कुण्डलिया-श्री सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
(1)
खोलव सोशल मीडिया, रोज मिलत हे ज्ञान।
पढ़व सुनव देखव बने, समझव दे के ध्यान।
समझव दे के ध्यान, धरे लाइक ला धरलव।
निज आदत व्यवहार, कार्य मा शामिल करलव।
सबके सुनव विचार, कभू अपनो ला बोलव।
वट्सप इन्स्टाग्राम ,फेसबुक ट्विटर ल खोलव।
(2)
देखत हन हर हाथ मा, आज फोर जी सेट।
दुनियाभर के सोच ला, जोड़ रखे हे नेट।
जोड़ रखे हे नेट, विचारन ला जन मन के।
बुढ़वा के मनभाव , लइकई ला बचपन के।
होही सद् बदलाव, अकारथ हम छेकत हन।
समय अपन अनुकूल, भविस गढ़थे देखत हन।
(3)
जेखर श्रम के अन्न ले, पले जगत परिवार।
ओ किसान भगवान के, होवय जयजेकार।
होवय जयजेकार, गड़य झन पॉंव म कॉंटा।
सुखी रहय संतान, मिलय अमरित के बॉंटा।
कभू न होय शिकार, सुवारथ भेद भरम के।
पले जगत परिवार , अन्न ले जेखर श्रम के।
(4)
जिनगानी के चार दिन, काटव छइहॉं घाम।
करत रहौ सतकाम ला, जपत रहौ सतनाम।
जपत रहौ सतनाम, मगन मन अंतस राखे।
बनही जगत विधान, करे कारज मुॅंह भाखे।
जग अपनाही श्वेत, सियानी खानी बानी।
सुफलित संत सुजान, जनम जोनी जिनगानी।
रचना-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
(1)
खोलव सोशल मीडिया, रोज मिलत हे ज्ञान।
पढ़व सुनव देखव बने, समझव दे के ध्यान।
समझव दे के ध्यान, धरे लाइक ला धरलव।
निज आदत व्यवहार, कार्य मा शामिल करलव।
सबके सुनव विचार, कभू अपनो ला बोलव।
वट्सप इन्स्टाग्राम ,फेसबुक ट्विटर ल खोलव।
(2)
देखत हन हर हाथ मा, आज फोर जी सेट।
दुनियाभर के सोच ला, जोड़ रखे हे नेट।
जोड़ रखे हे नेट, विचारन ला जन मन के।
बुढ़वा के मनभाव , लइकई ला बचपन के।
होही सद् बदलाव, अकारथ हम छेकत हन।
समय अपन अनुकूल, भविस गढ़थे देखत हन।
(3)
जेखर श्रम के अन्न ले, पले जगत परिवार।
ओ किसान भगवान के, होवय जयजेकार।
होवय जयजेकार, गड़य झन पॉंव म कॉंटा।
सुखी रहय संतान, मिलय अमरित के बॉंटा।
कभू न होय शिकार, सुवारथ भेद भरम के।
पले जगत परिवार , अन्न ले जेखर श्रम के।
(4)
जिनगानी के चार दिन, काटव छइहॉं घाम।
करत रहौ सतकाम ला, जपत रहौ सतनाम।
जपत रहौ सतनाम, मगन मन अंतस राखे।
बनही जगत विधान, करे कारज मुॅंह भाखे।
जग अपनाही श्वेत, सियानी खानी बानी।
सुफलित संत सुजान, जनम जोनी जिनगानी।
रचना-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
सादर आभार
ReplyDeleteसुग्घर गुरुदेव
ReplyDeleteसादर धन्यवाद
Deleteवाह बहुत बढ़िया. .सुघ्घर बधाई हो भैया जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद
Deleteबहुत ही बढिया सृजन हे भाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर कुंडलियाँ भैया जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर
Deleteबहुत जोरदार लिखे हव भाई,,,, विविध भाव मे ,,,,
ReplyDeleteहार्दिक बधाई ��������
सादर धन्यवाद सर
Delete
ReplyDeleteखोलव सोशल मीडिया, रोज मिलत हे ज्ञान।
पढ़व सुनव देखव बने, समझव दे के ध्यान।
समझव दे के ध्यान, धरे लाइक ला धरलव।
निज आदत व्यवहार, कार्य मा शामिल करलव।
सबके सुनव विचार, कभू अपनो ला बोलव।
वट्सप इन्स्टाग्राम ,फेसबुक ट्विटर ल खोलव।
वाह वाह वाह
गज्ज्ज्ज्ज्बब्ब्ब्ब्ब्ब्ब् कुण्डलिया हे जम्मो
सुरेश पैगवार
जाँजगीर
सादर धन्यवाद सर
Deleteअति मनभावन कुण्डलिया सर जी 🙏🙏🌹🌷🌺
ReplyDeleteसादर धन्यवाद
Deleteवर्तमान जीवन शैली ला अपन कुंडलिया के माध्यम ले बहुत बढ़िया हम सबके बीच मा रखे हव आदरणीय। आप ला बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर
Deleteबहुत सुग्घर सर जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर
Deleteबड़ सुघ्घर ले सोशल मीडिया के फायदा ल बताऐ हव गुरु देव जी 🙏🙏🙏
ReplyDeleteवाह् गुरुदेव बहुत सुन्दर 🙏🙏
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर
Deleteगज़ब सुग्घर सर
ReplyDeleteअनुपम सिरजन भाई अहिलेश्वर के...
ReplyDelete👌👌👏👏👏👍🌹🌹
बहुत बहुत बधाई जी