रोला छंद --हीरालाल साहू "समय'
मन ला सुखी बनाय,सबो सीखव मुसकाना।
तन के सुख ला पाय, योग अउ ध्यान लगाना।
धन मा घर भर जाय, दान अउ धरम निभावव।
सब ला सुख पहुँचाय, भजन प्रभु के गा गावव।1।
एक नानकन भूल ,हमर हिनमान करावय।
लालच मा झन ढूल, इही दस रोग धरावय।
एखर ले घर द्वार , रहय रीता के रीता।
नजर मिरिग मा डार, बताइस माता सीता।2।
नइ हे पारावार, जगत ला कोन बचाही।
परदूसन भंडार, रोग अउ बड़का लाही।
मंद मास आहार, मनुख जब अड़बड़ करही।
तन ला अनचिनहार, रोग राई हा धरही।3।
समय बड़ा बलवान,समझ लव बहिनी भाई।
एखर राखव मान , इही मा हवय भलाई।
मिलथे एक समान, कहूँ ला कम ना जादा।
खरचव हीरा जान,बढ़ावव गा मर्यादा।4।
अपन बढ़ावव ज्ञान, समय जब मिलथे रीता।
पुस्तक पढ़ विज्ञान, जानलव काया गीता।
देह सुरक्षा मान, योग अउ आसन सीखव।
ध्यान करव भगवान, भक्ति के सुवाद चीखव।5।
बढ़िया रहय शरीर, खेल तुम नानम खेलव।
बनव देश के बीर, संग मा साथी लेलव।
खुडवा अउ फुटबाल , देह मा ताकत लाथय।
कुस्ती करव जवान, जौन बलवान बनाथय।।6।
छंद साधक -हीरालाल गुरुजी "समय"
छुरा, जिला-गरियाबंद
मन ला सुखी बनाय,सबो सीखव मुसकाना।
तन के सुख ला पाय, योग अउ ध्यान लगाना।
धन मा घर भर जाय, दान अउ धरम निभावव।
सब ला सुख पहुँचाय, भजन प्रभु के गा गावव।1।
एक नानकन भूल ,हमर हिनमान करावय।
लालच मा झन ढूल, इही दस रोग धरावय।
एखर ले घर द्वार , रहय रीता के रीता।
नजर मिरिग मा डार, बताइस माता सीता।2।
नइ हे पारावार, जगत ला कोन बचाही।
परदूसन भंडार, रोग अउ बड़का लाही।
मंद मास आहार, मनुख जब अड़बड़ करही।
तन ला अनचिनहार, रोग राई हा धरही।3।
समय बड़ा बलवान,समझ लव बहिनी भाई।
एखर राखव मान , इही मा हवय भलाई।
मिलथे एक समान, कहूँ ला कम ना जादा।
खरचव हीरा जान,बढ़ावव गा मर्यादा।4।
अपन बढ़ावव ज्ञान, समय जब मिलथे रीता।
पुस्तक पढ़ विज्ञान, जानलव काया गीता।
देह सुरक्षा मान, योग अउ आसन सीखव।
ध्यान करव भगवान, भक्ति के सुवाद चीखव।5।
बढ़िया रहय शरीर, खेल तुम नानम खेलव।
बनव देश के बीर, संग मा साथी लेलव।
खुडवा अउ फुटबाल , देह मा ताकत लाथय।
कुस्ती करव जवान, जौन बलवान बनाथय।।6।
छंद साधक -हीरालाल गुरुजी "समय"
छुरा, जिला-गरियाबंद
वाह वाह बहुत खूब रोला छंद, बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत ही बढिया है भाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर साहू जी
ReplyDeleteगज़ब सुग्घर रोला छंद सर
ReplyDeleteवाहहह!वाहहह!
ReplyDeleteवाह जोरदार सृजन
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