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Tuesday, July 21, 2020

छप्पय छंद --आशा देशमुख*

छप्पय छंद --आशा देशमुख*

*छंद ज्ञान*

किसम किसम के छंद,सुघर सबके लय हावय।
गावव छंद सुजान,सबो के मन ला भावय।
दया मया के गीत,लगय जस निर्मल धारा।
अंतस खुशी समाय, फूटथे जब फ़व्हारा।
लिखव गीत अब छंद मा, मन झूमय आनन्द मा।
सुघ्घर कविता गाव जी,सुम्मत ज्योत जलाव जी।

*पाखंड*

धरम बने व्यापार,अतिक बाढ़त पाखंडी।
फैलाये भ्रमजाल,भरत हे लालच मंडी।
मनखे मन नादान,समझ तो कछु नइ पावँय।
सच बइठे चुपचाप,झूठ छल मन भरमावँय।
सुनँव करम के राग ला, लिखव अपन खुद भाग ला।
झन मानँव पाखण्ड ला, फेंकव दूर घमंड ला।

*मशाल*

बनके रहव मशाल,हवय जग मा अँधियारी।
भूले भटके लोग,गरीबी अउ लाचारी।
फले अंधविश्वास,जागरण बहुत जरूरी।
ठग जग के भरमार,ठगावत हे मजबूरी।
बारव दीया ज्ञान के,दूर करव अँधियार ला।
देश गाँव आघू बढ़य,शिक्षा दव परिवार ला।



छंदकार --आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
(छत्तीसगढ़)

8 comments:

  1. बढ़िया छप्पय छंद ये बहिनी।

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  2. बहुत सुंदर दीदी

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  3. बहुत सुन्दर दीदी जी

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  4. वाह्ह वाह सिरतोन कहत हव दीदी जी अब्बड़ सुग्घर सन्देश देवत छप्पय छंद दीदी 🙏🙏

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  5. गज़ब सुग्घर दीदी

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  6. सुग्घर दीदी

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  7. बहुत सुग्घर अउ भावपूर्ण कुण्डलिया छंद, बहुत बधाई

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