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Monday, July 13, 2020

माटी के मितान - घनाक्षरी(सूर्यकांत गुप्ता)



माटी के मितान - घनाक्षरी(सूर्यकांत गुप्ता)

माटी के मितान कथें तोला जी किसान रहै नाँगर धियान देख बरसात आगै जी।
खेत के जोतान संग धान के बोवान जँहा माते हे किसान देख मन हरसागै जी।।
मनखे ल जान तँय स्वारथ के खान कथे तोला भगवान साध मतलब भागै जी।
कोनो ल  मितान कहाँ परथे जियान जब मरथे किसान देख करजा लदागै जी।

मर जाही तौ किसान फसल उगाही कोन, सोचन नही ए बात काबर गा भाई हो।
सुख दुख दूनो म गा मिल के मदद करी, सोच जिनगी उंखर झन दुखदाई हो।।
उदिम करन चलौ भिड़ के अगोरे बिन, पाटे बर ऊँच नीच बीच बने खाई हो।
करन उहिच काम सुमिर रहीम राम, जेकर करे ले जन जन के भलाई हो।।

सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ. ग.)

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