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Friday, July 17, 2020

कुंडलियां छंद-मोहन निषाद

कुंडलियां छंद-मोहन निषाद

पर्यावरण

रोवत हे पर्यावरण , परदूषण मा आज ।
बाढ़त हावय रोज के , गिरही जइसे गाज ।।
गिरही जइसे गाज , हवय परदूषण भारी ।
गाडी घोड़ा आज , बने सबके लाचारी ।।
संकट मा ओजोन , परत हे छेदा होवत ।
कटगे जम्मो पेड़ , देख के सब हे रोवत ।।

छोड़ संसो हे जीना

जीना सीखव आज मा , छोड़ काल के बात ।
आहय जिनगी मा मजा , कटय बने दिन रात ।।
कटय बने दिन रात ,  गोठ ला जी तँय सुनले ।
बात हवय ये  सार  ,  मने मा  थोरिक  गुनले ।।
जिनगी मा जी रोज , इहाँ सुख दुख हे पीना ।
कहिथे सुनव सियान ,  छोड़ संसो हे जीना ।।

नारी शक्ति

नारी शक्ति रूप ये , झन समझव कमजोर ।
महिमा जेखर हे कहे , देवन मन चँहु ओर ।।
देवन मन चँहु ओर , सार जी येला मानव ।
कर लेवव पहिचान , रूप ला येखर जानव ।।
सुख दुख मा हे संग , आय जी ये अवतारी ।
बोहे जग के भार , सबल हावय जी नारी ।।

बहू अउ बेटी

मानव  बेटी  ला  बने ,  देके  मया  दुलार ।
करव भेद झन आज तुम ,जिनगी के दिन चार ।।
जिनगी  के  दिन  चार , मान  बेटी  ला  देवव ।
मारव झन जी कोख , परन अब सब गा लेवव ।।
होथे  लक्ष्मी  रूप , मरम  ला  येखर जानव ।
बहु बेटी ला आज , रतन जी धन कस मानव ।।

महतारी

महतारी के हे मया , सबले बड़का जान ।
जनम देय सबला हवै , मानव अउ भगवान ।।
मानव अउ भगवान , सबो कोरा मा आये ।
जिनगी अपन बिताय , मया ला रोजे पाये ।
येखर रूप हजार , आय लक्ष्मी अवतारी ।
सुख दुख बाँटय संग , भार बोहे महतारी ।।

       रचनाकार -  मोहन कुमार निषाद
                  गाँव - लमती , भाटापारा ,
               जिला - बलौदाबाजार (छ.ग.)

16 comments:

  1. बहुत बढ़िया कुंडलियाँ मोहन भाई, बधाई

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  2. वाह वाह लाजवाब कुण्डलिया छंद लिखे है आपने मोहन निषाद जी, उत्तम सृजन के लिए हार्दिक बधाई

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  3. भाव प्रवण कुण्डलिया छंद। बधाई

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  4. This comment has been removed by the author.

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  5. बहुत बढ़िया सृजन मित्र ,,बधाई

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  6. बहुत बढ़िया सृजन मित्र ,,बधाई

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  7. बहुत बढ़िया विषय सृजन है भाई

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  8. गजब सुग्घर भाईजी

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  9. अबड बढ़िया भाई जी

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  10. गजब सुग्घर कुण्डलिया।हार्दिक बधाई

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  11. गजब सुग्घर कुण्डलिया।हार्दिक बधाई

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  12. बहुतेच सुग्घर सिरजन कुण्डडलियाँ छंद भाई जी।बधाई

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  13. बहुत सुग्घर बधाई हो

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  14. बहुत सुघ्घर सिरजन कुंडलियां छंद के मोहन निषाद भाई आपला बहुत बहुत बधाई हो

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  15. तीनों कुंडलियाँ जानदार हे मोहन भाई...
    👌👌👍👍👏👏🌹🌹

    जीवौ संसो छोड़ के, पर्यावरण बचाव।
    नारी देवी मान के, रिश्ता नता निभाव।।
    रिश्ता नता निभाव, लाँघिहौ झन मरजादा।
    बेचावय झन लाज, उँखर करिहौ ए वादा।।
    रख जिनगी खुशहाल खुशी के अमरित पीवौ।
    संसो ला दौ छोड़, तहाँ सुख से सब जीवौ।।
    👌👌👌👍👍👏👏👏🌹🌹🌹🌹
    भाई गो.....

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