मनखे एक, रंग मा सब रँग जाथे।।
महारात्रि शिव पर्व, मने भोले कैलासी।
सत गिरौदपुर धाम, भरे मेला गुरु घासी।।
जन्म जयंती माँ मिनी, माता के दिन खास जी।
बोड़सरा सत धाम मा, मेला बालकदास जी।।
छंदकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )
अद्भुत बेहतरीन सृजन गुरूदेव
ReplyDeleteसादर धन्यवाद लहरे जी।
Deleteबहुत बहुत बधाई गुरूदेव
ReplyDeleteसादर आभार जितेंद्र खैरझिटिया जी।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सर जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर जी
Deleteबहुत सुग्घर बारह मासी छंद गुरुजी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आदरणीय ज्ञानु जी।
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