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Saturday, May 9, 2020

रोला छंद- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

रोला छंद- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

सहीं गलत ला छाँट, राह सत के तँय धर ले ।
मानुष तन अनमोल, करम जग अच्छा कर ले ।।
सांसा मिले उधार, चुका ले येखर करजा ।
कर ले कारज नेक, ज्ञान गंगा मा तर जा ।।

बिन गुरु के सतज्ञान, कहाँ कब तोला मिलही ।
सुन मानुष नादान,भीतरी तन मन जलही ।।
गुरु के आगे मान, देव सब हें बलिहारी ।
अँधियारी मन द्वार, बने गुरु तब उजियारी ।।

कर सेवा उपकार, दीन दुखिया के भाई ।
कर नारी सम्मान, समझ खुद बहिनी माई ।।
एक बरोबर मान, सबो मनखे अउ प्रानी ।
मानवता रख धर्म, लिखे जा अपन कहानी ।।

छोट बड़े के भाव, फेंक दे येला घुरवा ।
लगा सुमत के पेड़, रितो ले पानी चुरुवा ।।
गजानंद कविराय, बताये सत के महिमा ।
अपन हाथ सम्मान, बनाये रख तँय गरिमा ।।


छंदकार- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

11 comments:

  1. गज़ब सुग्घर गुरुजी

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  2. बड़ सुग्घर रचना

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  3. बड़ सुग्घर रचना

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  4. बहुत सुघ्घर सृजन है भाई

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  5. वाह वाह बहुत सुंदर छंद गुरुदेव, बधाई

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  6. बहुत सुग्घर सर जी बधाई हो

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  7. वाहहहह गुरूदेव बधाई बहुते सुग्घर

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  8. बहुत सुघ्घर भैया जी

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  9. बहुत बढ़िया रोला

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  10. बड़ सुग्घर सृजन आदरणीय

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