छप्पय छंद-चित्रा श्रीवास
1.झिल्ली के नुकसान-
झिल्ली ला झन फेंक, खेत हा परिया परही।
गरुआ हा जब खाय,अटक बपुरी मन मरही।।
सड़य गलय नइ देख, बनय नइ खातू मानव।
करथे नाली जाम,अबड़ हे खतरा जानव।।
बंद करव अब बेचना ,सब के जान बचाव जी।
बउरव कागज ला सदा,झिल्ली घर झन लाव जी।।
2.पानी के महत्व
पानी हे अनमोल, जगत ला जिनगी देवय।
बूँद बूँद के मोल,सबो पीरा हर लेवय।।
बरसे बरखा जान,फसल हा बढ़िया होवय।
प्यासा मन के आस,बिना जल जिनगी रोवय।।
सोच समझ के बउर तँय,पानी संकट छाय हे।
मचगे हाहाकार जी,अइसे बेरा आय हे।।
3.ऊर्जा
ऊर्जा देवय रोज, सुरुज तब जिनगी चलथे।
पाके सुग्घर घाम, फसल हा फुलथे फलथे।।
पानी लेवय सोख,भाप बन उड़ तो जाथे।
बन के बादर फेर, अमृत कस जल बरसाथे।।
बिजली देवय कोइला, जेहर घटते जात हे।
सोलर पैनल ले सबो,बढ़िया बिजली पात हे।।
छंदकार-चित्रा श्रीवास
बिलासपुर छत्तीसगढ़
1.झिल्ली के नुकसान-
झिल्ली ला झन फेंक, खेत हा परिया परही।
गरुआ हा जब खाय,अटक बपुरी मन मरही।।
सड़य गलय नइ देख, बनय नइ खातू मानव।
करथे नाली जाम,अबड़ हे खतरा जानव।।
बंद करव अब बेचना ,सब के जान बचाव जी।
बउरव कागज ला सदा,झिल्ली घर झन लाव जी।।
2.पानी के महत्व
पानी हे अनमोल, जगत ला जिनगी देवय।
बूँद बूँद के मोल,सबो पीरा हर लेवय।।
बरसे बरखा जान,फसल हा बढ़िया होवय।
प्यासा मन के आस,बिना जल जिनगी रोवय।।
सोच समझ के बउर तँय,पानी संकट छाय हे।
मचगे हाहाकार जी,अइसे बेरा आय हे।।
3.ऊर्जा
ऊर्जा देवय रोज, सुरुज तब जिनगी चलथे।
पाके सुग्घर घाम, फसल हा फुलथे फलथे।।
पानी लेवय सोख,भाप बन उड़ तो जाथे।
बन के बादर फेर, अमृत कस जल बरसाथे।।
बिजली देवय कोइला, जेहर घटते जात हे।
सोलर पैनल ले सबो,बढ़िया बिजली पात हे।।
छंदकार-चित्रा श्रीवास
बिलासपुर छत्तीसगढ़
धन्यवाद भाई जी
ReplyDeleteसुग्घर रचना दीदी
ReplyDeleteबहुत सुग्घर संदेश प्रद रचना दीदी
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