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Tuesday, May 19, 2020

रोला छंद-सुरेश पैगवार

रोला छंद-सुरेश पैगवार

धधकत छाती मोर,   अरे तन हा गुँगुवाथे।
मिले ओर ना छोर, जीव हा डबकत जाथे।।
कँदवा खागे गोड़,  कमा के कतका लावौं।
बदन अमागे रोग, कहाँ ले ओखद पावौं।

अरजी हावय मोर,   गोठ ला सुनलव भाई।
सरग चढ़त हे भाव,   रोक लव दाम दवाई।
तपथे जइसे जेठ,   घाम जी अबड़ दुखाथे।
कीमत सुनके आज, हमर तो मुहूँ सुखाथे।।

सबके खाली हाथ,करत हम महिनत कतको।
आय पसीना माथ,भले छइहाँ हे जतको।।
रोटी पानी खोज,   गुजर जाथे जिनगानी।
महिनत करथन रोज,जानलव इही कहानी।।

हन ठन ठन गोपाल, भूख मा तन अँइलागे।
गुखरू होगे पाँव,    देखलव मन मइलागे।।
नँगा नँगा अधिकार, खात हें नँगत कसाई।
देवँय कोन धियान,  बढ़य ना हमर कमाई।।

होबो जभे  सुजान, तभे किस्मत हा भाही।
भूख गरीबी छोड़,  हमर घर ले जी जाही।।
सच्चा साथी ज्ञान,   छोड़ कभ्भू नइ जावै।
पढ़ लिख होय सुजान,भाग ला अपन बनावै।।

सजही जिनगी तोर,   ज्ञान अक्षर ला पाके।
छटपट छँइहा छोड़, गुजर जाबे पछता के।।
भारी लूट खसोट,  जगत मा अवगुन चारी।
शिक्षा मारय चोट,    तभे भागे बीमारी।।

                                                   
                   🙏  *सुरेश पैगवार*  🙏         
                              जाँजगीर

15 comments:

  1. बहुत सुग्घर सर जी बधाई हो

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  2. बहुत शानदार पैगवार जी मजदूर किसान के व्यथा के मार्मिक चित्रण।एक जगह शायद टंकड़ दोष के कारण ओषद ह ओखद होगे है।२चना के सादर बधाई।

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  3. शानदार पैगवार सर

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  4. वाह वाह आदरणीय पैगवार जी, भावपूर्ण उत्तम सृजन करे बर आप ला बहुत बधाई

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  5. धन्यवाद चंद्राकर सर जी

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  6. आदरणीय गुरुदेव अरुण निगम जी के सादर परनाम साथ म
    अजय अमृतांसु जी, जितेंद्र कुमार वर्मा जी, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर जी अउ कन्हैया साहू "अमित" जी के संगेसंग जम्मो साधक साधिका दीदी भइया मन के सादर आभार

    सुरेश पैगवार
    जाँजगीर

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  7. बहुत बढ़िया है भाई

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  8. बहुत सुग्घर रचना हे भइया जी

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  9. धन्यवाद सर जी

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