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Tuesday, July 28, 2020

छप्पय छंद - बलराम चंद्राकर

छप्पय छंद - बलराम चंद्राकर

साधना 

होही गा कल्याण, साध जस अर्जुन साधे।
बोलौ राधेश्याम, जपौ जी राधे राधे।।
प्रभु के गुन ला गाव, छोड़ के जग के माया।
जिनगी ये दिन चार, गरब बर नोहय काया।।
माधव मोहन कृष्ण के, महिमा अपरंपार ये। 
इँकर सरन मा सुख सबे, होही दुनिया पार ये।। 

यातायात 

गाड़ी मोटर कार, सड़क मा चारों कोती। 
दुर्घटना मा घात, बुझावत जीवन जोती।। 
होवत अंग अपंग, सुरक्षा के अनदेखी।
हावै भागमभाग, चलत हन मारत सेखी।।
जानन यातायात ला, पढ़न नियम अउ कायदा।
हम बेवस्था मा रहन, होवै सब ला फायदा।।

सुजान

संगी बनौ सुजान, दाग अप्पड़ के धोवौ। 
सबल बनौं तुम आज, करम के बिजहा बोवौ।।
पढ़ौ लिखौ तुम खूब, पार तब होही नइया।
सीखौ जग के रीत, सुनौं जी दीदी भइया।।
घर परिवार उमंग मा, रहै सदा ये ठान ले।
 अपन गोड़ मा रेंगिहौ, आही सतयुग जान ले।।

मिहनत 

बेरा ला पहिचान, दुबारा नइ आवै ये। 
हवै अबड़ बलवान, कभू गा नइ ठाढ़ै ये।। 
पाछू होबे जान, काल बर करहूँ कहिबे।
कर ले सोचे काम, अगोरा मा झन रहिबे।। 
सपना सच होथे गियाँ, मिहनत ला झन छोड़बे।
हवै जरूरी साधना, नियम धरम झन तोड़बे।। 

हृदय मा भगवान 

कण-कण मा भगवान, हृदय मा डेरा हाबे। 
जप ले सीताराम, कहाँ तैं बाहिर पाबे।। 
भवसागर के पार, हवै जी जाना तोला। 
हो जाही उद्धार, खोज अंतस मा ओला।। 
लीन चरन प्रभु के रहौ, जिनगी अपन उबार लौ। 
भक्ति भाव मा बूड़ के, तन मन अपन सँवार लौ।। 

छंदकार :
बलराम चंद्राकर 
भिलाई छत्तीसगढ़

15 comments:

  1. बहुते सुघ्घर गुरूदेव

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    1. धन्यवाद द्वारिका जी

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  2. शानदार रचना गुरूजी

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  3. धन्यवाद बोधन जी ।

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  4. बलराम भाई अनुकरणीय रचना है हार्दिक बधाई...

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आप ला

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  5. बहुत सुग्घर संदेश फरक रचना ,बधाई भैया ।

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  6. गुरु के किरपा ले इहाँ, हवै लिखावत छंद।
    मोला आइस हे बने, पढ़ पढ़ के आनंद।।
    पाये हन हम गुरुकृपा, भाग अपन सहरान।
    मिलही छप्पर फाड़ के, ठँउका हमला ज्ञान।।

    बहुत सुंदर विषयानुरूप छप्पय छंद भाई
    बहुत बहुत बहुत बधाई आप ला...
    🌹🌹🌹👌👌👍👍👍👏👏👏👏🌹🙏

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    1. वाहहह भैया! आप के रिप्लाई पढ़ के मजा आगे ।रचना ला पढ़ के सराहेव, बहुत बहुत आभार ।

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  7. वाह!
    बहुत सुग्घर रचना।

    बधाई हो भइया

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    1. जी बहुत-बहुत आभार आप मन हमर रचना ला पढ़ेव अउ मान दिएव।

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  8. बड़ सुक्घर,पढ़ के मजा आगे। बधाईयां

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    1. धन्यवाद पीलाराम भैया ।

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