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Sunday, May 31, 2020

रोला छन्द-, तुलेश्वरी धुरंधर

रोला छन्द-, तुलेश्वरी धुरंधर
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1,विषय-मीठा बोली
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मीठा बोली बोल,घोल जी मिसरी जतका।
करू कसा झन बोल,होत हे किट किट कतका।।
मन मा मया अपार, तोर मन मितवा मिलही।
जिनगी के दिन चार ,खुशी  के फुलवा खिलही।।

2,विषय-पानी
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पानी भरके राख, बउर झन उरहा  धुरहा।
सुक्खा नरवा खेत ,दिखे जस लइका मुरहा।।
सिका  बाँध के राख, नहीं ते चिरई मरही।
पानी बड़ अनमोल ,जीव मन पीके तरही।।

3,विषय-रक्तदान
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करव रक्त के दान,जीव ककरो  बच जाही।
जिनगी है अनमोल, तुँहर सेती सुख पाही।।
 तुँहरो होही नाव,दुःख उँकरो बिसराही।
दानी ओ कहलाय,  रक्त  जो दान कराही।।

4,विषय-बेटी घर के शान
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बेटी घर के शान, हमर जी मान बढ़ाथे।
मइके अउ ससुराल, मया के  पाठ पढ़ाथे।।
दाहिज दानव आय,सबो के जिनगी खाथे।
मानवता धिक्कार ,बहू बेटी जल जाथे।।
 रचनाकार -डॉ, तुलेश्वरी धुरंधर
अर्जुनी-बलौदाबाजार

10 comments:

  1. वाह-वाह वाह क्या बात है बहुत सुग्घर रचना बहिनी

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  2. बहुत ही सराहनीय रोला छंद के सृजन ।हार्दिक बधाई ।

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  3. बहुत सुग्घर दीदी जी

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  4. सुग्घर सुग्घर रोला छंद दीदी

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  5. सुग्घर सुग्घर रचना दीदी

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  6. सुग्घर सृजन।हार्दिक बधाई।

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  7. बहुत सुन्दर रोला आदरणीया जी 👌👌👌

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  8. वाह्ह वाह वाह्ह का कहना दीदी जी बहुते सुग्घर सन्देश देवत रचना 🙏🙏

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