मीता अग्रवाल -कुंड़लिया
सैनिक सरहद मा खड़े,देखव सीना तान।
घुसपैठी कर चीन ला,मार भगाही जान।
मार भगाही जान,आन बर तन मन वारे।
बीस जवान शहीद,मात दे बैरी हारे।
गोड धरन ना देत,अड़े रहिथे जी दैनिक।
धाय धाय बंदूक,चला थे रक्षक सैनिक।।
(2)
थोडिक थोडिक सोच के,रुपिया पइसा जोड।
आपद बेरा मा सदा,इही बचत हे तोड़।
इही बचत हे तोड़, मान सनमान बढाए।
जर जमीन पहिचान,बचत ही काम म आए।
घेरी बेरी सोच,ध्यान दव थोडिक मोरिक।
जीव जगत सुखधाम,बचत कर थोड़िक थोड़िक।।
(3)
छोटे मछरी ला बड़े, हबक पोठ हो जाय।
इही जमाना के चलन, मनखे जी भरमाय।
मनखे जी भरमाय,चलय फिर गोरख धंधा ।
मार लबारी लाम,थपथपावत हे कंधा।
चोर चोर हे एक,माल खा होवत मोटे।
बदले हावे चाल,जमाना बड़े ना छोटे।।
रचनाकार-मीता अग्रवाल मधुर
रायपुर छत्तीसगढ़
सैनिक सरहद मा खड़े,देखव सीना तान।
घुसपैठी कर चीन ला,मार भगाही जान।
मार भगाही जान,आन बर तन मन वारे।
बीस जवान शहीद,मात दे बैरी हारे।
गोड धरन ना देत,अड़े रहिथे जी दैनिक।
धाय धाय बंदूक,चला थे रक्षक सैनिक।।
(2)
थोडिक थोडिक सोच के,रुपिया पइसा जोड।
आपद बेरा मा सदा,इही बचत हे तोड़।
इही बचत हे तोड़, मान सनमान बढाए।
जर जमीन पहिचान,बचत ही काम म आए।
घेरी बेरी सोच,ध्यान दव थोडिक मोरिक।
जीव जगत सुखधाम,बचत कर थोड़िक थोड़िक।।
(3)
छोटे मछरी ला बड़े, हबक पोठ हो जाय।
इही जमाना के चलन, मनखे जी भरमाय।
मनखे जी भरमाय,चलय फिर गोरख धंधा ।
मार लबारी लाम,थपथपावत हे कंधा।
चोर चोर हे एक,माल खा होवत मोटे।
बदले हावे चाल,जमाना बड़े ना छोटे।।
रचनाकार-मीता अग्रवाल मधुर
रायपुर छत्तीसगढ़
बहुत सुग्घर कुण्डलियाँ
ReplyDeleteअब्बड़ सुग्घर भावपूर्ण कुण्डलियाँ छंद दीदी जी हार्दिक बधाई 🙏🙏
ReplyDeleteधन्यवाद भाई जी ।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर कुण्डलिया दीदी
ReplyDeleteवाह वाह बहुत शानदार, भावपूर्ण छंद रचे हव आपमन, उत्तम सृजन बर बहुत बधाई।
ReplyDeleteबहुत शानदार कुण्डलिया बधाई दीदी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दीदी 👌👌💐💐🙏
ReplyDeleteबहुतेच सुग्घर कुण्डलिया।हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसुग्घर रचना दीदी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कुंडलियाँ बहिनी.
ReplyDeleteआपसबला हदयतल ले आभार ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया छंद सृजन है बहिनी
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