कुण्डलियां छंद- श्री मोहनलाल वर्मा
(1) जाग कमइया
जाग कमइया जाग तँय, होगे हवय बिहान ।
रात थकासी ला मिटा, कर बूता दिनमान ।।
कर बूता दिनमान, फाँद चल बइला- गाड़ी ।
सुग्घर हवय मितान, तोर गा खेती - बाड़ी।।
पागा बाँधे मूँड़, पेरथस जाँगर भइया।
"मोहन" मोर किसान, देश के जाग कमइया ।।
(2) मँहगाई-सुरसा
सुरसा कस लीलत हवय,मँहगाई मुँह फार ।
मनखे बिन मारे मरँय, देखव बीच बजार ।।
देखव बीच बजार, भूख मा मनखे मरथें ।
बाढ़त हावय लूट, छूट दे सौदा करथें ।।
कर देथे बरबाद, धान ला जइसे धुरसा ।
"मोहन" मोर मितान, बने मँहगाई- सुरसा ।।
(3)बाँटा
बाँटा-बाँटा मा बटय, देख सबो संसार ।
छरियावत हावय घलो, बड़े-बड़े परिवार ।।
बड़े-बड़े परिवार, मगन रहि जिनगी जीयँय ।
होवय कभू तिहार, सबो रस सुनता पीयँय ।।
मनखेमन जी आज, बोत हें स्वारथ काँटा ।
जिनगी जीथें फेर, अपन बर होके बाँटा ।।
छंदकार -- मोहन लाल वर्मा
पता- ग्राम-अल्दा,पो.आ. तुलसी (मानपुर), व्हाया -हिरमी, वि.खं.- तिल्दा,जिला-रायपुर(छत्तीसगढ़)पिन -493195
मोबा.नं. 9617247078
(1) जाग कमइया
जाग कमइया जाग तँय, होगे हवय बिहान ।
रात थकासी ला मिटा, कर बूता दिनमान ।।
कर बूता दिनमान, फाँद चल बइला- गाड़ी ।
सुग्घर हवय मितान, तोर गा खेती - बाड़ी।।
पागा बाँधे मूँड़, पेरथस जाँगर भइया।
"मोहन" मोर किसान, देश के जाग कमइया ।।
(2) मँहगाई-सुरसा
सुरसा कस लीलत हवय,मँहगाई मुँह फार ।
मनखे बिन मारे मरँय, देखव बीच बजार ।।
देखव बीच बजार, भूख मा मनखे मरथें ।
बाढ़त हावय लूट, छूट दे सौदा करथें ।।
कर देथे बरबाद, धान ला जइसे धुरसा ।
"मोहन" मोर मितान, बने मँहगाई- सुरसा ।।
(3)बाँटा
बाँटा-बाँटा मा बटय, देख सबो संसार ।
छरियावत हावय घलो, बड़े-बड़े परिवार ।।
बड़े-बड़े परिवार, मगन रहि जिनगी जीयँय ।
होवय कभू तिहार, सबो रस सुनता पीयँय ।।
मनखेमन जी आज, बोत हें स्वारथ काँटा ।
जिनगी जीथें फेर, अपन बर होके बाँटा ।।
छंदकार -- मोहन लाल वर्मा
पता- ग्राम-अल्दा,पो.आ. तुलसी (मानपुर), व्हाया -हिरमी, वि.खं.- तिल्दा,जिला-रायपुर(छत्तीसगढ़)पिन -493195
मोबा.नं. 9617247078
हार्दिक आभार आदरणीय ।सादर प्रणाम ।
ReplyDeleteआज छत्तीसगढ़ के पहिली तिहार हरेली के शुभ अवसर मा मोर अउ मोर धर्मपत्नी श्रीमती पूर्णिमा वर्मा दूनो झन के संयोगवश जन्मदिन( 20 जुलाई सन् 2020) के सुखद बेला मा गुरु आशीष-प्रेरणा ले सिरजे ये कुण्डलियाँ छंद , छंद खजाना मा स्थान पाके सार्थक होगे।छंद के छ परिवार के मया आशीष सदा मिलत रहय ।हरेली तिहार के अंतस ले बधाई संग सादर नमन ।
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएं
Deleteबधाई हो मोहन भाई💐👏👍👌
ReplyDeleteगज़ब सुग्घर सर
ReplyDeleteवाह वाह गुरुदेव, लाजवाब छंद, लिखे हव आपमन, बहुत बधाई
ReplyDeleteतीनों महत्वपूर्ण विषय मा बड़ सुग्घर सृजन आदरणीय बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुते सुघ्घर विषय अउ सृजन है भाई
ReplyDeleteलाजवाब कुण्डलिया छंद आदरणीय। बधाई
ReplyDeleteलाजवाब कुंडलियां छंद भैया जी
ReplyDeleteलाजवाब कुंडलिया छंद भैया जी बधाई हो
ReplyDeleteअबड़ सुघ्घर अउ सामयिक कुंडलियां छंद, आदरणीय वर्मा सर जी!सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन कुण्डलिया गुरुदेव
ReplyDeleteबेहतरीन कुंडलियां गुरूदेव हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर वर्मा जी
ReplyDeleteबधाई हो गुरु जी अउ गुरूवइन दाई ला
ReplyDelete202020 के अउ आप मैन कुंडलनी बहुत सुघ्घर लागिश
बधाई हो गुरु जी अउ गुरूवइन दाई ला
ReplyDelete202020 के अउ आप मैन कुंडलनी बहुत सुघ्घर लागिश
बहुत सुन्दर सर जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाई साहब।
ReplyDeleteसुग्घर छंद
ReplyDeleteवाह वाह वर्मा जी,
ReplyDeleteकिसान ल जगाय के संग मँहगाई अउ संयुक्त परिवार के विघटन ल सुग्घर ढंग ले बतायेव। बधाई
,🌹🌹🌹🙏🙏🙏
जनमदिन के संघरा बधाई झोंकव वर्मा जी ।
ReplyDeleteअबड़ सुग्घर कुणडलिया , बढ़िया भाव
Very very nice your kundaliya dear mohan sir and janm din ki ashim shubhkamna.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कुंडलिया मोहन भाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सर जी
ReplyDelete