कुंडलियाँ छंद- श्री मति चित्रा श्रीवास
पानी बादर देखके,तन मन हा हरषाय।
टप टप टपके बूँद हा,खेत खार भर जाय ।।
खेत खार भर जाय ,झमाझम बरसे पानी ।
सबझन गाये गीत, आय जब बरखा रानी।।
गाँव गली मा शोर, खेत मा चलगे नाँँगर।
होवय बूता काम, गिरत हे पानी बादर
छानी खपरा के हवे,भिथिया माटी आय।
छितकी कुरिया मोर हे,पानी बड़ चुचुवाय।।
पानी बड़ चुचुवाय, रोज तो खटिया भींजय।
कटय नही अब रात, घड़ी ना आँखी मींजय।
टप टप टपके बूँद, रात भर चूहय पानी।
आगे हे बरसात, चुँहत हे खपरा छानी।।
झूमत हावय पेड़ हा, गाना गा लहराय।
करिया बादर देख के,भुइयाँ खुशी मनाय।।
भुइयाँ खुशी मनाय,आय जब बरखा रानी।
अबड़ परे हे घाम, जेठ मा तरसे प्रानी।।
बरखा पानी लाय,जीव के मन ला भावय।
अबड़ खुशी मा देख, पेड़ हा झूमत हावय।।
चित्रा श्रीवास
कोरबा
पानी बादर देखके,तन मन हा हरषाय।
टप टप टपके बूँद हा,खेत खार भर जाय ।।
खेत खार भर जाय ,झमाझम बरसे पानी ।
सबझन गाये गीत, आय जब बरखा रानी।।
गाँव गली मा शोर, खेत मा चलगे नाँँगर।
होवय बूता काम, गिरत हे पानी बादर
छानी खपरा के हवे,भिथिया माटी आय।
छितकी कुरिया मोर हे,पानी बड़ चुचुवाय।।
पानी बड़ चुचुवाय, रोज तो खटिया भींजय।
कटय नही अब रात, घड़ी ना आँखी मींजय।
टप टप टपके बूँद, रात भर चूहय पानी।
आगे हे बरसात, चुँहत हे खपरा छानी।।
झूमत हावय पेड़ हा, गाना गा लहराय।
करिया बादर देख के,भुइयाँ खुशी मनाय।।
भुइयाँ खुशी मनाय,आय जब बरखा रानी।
अबड़ परे हे घाम, जेठ मा तरसे प्रानी।।
बरखा पानी लाय,जीव के मन ला भावय।
अबड़ खुशी मा देख, पेड़ हा झूमत हावय।।
चित्रा श्रीवास
कोरबा
बहुत बढ़िया चित्रा
ReplyDeleteधन्यवाद दीदी
Deleteबढ़िया रचना चित्रा ।
ReplyDeleteधन्यवाद दीदी
Deleteबहुत सुन्दर दीदी जी
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
Deleteसुग्घर सिरजन दीदी
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
Deleteबहुत सुंदर छंद रचे हवव आपमन बहुत बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
Deleteसुग्घर रचना दीदी
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
Deleteसुग्घर कुण्डलिया।
ReplyDeleteधन्यवाद गुरूदेव
Deleteसुग्घर कुण्डलिया।
ReplyDeleteधन्यवाद गुरूजी
Deleteबढ़िया, बधाई दीदी
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
Deleteबहुत सुन्दर दीदी सादर बधाई आपला 👌👌💐💐🙏
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
Deleteबढ़िया कुंडलियाँ हे बहिनी
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई।
👌👏👍🌹🙏
धन्यवाद भैयाजी
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