*रोला छंद - नीलम जायसवाल*
*१) - हे जगदम्बा -*
सुन ले मोर पुकार, जगत के तँय महतारी।
तहीं सकत हस टार, मोर पर विपदा भारी।।
दाई हँव नादान, शरण मँय तोरे आयँव।
अँचरा मा बइठार, अबड़ दुख जग मा पायँव।।
*२) - दाई-ददा -*
कर लेवव सत्कार, मिलय नइ हरदम मौका।
दाई-ददा ल पूज, रहव मिल डइकी-डौका।।
लइका मन तक पाँय, सुघर गुण हो सँगवारी।
बन जावय घर स्वर्ग, महक जावय फुलवारी।।
*३) - राम -*
भज ले सँगी राम, इही हे एक सहारा।
कर दीही भव पार, सबो के राम दुलारा।।
बिन नइया मझधार, फोकटे भटका खाबे।
राम हृदय मा राख, पार भव ले हो जाबे।।
*४) - बसंत -*
ऋतु बसंत हे आय, हमर मन ला हरसाए।
बगरे हे चहुँ ओर, महक तन मा भर जाए।।
कोयल करथे कूक, बइठ अमुवा के डारी।
बड़ खुश हावय बाग, फुले हे फुलवा भारी।।
*५) - गणतंत्र-*
दिवस आय गणतंत्र, हृदय मा आशा लहरे।
लोकतंत्र के देश, तिरंगा झंडा फहरे।।
कर लेवव जयगान, राष्ट्र के गावव गाना।
पड़ जावय जब काम, देश बर मर-मिट जाना।।
*६) - मेहमान -*
आयें हें मेहमान, भीड़ घर मा हय भारी।
हल्ला गुल्ला गोठ, चलत हे दुनियादारी।।
अंतस हा सुख पाय, सबो झन के सकलाए।
मन भारी हो जाय, लहुट सब झन जब जाए।।
*छंदकार - श्रीमती नीलम जायसवाल*
*भिलाई, छत्तीसगढ़*
मो.न.-7828245502
*१) - हे जगदम्बा -*
सुन ले मोर पुकार, जगत के तँय महतारी।
तहीं सकत हस टार, मोर पर विपदा भारी।।
दाई हँव नादान, शरण मँय तोरे आयँव।
अँचरा मा बइठार, अबड़ दुख जग मा पायँव।।
*२) - दाई-ददा -*
कर लेवव सत्कार, मिलय नइ हरदम मौका।
दाई-ददा ल पूज, रहव मिल डइकी-डौका।।
लइका मन तक पाँय, सुघर गुण हो सँगवारी।
बन जावय घर स्वर्ग, महक जावय फुलवारी।।
*३) - राम -*
भज ले सँगी राम, इही हे एक सहारा।
कर दीही भव पार, सबो के राम दुलारा।।
बिन नइया मझधार, फोकटे भटका खाबे।
राम हृदय मा राख, पार भव ले हो जाबे।।
*४) - बसंत -*
ऋतु बसंत हे आय, हमर मन ला हरसाए।
बगरे हे चहुँ ओर, महक तन मा भर जाए।।
कोयल करथे कूक, बइठ अमुवा के डारी।
बड़ खुश हावय बाग, फुले हे फुलवा भारी।।
*५) - गणतंत्र-*
दिवस आय गणतंत्र, हृदय मा आशा लहरे।
लोकतंत्र के देश, तिरंगा झंडा फहरे।।
कर लेवव जयगान, राष्ट्र के गावव गाना।
पड़ जावय जब काम, देश बर मर-मिट जाना।।
*६) - मेहमान -*
आयें हें मेहमान, भीड़ घर मा हय भारी।
हल्ला गुल्ला गोठ, चलत हे दुनियादारी।।
अंतस हा सुख पाय, सबो झन के सकलाए।
मन भारी हो जाय, लहुट सब झन जब जाए।।
*छंदकार - श्रीमती नीलम जायसवाल*
*भिलाई, छत्तीसगढ़*
मो.न.-7828245502
बहुत सुग्घर दीदी जी
ReplyDeleteवाह हहहह।सुग्घर रोला छंद।
ReplyDeleteवाहःह नीलम बहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteवाहःह नीलम बहुत बढ़िया सृजन
ReplyDeleteवाह वाह बहुत खूब, लाजवाब सृजन
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन बधाई
ReplyDeleteसुग्घर रचना दीदी
ReplyDeleteगुरुदेव निगम जी, जीतेन्द्र गुरुजी सहित आप सब के बहुत बहुत आभार।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सृजन बधाई
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