रोला छन्द-द्वारिका प्रसाद लहरे
कोरोना के रोग,देश ले दूर भगाबो।
रहिबो सब झिन साफ,तभे ए रोग हराबो।
टाटक जेवन संग,तात पीबो जी पानी।
रहिबो सबले दूर,सुखी रइही जिनगानी।।
घेरी-बेरी हाथ,बने साबुन ले धोवव।
रहना हावय साफ,गोठ लोगन मा बोवव।
कहना मानौ आज,अपन घर मा सब राहव।
कुछ दिन के हे बात,खुशी तब जम्मो पाहव।।
कोरोना के रोग,देश मा माड़ी टेकय।
डाक्टर मन के काम,आज दुनिया हा देखय।
अपने घर परिवार,छोड़ के सेवा करथे।
डाक्टर जान बचाय,सबो के बिपदा हरथे।।
छन्दकार-द्वारिका प्रसाद लहरे
बायपास रोड़ कवर्धा छत्तीसगढ़
कोरोना के रोग,देश ले दूर भगाबो।
रहिबो सब झिन साफ,तभे ए रोग हराबो।
टाटक जेवन संग,तात पीबो जी पानी।
रहिबो सबले दूर,सुखी रइही जिनगानी।।
घेरी-बेरी हाथ,बने साबुन ले धोवव।
रहना हावय साफ,गोठ लोगन मा बोवव।
कहना मानौ आज,अपन घर मा सब राहव।
कुछ दिन के हे बात,खुशी तब जम्मो पाहव।।
कोरोना के रोग,देश मा माड़ी टेकय।
डाक्टर मन के काम,आज दुनिया हा देखय।
अपने घर परिवार,छोड़ के सेवा करथे।
डाक्टर जान बचाय,सबो के बिपदा हरथे।।
छन्दकार-द्वारिका प्रसाद लहरे
बायपास रोड़ कवर्धा छत्तीसगढ़
बहुत सुंदर, संदेश प्रद छंद गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
Deleteबहुत सुग्घर रचना बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लहरे भाई
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई हो
वाहह!वाहह!लहरे सर
ReplyDeleteसुग्घर सृजन बधाई
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