रोला छंद:- गुमान प्रसाद साहू
।।1।।नशा पान।।
दारू गुटखा पान, हानिकारक बड़ हावय,
करय अपन नुकसान, जेन हा येला खावय।
आनी-बानी रोग, खाय ले येकर होथे,
परे नशा के जाल, जान कतको हे खोथे।।
।।2।।बिन मौसम बरसात।।
बिन मौसम बरसात, करत हे दूभर जीना,
लागत हे आषाढ़, जेठ के गरमी महिना।
बरसा संग गरेर, करत हे आफत भारी,
होत फसल नुकसान, उजड़ गे घर अउ बारी।।
।।3।।जेठ।।
आये महिना जेठ, सुरुज हा आगी उगले,
करथे अड़बड़ घाम, लागथे तन हा पिघले।
तरिया नरुवा देख, सबो हा सुक्खा परगे,
जीव जन्तु थर्राय, पेड़ के पाना झरगे।।
।।4।।भ्रष्टाचार।।
देश म भ्रष्टाचार, मरत ले भोगावत हे,
गाँव शहर के लोग, सबो हा पेरावत हे।
बिना घूँस के आज, काम कोनो नइ होवय,
होवय लूट खसोट,काम हो नइ पावय।।
।।5।।पेड़ लगावव।।
मिलही शीतल छाँव, लगालव सब रुखराई,
दिखही हरियर फेर, तभे गा धरती दाई।
करय हवा ये साफ, जेन हा जिनगी हावय,
करथे तीरथ धाम, पेड़ ला जेन लगावय।।
।।6।।किसान।।
माटी हमर मितान, करम हा हरय किसानी,
महिनत हे पहिचान, हवय जी गुरतुर बानी।
बंजर माटी चीर, धान ला हम उपजाथन,
भुइयाँ के भगवान, तभे जी हमन कहाथन।।
।।7।।भारत भुइयाँ।।
माटी हवय महान, जेन भारत कहलाथे
सबो धरम हा संग, जिहाँ हे कदम मिलाथे ।
बैरी बनय मितान, भूलके बैर करम ला
प्रजातंत्र हे राज, जानथे दया धरम ला।।7
छन्दकार:- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम :- समोदा(महानदी)
जिला:- रायपुर ,छत्तीसगढ़
।।1।।नशा पान।।
दारू गुटखा पान, हानिकारक बड़ हावय,
करय अपन नुकसान, जेन हा येला खावय।
आनी-बानी रोग, खाय ले येकर होथे,
परे नशा के जाल, जान कतको हे खोथे।।
।।2।।बिन मौसम बरसात।।
बिन मौसम बरसात, करत हे दूभर जीना,
लागत हे आषाढ़, जेठ के गरमी महिना।
बरसा संग गरेर, करत हे आफत भारी,
होत फसल नुकसान, उजड़ गे घर अउ बारी।।
।।3।।जेठ।।
आये महिना जेठ, सुरुज हा आगी उगले,
करथे अड़बड़ घाम, लागथे तन हा पिघले।
तरिया नरुवा देख, सबो हा सुक्खा परगे,
जीव जन्तु थर्राय, पेड़ के पाना झरगे।।
।।4।।भ्रष्टाचार।।
देश म भ्रष्टाचार, मरत ले भोगावत हे,
गाँव शहर के लोग, सबो हा पेरावत हे।
बिना घूँस के आज, काम कोनो नइ होवय,
होवय लूट खसोट,काम हो नइ पावय।।
।।5।।पेड़ लगावव।।
मिलही शीतल छाँव, लगालव सब रुखराई,
दिखही हरियर फेर, तभे गा धरती दाई।
करय हवा ये साफ, जेन हा जिनगी हावय,
करथे तीरथ धाम, पेड़ ला जेन लगावय।।
।।6।।किसान।।
माटी हमर मितान, करम हा हरय किसानी,
महिनत हे पहिचान, हवय जी गुरतुर बानी।
बंजर माटी चीर, धान ला हम उपजाथन,
भुइयाँ के भगवान, तभे जी हमन कहाथन।।
।।7।।भारत भुइयाँ।।
माटी हवय महान, जेन भारत कहलाथे
सबो धरम हा संग, जिहाँ हे कदम मिलाथे ।
बैरी बनय मितान, भूलके बैर करम ला
प्रजातंत्र हे राज, जानथे दया धरम ला।।7
छन्दकार:- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम :- समोदा(महानदी)
जिला:- रायपुर ,छत्तीसगढ़
वाह वाह बहुत खूब आदरणीय गुमान प्रसाद जी, सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुग्घर सर जी बधाई हो
ReplyDeleteगुरुदेव जी के सादर चरण वंदन संगें संग आप जम्मो स्नेही जन ला सादर आभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना मितान बधाई हो
ReplyDeleteबढिया विषय चयन के साथ साथ उत्तम रचना है भाई
ReplyDeleteबड़ सुग्घर रचना गुमान जी
ReplyDeleteअलग अलग विषय म सुग्घर सुग्घर रोला गुमान जी
ReplyDeleteजोरदरहा सृजन
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