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Friday, May 22, 2020

रोला छंद - नीलम जायसवाल*

*रोला छंद - नीलम जायसवाल*

*१) - हे जगदम्बा -*
सुन ले मोर पुकार, जगत के तँय महतारी।
तहीं सकत हस टार, मोर पर विपदा भारी।।
दाई हँव नादान, शरण मँय तोरे आयँव।
अँचरा मा बइठार, अबड़ दुख जग मा पायँव।।

*२) - दाई-ददा -*
कर लेवव सत्कार, मिलय नइ हरदम मौका।
दाई-ददा ल पूज, रहव मिल डइकी-डौका।।
लइका मन तक पाँय, सुघर गुण हो सँगवारी।
बन जावय घर स्वर्ग, महक जावय फुलवारी।।

*३) - राम -*
भज ले सँगी राम, इही हे एक सहारा।
कर दीही भव पार, सबो के राम दुलारा।।
बिन नइया मझधार, फोकटे भटका खाबे।
राम हृदय मा राख, पार भव ले हो जाबे।।

*४) - बसंत -*
ऋतु बसंत हे आय, हमर मन ला हरसाए।
बगरे हे चहुँ ओर, महक तन मा भर जाए।।
कोयल करथे कूक, बइठ अमुवा के डारी।
बड़ खुश हावय बाग, फुले हे फुलवा भारी।।

*५) - गणतंत्र-*
दिवस आय गणतंत्र, हृदय मा आशा लहरे।
लोकतंत्र के देश, तिरंगा झंडा फहरे।।
कर लेवव जयगान, राष्ट्र के गावव गाना।
पड़ जावय जब काम, देश बर मर-मिट जाना।।

*६) - मेहमान -*
आयें हें मेहमान, भीड़ घर मा हय भारी।
हल्ला गुल्ला गोठ, चलत हे दुनियादारी।।
अंतस हा सुख पाय, सबो झन के सकलाए‌।
मन भारी हो जाय, लहुट सब झन जब जाए।।

*छंदकार -  श्रीमती नीलम जायसवाल*
*भिलाई, छत्तीसगढ़*
मो.न.-7828245502

9 comments:

  1. बहुत सुग्घर दीदी जी

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  2. वाह हहहह।सुग्घर रोला छंद।

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  3. वाहःह नीलम बहुत सुंदर सृजन

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  4. वाहःह नीलम बहुत बढ़िया सृजन

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  5. वाह वाह बहुत खूब, लाजवाब सृजन

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  6. बहुत सुंदर सृजन बधाई

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  7. सुग्घर रचना दीदी

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  8. गुरुदेव निगम जी, जीतेन्द्र गुरुजी सहित आप सब के बहुत बहुत आभार।

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