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Tuesday, May 26, 2020

रोला छन्द - मथुरा प्रसाद वर्मा

रोला छन्द - मथुरा प्रसाद वर्मा

जिनगी के दिन चार, बात ला मोरो सुनले।
माया ये संसार, हरे रे संगी गुन ले।
जोरे हस जे नाम, तोर माटी हो जाही।
तोरे धन भरमार, काम नइ कोनों आही।

बाँधे पथरा पेट, कभू  झन कोनों सोवय।
भूखन लाँघन लोग , कहूँ  मत लइका रोवय।
दे दे सब ला काम, सबों ला रोजी रोटी ।
किरपा कर भगवान, मिलय सब ला लंगोटी ।

नेता खेलय खेल, बजावय जनता ताली । 
जरय पेट मा आग, खजाना होगे खाली ।
फोकट चाउर दार, बाँट के गाल बजावय। 
राजनीति हर आज , सबो ला पाठ पढ़ावय। 

धन बल कर अभिमान, आज झन मनखे नाचय ।
पर के घर ला लेस, छानही काकर बाँचय । 
काँटा बों के कोन , फूल ला भाग म पाथे  ।
अपन करम के बोझ, सबे  हा इहें उठाथे ।

पर के आँसू पोंछ, हाँस के मन ला जोरय।
खावय सब ला बाँट, मया रस बात म घोरय।
मनखे उही महान, जेन परहित मर जाथे ।
पर बर जे हर रोय, उही सुख मन मा पाथे।
   
जाँगर पेरय रोज, घाम मा तन ला घालय ।
जेखर बल परताप, काँप के  पथरा हालय ।
माथ बिपत के नाँच, करम के गाना गाथे।
उदिम करइया हाथ, भाग ला खुद सिरजाथे।

जूता चप्पल मार, फेंक के वो मनखे ला। 
खन के गड्ढा पाट, चपक दे माटी ढेला।
जेन देश के खाय, उहें गद्दारी करथे।
चाटय बैरी पाँव, देश के चारी करथे।

छंदकार
मथुरा प्रसाद वर्मा
ग्राम- कोलिहा, बलौदाबाजार

8 comments:

  1. बहुत बढ़िया सृजन भाई

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  2. बहुत सुग्घर सर जी

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  3. सुग्घर रचना सर

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  4. वाह वाह शानदार लेखन, भावपूर्ण रचना बर बहुत बधाई

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  5. जिनगी के दिन चार, बात ला मोरो सुनले।
    माया ये संसार, हरे रे संगी गुन ले।
    जोरे हस जे नाम, तोर माटी हो जाही।
    तोरे धन भरमार, काम नइ कोनों आही।

    गजब के भाव भरे लेखनी
    आदरणीय मथुरा जी

    सुरेश पैगवार
    जाँजगीर

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  6. बहुत बढ़िया रचना वर्मा सर

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  7. सुग्घर रोला छंद के सृजन ।हार्दिक बधाई ।वर्मा जी ।

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