छप्पय छंद - आशा आजाद
हमर बस्तर
बस्तर के इतिहास,बतावँव मँय हा सुनलौ।
दक्षिण कौशल नाँव,कहाये सुघ्घर गुनलौ।
काकतीय हे वंश,केन्द्र जगदलपुर हावय।
श्रद्धा हवय अपार,सुघर देवालय भावय।
मूल निवासी मन रहे,हल्बा भतरा गोंड़ जी।
हिरदे बसथे प्रेम हा,ओखर नइ हे जोड़ जी।।
झरना के बड़ रूप,गुफा हा अब्बड़ भाये।
बस्तर महल अनूप,देख मन हा मोहाये।
चित्रकूट के धार,दूध कस दिखथे भाई।
दंतेश्वरी कहाय,उहाँ कुलदेवी माई।
महल ऐतिहासिक हवे,चिन्हारी हे राज के।
कलाशिल्प बढ़के उहाँ,सुघ्घर जम्मो काज हे।।
लोक संस्कृति नीक,परंपरा मन ल भावय।
गौर नृत्य के गीत,पुरुष मिल जुलके गावय।
शैला अउ ककसार,सबो हे नाचा सुग्घर।
हल्बी भाखा नीक,कहय कश्मीर ह बस्तर।
हे घाटी कांकेर के,मन होवय आनंद जी।
सुग्घर जंगल मोह लय,मन गाये मकरंद जी।।
छंदकार - आशा आजाद
पता - मानिकपुर कोरबा छग
हमर बस्तर
बस्तर के इतिहास,बतावँव मँय हा सुनलौ।
दक्षिण कौशल नाँव,कहाये सुघ्घर गुनलौ।
काकतीय हे वंश,केन्द्र जगदलपुर हावय।
श्रद्धा हवय अपार,सुघर देवालय भावय।
मूल निवासी मन रहे,हल्बा भतरा गोंड़ जी।
हिरदे बसथे प्रेम हा,ओखर नइ हे जोड़ जी।।
झरना के बड़ रूप,गुफा हा अब्बड़ भाये।
बस्तर महल अनूप,देख मन हा मोहाये।
चित्रकूट के धार,दूध कस दिखथे भाई।
दंतेश्वरी कहाय,उहाँ कुलदेवी माई।
महल ऐतिहासिक हवे,चिन्हारी हे राज के।
कलाशिल्प बढ़के उहाँ,सुघ्घर जम्मो काज हे।।
लोक संस्कृति नीक,परंपरा मन ल भावय।
गौर नृत्य के गीत,पुरुष मिल जुलके गावय।
शैला अउ ककसार,सबो हे नाचा सुग्घर।
हल्बी भाखा नीक,कहय कश्मीर ह बस्तर।
हे घाटी कांकेर के,मन होवय आनंद जी।
सुग्घर जंगल मोह लय,मन गाये मकरंद जी।।
छंदकार - आशा आजाद
पता - मानिकपुर कोरबा छग
सुग्घर रचना दीदी
ReplyDeleteआभार भाई🙏
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दीदी जी
ReplyDeleteबस्तर के इतिहास ला बतावव सुघ्घर रचना ।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रचना दीदी सादर प्रणाम
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