रोला छंद- श्री मोहन लाल वर्मा
(1) *मजदूर*
कतको बड़े पहाड़, टोर के सड़क बनाथँव ।
महल-अटारी रोज, घलो मँय हा सिरजाथँव ।
जिनगी के आनंद, मेहनत करके पाथँव ।
कहलाथँव मजदूर, आरती श्रम के गाथँव ।।
(2) *विनती*
विनती हे भगवान, जनम लेके अब आजा।
बढ़गे कलजुग पाप, दरश अपने दिखलाजा ।
कइसे बचही जीव, रात-दिन संसो होथे।
देख जगत के हाल, मोर अंतस बड़ रोथे ।।
(3) *सग्यान बेटा-बेटी*
दरपन मा मुख देख, देख के खुदे लजावँय ।
आगू-पाछू रेंग, रेंग हाँसँय मुसकावँय ।
काम-बुता ला छोड़, सजावँय सपना-पेटी ।
होगे अब सग्यान, समझ जव बेटा-बेटी ।।
बर बिहाव के गोठ, चलय जब घर मा भइया ।
सुनँय सपट दे कान, करँय बड़ हड़बिड़ हइया।
सुतँय नहीं भर नींद, रात मा जागत रहिथें।
करदव मोर बिहाव, बतावव का उन कहिथें ।।
बढ़िया दव संस्कार, सीख अब लइकामन ला।
राखव बने सहेज, अपन कोरा के धन ला।
पिँवरा करदव हाथ, देखके सुग्घर जोड़ी ।
रहि जावय कुल मान, भले हो लागा- बोड़ी ।।
बिगड़त हें औलाद, देखलव सरी जमाना ।
पड़य कभू झन फेर, मूँड़ धरके पछताना ।
मत छोड़व एकाँत , संग मा रहिके जानव।
का हे उँकरे सोच, भावना ला पहिचानव ।।
समय-समय के बात, समय मा नीक सुहाथे ।
आथे जभे बसंत, तभे आमा मउँराथे ।
सोचव आज सियान, बात ला गुनलव-धरलव ।
बाढ़य कुल मरजाद, काम गा अइसन करलव ।।
(4) *मचही हाहाकार*
मास जेठ-बैसाख, घाम हा चट ले जरही ।
कतको जीव पियास, बाट मा लफलफ मरही ।
मचही हाहाकार, बिना पानी के जग मा।
अउ होही विकराल, समस्या आगू पग मा ।।
(5) *अपन बिसाये दुख*
मनखे मन हा आज, करत हावँय नादानी ।
धरती माँ के चीर, करेजा चानी- चानी ।
रुखराई ला काट, गवाँवत हावँय सुख ला।
खुद बर अपने हाथ, बिसावत हावँय दुख ला।।
(6) *मोबाइल उपयोग*
मोबाइल उपयोग, बाढ़गे हावय अड़बड़ ।
कतको होथे सेट, मामला कतको गड़बड़ ।
बिखरत हें परिवार, बाढ़गे खर्चा घर-घर ।
अउ का होही हाल, सोच के देखव छिन भर ।।
(7) *मनोरंजन अउ संदेश*
फिल्मी गा संसार, मनोरंजन करवाथें ।
कतको मनखे देख, सही वोला पतियाथें ।
सबो सीन के अंत, छिपे संदेशा रहिथे ।
सही-गलत पहिचान, करव तुम मोहन कहिथे ।।
छंदकार- मोहन लाल वर्मा
पता- ग्राम-अल्दा, पो.आ.-तुलसी (मानपुर), व्हाया- हिरमी, तहसील - तिल्दा,जिला-रायपुर (छत्तीसगढ़)पिन-493195
मोबा.9617247078
(1) *मजदूर*
कतको बड़े पहाड़, टोर के सड़क बनाथँव ।
महल-अटारी रोज, घलो मँय हा सिरजाथँव ।
जिनगी के आनंद, मेहनत करके पाथँव ।
कहलाथँव मजदूर, आरती श्रम के गाथँव ।।
(2) *विनती*
विनती हे भगवान, जनम लेके अब आजा।
बढ़गे कलजुग पाप, दरश अपने दिखलाजा ।
कइसे बचही जीव, रात-दिन संसो होथे।
देख जगत के हाल, मोर अंतस बड़ रोथे ।।
(3) *सग्यान बेटा-बेटी*
दरपन मा मुख देख, देख के खुदे लजावँय ।
आगू-पाछू रेंग, रेंग हाँसँय मुसकावँय ।
काम-बुता ला छोड़, सजावँय सपना-पेटी ।
होगे अब सग्यान, समझ जव बेटा-बेटी ।।
बर बिहाव के गोठ, चलय जब घर मा भइया ।
सुनँय सपट दे कान, करँय बड़ हड़बिड़ हइया।
सुतँय नहीं भर नींद, रात मा जागत रहिथें।
करदव मोर बिहाव, बतावव का उन कहिथें ।।
बढ़िया दव संस्कार, सीख अब लइकामन ला।
राखव बने सहेज, अपन कोरा के धन ला।
पिँवरा करदव हाथ, देखके सुग्घर जोड़ी ।
रहि जावय कुल मान, भले हो लागा- बोड़ी ।।
बिगड़त हें औलाद, देखलव सरी जमाना ।
पड़य कभू झन फेर, मूँड़ धरके पछताना ।
मत छोड़व एकाँत , संग मा रहिके जानव।
का हे उँकरे सोच, भावना ला पहिचानव ।।
समय-समय के बात, समय मा नीक सुहाथे ।
आथे जभे बसंत, तभे आमा मउँराथे ।
सोचव आज सियान, बात ला गुनलव-धरलव ।
बाढ़य कुल मरजाद, काम गा अइसन करलव ।।
(4) *मचही हाहाकार*
मास जेठ-बैसाख, घाम हा चट ले जरही ।
कतको जीव पियास, बाट मा लफलफ मरही ।
मचही हाहाकार, बिना पानी के जग मा।
अउ होही विकराल, समस्या आगू पग मा ।।
(5) *अपन बिसाये दुख*
मनखे मन हा आज, करत हावँय नादानी ।
धरती माँ के चीर, करेजा चानी- चानी ।
रुखराई ला काट, गवाँवत हावँय सुख ला।
खुद बर अपने हाथ, बिसावत हावँय दुख ला।।
(6) *मोबाइल उपयोग*
मोबाइल उपयोग, बाढ़गे हावय अड़बड़ ।
कतको होथे सेट, मामला कतको गड़बड़ ।
बिखरत हें परिवार, बाढ़गे खर्चा घर-घर ।
अउ का होही हाल, सोच के देखव छिन भर ।।
(7) *मनोरंजन अउ संदेश*
फिल्मी गा संसार, मनोरंजन करवाथें ।
कतको मनखे देख, सही वोला पतियाथें ।
सबो सीन के अंत, छिपे संदेशा रहिथे ।
सही-गलत पहिचान, करव तुम मोहन कहिथे ।।
छंदकार- मोहन लाल वर्मा
पता- ग्राम-अल्दा, पो.आ.-तुलसी (मानपुर), व्हाया- हिरमी, तहसील - तिल्दा,जिला-रायपुर (छत्तीसगढ़)पिन-493195
मोबा.9617247078
सुग्घर रोला सर जी
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
DeleteBahut sundar rachna Mohan Bhai. Ujjwal bhavisya ki shubhkamna.
Deleteहमार बड़े भैया की जय हो आदरणीय
Deleteहार्दिक आभार भाई जी।
Deleteलाजवाब सृजन आदरणीय
ReplyDeleteसाधुवाद आदरणीय
Deleteगुरुदेव मन के आशीष ले लिखे रोला छंद, छंद खजाना मा स्थान पाके सार्थक होगे।सादर नमन ।
ReplyDeleteगुरुदेव मन के आशीष ले लिखे रोला छंद, छंद खजाना मा स्थान पाके सार्थक होगे।सादर नमन ।
ReplyDeleteवाह गुरुदेव सुग्घर रचना रोला छंद मा बधाई हो
ReplyDeleteसाधुवाद आदरणीय ।
Deleteएक से बढ़के एक लाजवाब रोला छंद के सृजन करे हव आदरणीय। बधाई
ReplyDeleteआप सभी के मया आशीष बर सादर नमन।
Deleteशानदार सृजन गुरूदेव💐💐💐💐💐💐
ReplyDeleteधन्यवाद आपका ।
Deleteशानदान गुरूदेव
ReplyDeleteआभार आदरणीय ।
Deleteबहुत ही बढ़िया हे भाई
ReplyDeleteआप सबो के आशीष ले लिखे रोला छंद लिखे हँव, दीदी जी।सादर प्रणाम ।
DeleteBahut sundar rachna Mohan Bhai. Ujjwal bhavisya ki shubhkamnaye.bhuneshwar verma
ReplyDeleteआपमन के आशीष के फलस्वरूप ही लिखाय हे,भैया जी ।सादर प्रणाम ।
DeleteBahut sundar rachna Mohan Bhai. Ujjwal bhavisya ki shubhkamnaye.bhuneshwar verma
ReplyDeleteअइसने मया बनाय रइहू आदरणीय भैया ।प्रणाम ।
Deleteबहुत सुन्दर सुन्दर विषय म सुन्दर रोला छंद के रचना करे हव गुरुदेव,हार्दिक बधाई,,प्रणाम
ReplyDeleteबहुतेच सुघ्घर भइया
ReplyDeleteहार्दिक आभार भाई ।
Deleteअब्बड़ सुग्घर गुरुदेव बहुत बहुत बधाई 💐💐💐💐🙏
ReplyDeleteअब्बड़ सुग्घर रोला छंद म सृजन गुरुदेव ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई हो ।👌👌🙏🙏🌹🌹🙏🙏
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय ।
Deleteवाह वाह वाह क्या बात मोहन सर
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
अंतस ले आभार आदरणीय ।
Deleteसुंदर छंद सियान. भाव सज गे हे बढ़िया।
ReplyDeleteगुरुवर के आशीष, पाय हन छत्तिसगढ़िया।।
जम्मो विषय सुजान, सजाये हौ जी भाई।
देइन हें वरदान, हमर विद्या के दाई।।
बहुत बहुत बधाई भाई....
🌹🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹🌹
आपमन के आशीष सदा मिलत रहय ,आदरणीय ।सादर प्रणाम ।
Deleteराखव बने सहेज,अपन कोरा के धन ला।
ReplyDeleteवाह वाह.... लाजवाब, हार्दिक शुभकामनाएं गुरुदेव।
सादर साधुवाद ।
DeleteBahut sunder
ReplyDeleteअड़बड़ सुग्घर
ReplyDeleteसादर साधुवाद ।
Deleteबहुत बढ़िया गुरु जी
ReplyDeleteसादर साधुवाद आदरणीय ।
Deleteवाह वाह आदरणीय वर्मा जी बहुत बढ़िया रोला छन्द
ReplyDeleteधन्यवाद भाई जी ।
Deleteशानदार, गुरुदेव
ReplyDeleteबधाइयाँ
अब्बड़ बढ़िया भाई
ReplyDeleteबड़ सुघ्घर रोला छंद आदरणीय गुरुदेव जी 🙏🙏 सज्ञान बेटी...... चिंतन विषय मा
ReplyDeleteबहुत सुग्घर संदेश प्रधान रोला छंद भाई बधाई हो
ReplyDeleteसुधा शर्मा
आभार दीदी जी । सादर प्रणाम ।
Deleteबहुत सुग्घर रोला छंद
ReplyDeleteसादर साधुवाद आदरणीया ।
Deleteबहुते सुघ्घर रोला छंद गुरूदेव। घेरी बेरी बधाई।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया ।
Deleteगज़ब सुग्घर गुरुजी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
Deleteअब्बड़ सुग्घर भावपूर्ण रोला छंद भइया शानदार रचना बधाई 🙏🙏
ReplyDeleteमया करे बर सादर धन्यवाद भाई जी ।
Deleteअनुपम रोला छंद।हार्दिक बधाई
ReplyDeleteआप गुरुदेव मन के आशीष के सद्परिणाम आय ।सादर प्रणाम ।
Deleteबहुतेच बढ़िया आदरणीय।
ReplyDeleteBahut sundar gurudev.chandkar guru la jai johar.
ReplyDeleteजय जोहार आदरणीय ।साधुवाद ।
Deleteआदरणीय अब्बड़ सुघ्घर रचना करे हव, अब्बड़ सुघ्घर लागिच आप मन के रचना ह,💐💐💐🙏🙏🙏
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय ।
Deleteअनंत बधाई भाई👌👏👍💐💐
ReplyDeleteसादर साधुवाद आदरणीया ।
Deleteगजब सुघ्घर। विविध विषय मा बेहतरीन रोला छंद वर्मा सर जी
ReplyDeleteसादर आभार ।
Deleteबहुत सुंदर छंद रचे हव आपमन गुरुदेव, बहुत बधाई
ReplyDeleteसादर साधुवाद आदरणीय ।
Deleteबहुत बहुत बधाई सर जी घात सुग्घर रचना
ReplyDeleteसादर साधुवाद ।
Deleteबहुत ही सुन्दर रोला वर्मा सर
ReplyDeleteबिगड़त हें औलाद, देखलव सरी जमाना ।
ReplyDeleteपड़य कभू झन फेर, मूँड़ धरके पछताना ।
मत छोड़व एकाँत , संग मा रहिके जानव।
का हे उँकरे सोच, भावना ला पहिचानव ।।
वाह वाह वाह वाह
का गजब भाव हे
मोहन जी बधाई
सुरेश पैगवार
जाँजगीर
सादर साधुवाद साधुवाद, साधुवाद आदरणीय ।
Deleteरकम रकम के सुग्घर रोला मोहन भाई
ReplyDeleteधन्यवाद भैया जी ।
Delete👌👌👌👌👌🙏🙏
ReplyDeleteसाधुवाद।
Deleteबहुत सुंदर सर जी
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय ।
DeleteWell done. Lots of congratulations.
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय ।
Deletewah............ bahut badhiya rachna sir ji
ReplyDeleteबहुत सुग्घर वर्मा जी
ReplyDeleteअति सुग्घर रचना आदरणीय जी 💐💐
ReplyDeleteसादर साधुवाद ।
DeleteAti sundar likhe ho guru Dev gjab he
ReplyDeleteAti sundar
ReplyDeleteसाधुवाद ।
Deleteबहुत बढ़िया ����
ReplyDeleteअंतस ले आभार आदरणीय ।
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteसादर साधुवाद ।
Deleteजय हो
ReplyDeleteसाधुवाद आदरणीय ।
Deleteजय हो भांजे
ReplyDeleteप्रोत्साहन बर हार्दिक आभार, मामा जी।
Delete