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Saturday, July 11, 2020

शोभामोहन श्रीवास्तव-छंद-कुण्डलिया

शोभामोहन श्रीवास्तव-छंद-कुण्डलिया

बड़ेफजर ले राधिका,पानी ओखी जात।
जमुना जी के घाट मा,कान्हा हवय बलात।।
कान्हा हवय बलात,चलत हे राधा रानी।
ठिठकत ठमकत खोर,डहर हे जात सयानी।।
मन मा हे डर्रात,लुकाके निकलत घर ले।
बाजत नइ हे गोड़,जात हे बड़ेफजर ले।।

टकटक देखत मोहना,पलक नही झपकात।
राधारानी लाज मा,मूँड़ नवा मुस्कात।।
मूँड़ नवा मुस्कात,कनेखी देख सिहरगे।
हिरदे गंध लुटात,उदुपहा हाँसी झरगे।।।
बिँदिया सोहे माथ,बरत हे लकलक लकलक।
लाज म उपके रूप,किशन हर देखत टकटक।।

डारा पाना फूल तक,पवन संग लहरात।
लूट लूट मकरंद ला,भँवरा मजा उड़ात।।
भँवरा मजा उड़ात,नेवते हे फुलवारी।
डुँहड़ू सबो लुकाय,करत हें चुगली-चारी।।
चुहकत झोर अघात,मया के कहाँ उतारा।
भँवरा ला भकवाय,देख के पासत डारा।।

शोभामोहन श्रीवास्तव
खुश्बूविहार अमलेश्वर
रायपुर छ.ग.

5 comments:

  1. का कहना, जबरदस्त कुंडलियाँ बहिनी...
    👌👌👏👏👍👍🌹🌹🙏

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  2. बहुत सुन्दर दीदी जी

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  3. बहुतेच सुग्घर कुण्डलिया।हार्दिक बधाई

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  4. बहुत सुग्घर रचना दीदी

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  5. बहुत सुघ्घर भाव सृजन हे बहिनी

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