*गनेश बंदना*
आव बिराजौ मोर घर, गणनायक गणराज।
घेरी भेरी तोर ले, बिनती हावै आज।।
दौड़त आजा मोर घर, मुसवा म हो सवार।
तोरे स्वागत बर खड़े, हवै मोर परिवार।।
फूल पान तोला चढ़ै, लंबोदर महराज।
घेरी भेरी ------
बिफत परे सब पूजथे, विघन हरैया जान।
हाथ जोर बिनती करौं, हे गनेश भगवान।।
आके सब बिगड़ी बना, पूरन कर दौ काज।।
घेरी भेरी -----
अप्पड़ अगियानी निचट, सुमरत हन बस नाँव।
तोर भरोसा हे लगे, बीच सभा में दाँव।।
हे गणपति महराज जी, राखव आ के लाज।
घेरी भेरी------
पोखन लाल जायसवाल
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: सरसी छंद गीत - आशा आजाद
सत पथ के मँय रद्दा रेगौ,बोलव मँय शुभ बोल।
गनपति आन विराजव मन मा,भाव भरौ अनमोल।।
दीन दुखी के सेवा करके,जनहित करदव काज।
धरम करम ले पुण्य कमाके,सत के दव आगाज।
झूठ लबारी गोठ त्याग के,करौ गोठ मँय तोल,
गनपति आन विराजव मन मा,भाव भरौ अनमोल।
चुप्पी मुख ले त्यागौ मँय हा,अनाचार जब होय,
नारी के सम्मान करौ मँय,नारी अब झन रोय,
भाखा अइसन सुघ्घर बोलव,सुन मन जाए डोल,
गनपति आन विराजव मन मा,भाव भरौ अनमोल।
तुच्छ एक मँय कवि हौ देवा,भाव धरौ मँय नेक,
वर्तमान मा घटत हवे जे,काव्य गढ़ौ मँय एक,
मानव हिरदे प्रेम भाव अउ,मानवता दव घोल,
गणपति आन विराजौं मन मा,भाव भरौ अनमोल।
छंदकार - आशा आजाद
पता - मानिकपुर कोरबा
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चौपई छंद(जयकारी छंद) - *जय गणेश*
जय गणेश गिरिजा के लाल । मुकुट बिराजे सुग्घर भाल ।।
शिव शंकर के बेटा आय । ऋद्धि सिद्धि के मन ला भाय।।
आवौ करलौ पूजा पाठ । देखौ कइसे एखर ठाठ ।।
मुसुवा मा बइठे भगवान । मनचाहा देथे बरदान।।
जबर पेट हे हाथी जान । कतका मैंहा करँव बखान ।।
गणनायक हे सुख ला देत । बिपदा ला छिन मा हर लेत ।।
बुद्धि देत हे माँगव आज । सफल होय जी जम्मों काज ।।
सेवा करके मेवा पाव । चल भइया सब गुन ला गाव ।।
ग्यारा दिन अउ ग्यारा रात । करलौ भगती बनही बात ।।
धीरज मा मिलथे जी खीर । झन हो जाहू आज अधीर ।।
देवो मा तँय बड़का देव । मोरो बिनती ला सुन लेव।
पाँव परत हँव तोरे आज । दे आशीष तहीं महराज ।।
छंद साधक - सत्र - 5
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा, जिला-कबीरधाम
(छत्तीसगढ़)
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: मनहरण घनाक्षरी:- गुमान प्रसाद साहू
।।गौरी के लाल।।
आके तोरे द्वार देवा,चरण के करै सेवा,भगत अरज करै,हाथ ला पसार के।
पहिली तोला मनावै,भोग मोदक लगावै,कर दे तै आस पूरा,कहत पुकार के।
बिपत के तै हरैया, तँही मंगल करैया,दुख दर्द दूर करौ,भव ले उबार के।
तँही एकदन्त धारी,मुसवा तोरे सवारी,पार लगा दे नइया,फँसे मँझधार के।।
सुन्दरी सवैया:-।।मंगलकारी गणेश।।
सब ले पहिली सुमरै गणनायक देेव समेत सबो नर नारी।
बिन तोर न काम बने जग के कहिथें तँय हावस मंगलकारी।
बिगड़ी ल बना दुख दूर करे सगरो जग के तँय पालनहारी।
शिवशंकर हावय तोर ददा जग के जननी गिरजा महतारी।।
छन्दकार- गुमान प्रसाद साहू ,ग्राम-समोदा(महानदी)
जिला-रायपुर ,छत्तीसगढ़
छन्द साधक "छन्द के छ" कक्षा-6
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सरसी छंद - राजेश कुमार निषाद
।।गौरी पुत्र गणेश।।
करबो पूजा हम सब तोरे, गौरी पुत्र गणेश।
अरजी हमरों सुनलव प्रभु जी,काटहु मन के क्लेश।।
एकदन्त के तैंहर धारी,सुनलव गा गणराज।
रिद्धि सिद्धि के हव तुम दाता, करहू पूरन काज।।
मुसवा के तैं करे सवारी,लडुवन लागय भोग।
जेन शरण मा तोरे आवय,हरथव ओकर रोग।।
सबले पहिली होथे पूजा,जग मा देवा तोर।
जोत ज्ञान के तहीं जला के, करथस जगत अँजोर।।
महादेव अउ पार्वती के,हावस नटखट लाल।
बड़े बड़े तैं लीला करके,करथस अबड़ कमाल।।
तीन लोक मा होथे प्रभु जी,तोरे जय जयकार।
हे गणपति तैं हे गणराजा,विपदा हरव हमार।।
रचनाकार :- राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद पोस्ट समोदा रायपुर छत्तीसगढ़
छंद साधक - कक्षा-4
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चोवा राम वर्मा बादल: *गनपति गनराज*
*(कुणडलिया)*
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*हे गनपति गनराज जी,बिनती हे कर जोर।*
*अँगना हमर बिराज लव,पइयाँ लागवँ तोर।*
*पइयाँ लागवँ तोर,अबड़ जोहत हवँ रस्ता*।
*आके नाथ उबार, मोर हालत हे खस्ता।*
*मँहगाई के मार,बाढ़ कर देहे दुरगति।*
*कोरोना के टाँग,टोर दव झटकुन गनपति।*
*बड़का बड़का कान हे,बड़का हाबय पेट।*
*बाधा ला देथच पटक,लम्बा सोंड़ गुमेट।*
*लम्बा सोंड़ गुमेट,दु:ख ला दूर भगादे।*
*शिव गौरी के लाल, भक्त ला पार लगादे।*
*दुनिया के जंजाल, हवय माया के खड़का।*
*लाज रखौ गनराज, देव मा हाबव बड़का।*
*मंगल साजे आरती,लाड़ू भोग लगाय।*
*माथ नवा के पाँव मा, श्रद्धा फूल चढ़ाय।*
*श्रद्धा फूल चढ़ाय ,तोर जस ला मैं गाववँ।*
*विघ्नेश्वर गनराज, सबो सुख किरपा पाववँ।*
*वक्रतुंड महकाय, कभू झन होवय अनभल।*
*रिद्धि सिद्धि के संग, विराजव उच्छल मंगल।*
चोवा राम वर्मा 'बादल'
(छंद साधक)
हथबंद, छत्तीसगढ़
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दिलीप वर्मा
मत्तगयन्द सवैया
हे गणराज सुनो बिनती मझधार फँसे हँव पार करो जी।
तोर बिना अब जीवन के रसता न दिखे उपचार करो जी।
मानत हौं दुख मा सुमिरौं सुख मोर हरे मत रार करो जी।
जीवन नाव हिलोरत हे अब थाम बने उपकार करो जी।
मदिरा सवैया
आवत हौ सुनथौं धरती तुम मूषक वाहन मा चढ़ के।
जोहत हे रसता सब तो घर तोर इहाँ बढ़िया गढ़ के।
हे गणराज दवा धर लानव काम करौ अपने बढ़ के।
देख बिमार हवे सब भक्त बने करदौ कुछ तो पढ़ के।
रचनाकार- दिलीप कुमार वर्मा
बलौदाबाजार छत्तीसगढ़
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छन्न पकैया छंद - श्लेष चन्द्राकर
विषय - श्री गणेश
छन्न पकैया छन्न पकैया, रिद्धि-सिद्धि के स्वामी।
गोठ हमर मन के जानत बस, तँय हच अंतर्यामी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, आके दर्शन देवव।
श्री गणेश जी मनखे मन के, दुख पीरा हर लेवव।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, दीन दुखी ला तारव।
सहि के मुसकुल जीयत हावयँ, हालत उखँर सुधारव।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, अपन गोठ मा अड़थें।
हे लम्बोदर भुँइया मा सब, मनखे मन हा लड़थें।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, लोगन ला समझावव।
गणपति देवा भटके मन ला, रद्दा बने दिखावव।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, जलवा अपन दिखावव।
आतंकी मन इतरावत अब्बड़, आके मजा चखावव।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, बाढ़त हे कोरोना।
ये बिख ले हे जग के स्वामी, रिता करव हर कोना।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, गौरी पूत गणेशा।
हाथ जोड़ के बिनती हे ये, दे बे साथ हमेशा।।
छंदकार - श्लेष चन्द्राकर
पता - खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, महासमुंद (छत्तीसगढ़)
छंद साधक - कक्षा- 9
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गणपति देवा-आल्हा छंद गीत(खैरझिटिया)
मुस्कावत हे गौरी नंदन, मुचुर मुचुर मुसवा के संग।
गली गली घर खोर मा बइठे, घोरत हे भक्ति के रंग।
तोरन ताव तने सब तीरन, चारो कोती होवय शोर।
हूम धूप के धुवाँ उड़ावय, बगरै चारो खूँट अँजोर।
लइका लोग सियान सबे के, मन मा छाये हवै उमंग।
मुस्कावत हे गौरी नंदन, मुचुर मुचुर मुसवा के संग।।
संझा बिहना होय आरती, लगे खीर अउ लड्डू भोग।
कृपा करे जब गणपति देवा, भागे जर डर विपदा रोग।
चार हाथ मा शोभा पाये, बड़े पेट मुख हाथी अंग।
मुस्कावत हे गौरी नंदन, मुचुर मुचुर मुसवा के संग।।
होवै जग मा पहली पूजा, सबले बड़े कहावै देव।
ज्ञान बुद्धि बल धन के दाता, सिरजावै जिनगी के नेव।
भगतन मन ला पार लगावै, होय अधर्मी असुरन तंग।
मुस्कावत हे गौरी नंदन, मुचुर मुचुर मुसवा के संग।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
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बहुत सुंदर संकलन तैयार होय हे,जम्मो साधक मन ला श्री गणेश चतुर्थी के बधाई अउ शुभकामना
ReplyDeleteजय गणपति गणनायक।।
ReplyDeleteजय गणपति गणदेवता। बहुत सुग्घर संकलन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
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