Followers

Thursday, July 23, 2020

दोहा छन्द - राम कुमार चन्द्रवंशी

दोहा छन्द - राम कुमार चन्द्रवंशी

भुइयाँ सुन्ना रुख बिना,तुलसी बिना दुवार।
कोठा सुन्ना गउ बिना,बेटी बिन संसार।।

काटव झन तुम पेड़ ला,धरती हरा बनाव।
मिलही सब ला फर सदा,बिरवा चलव लगाव।।

तुलसी,आँगन मा रहे,मच्छर पास न आय।
 सब ला दिन अउ रात मा,ऑक्सीजन पहुँचाय।।

दूध-दही हर गाय के,जग मा हे अनमोल।
धरती के अमरित हरे,संग न ककरो तोल।।

बेटी जे घर मा रहय,घर मा रौनक आय।
मइके अउ ससुरार के,शोभा सदा बढ़ाय।।

जग मा लक्ष्मी तीन हे,नारी,धरती,गाय।
ये तीनों के रूठना,भारी विपदा लाय।।

जब नारी के नैन ले,निकले जल के धार।
पाँव पसारे दुख सदा,बिखरे नित परिवार।।

जब-जब धरती माँ रिसे,जग म रोस देखाय।
भुइयाँ मा भूकम्प कस,विपदा भारी आय।।

गउ माता के रूठना,बड़ दुखदाई होय।
धरती मा मनखे सदा,दूध-दही बर रोय।।

छन्दकार - राम कुमार चन्द्रवंशी
 ग्राम पोष्ट - बेलरगोंदी(छुरिया)
  जिला-राजनांदगाँव
  छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment