रोला छंद :- जगदीश "हीरा" साहू
हमर राज के शान, देख लव कहाँ नँदागे।
लुगरा सूता छोड़, जीन्स अउ टॉप फँदागे।।
करय नहीँ सम्मान, आज मर्यादा हरगे।
ले फैसन के नाम, इहाँ फूहड़ता भरगे।।
बड़ किस्मत के बात, मोर घर जनमे बेटी।
मिटगे दुख के रात, खोल ख़ुशहाली पेटी।।
झन तँय अंतर जान, अपन बेटी-बेटा मा।
बेटी ला झन मार, परच नहीँ सपेटा मा।।
शिक्षा के अधिकार, आज मिलगे हे सबला।
नारी घलो पढ़ाव, इहाँ नइ हे वो अबला।।
पढ़के पाही ग्यान, मान जग मा बगराही।
बेटी घर के शान, सबो के भाग जगाही।।
राखव घर ला साफ, कभू बगरा झन कचरा।
नइ माने ये बात, फँसत जाहव गा पचरा।।
जिनगी भर दुख झेल, नरक बन जाही घर हा।
मिलय नहीँ आराम, साथ नइ जाही पर हा।।
छंदकार :- जगदीश "हीरा" साहू
कड़ार (भाटापारा)
हमर राज के शान, देख लव कहाँ नँदागे।
लुगरा सूता छोड़, जीन्स अउ टॉप फँदागे।।
करय नहीँ सम्मान, आज मर्यादा हरगे।
ले फैसन के नाम, इहाँ फूहड़ता भरगे।।
बड़ किस्मत के बात, मोर घर जनमे बेटी।
मिटगे दुख के रात, खोल ख़ुशहाली पेटी।।
झन तँय अंतर जान, अपन बेटी-बेटा मा।
बेटी ला झन मार, परच नहीँ सपेटा मा।।
शिक्षा के अधिकार, आज मिलगे हे सबला।
नारी घलो पढ़ाव, इहाँ नइ हे वो अबला।।
पढ़के पाही ग्यान, मान जग मा बगराही।
बेटी घर के शान, सबो के भाग जगाही।।
राखव घर ला साफ, कभू बगरा झन कचरा।
नइ माने ये बात, फँसत जाहव गा पचरा।।
जिनगी भर दुख झेल, नरक बन जाही घर हा।
मिलय नहीँ आराम, साथ नइ जाही पर हा।।
छंदकार :- जगदीश "हीरा" साहू
कड़ार (भाटापारा)
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ReplyDeleteपरच नहीं सपेटा मा,लय भंग।
ReplyDeleteबढिया है
ReplyDeleteबोधन भाई बताय है त्रुटि ल
सुधार करव भाई
छंद खजाना मा शामिल करे बर धन्यवाद भइया जी
ReplyDeleteसुंदर सृजन आदरणीय
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