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Tuesday, July 21, 2020

सुरेश पैगवार *कुण्डलिया*

सुरेश पैगवार *कुण्डलिया*
                 
                   (1)

लेवत गुरु के नाम ले,मिट जाथे सब क्लेश।
समाधान सब के करय, धर के संतन भेष।।
धर के संतन भेष,    बनाये जग ला ज्ञानी।
जड़ चेतन संसार,   सबल मानौ गुरुबानी।
दिव्य ज्ञान के जोत, जगावे सद्गुन देवत।
होथे नैय्या पार,    नाम गुरुवर के लेवत।।

                    (2)

वंदन गुरु के जे करै,    पावै ज्ञान अपार।
सगरो गुन के खान बन,पार करे मँझधार।।
पार करय मँझधार, मान ले गुरु के कहना।
गुरु बतावय ज्ञान, मनुज ला कइसे रहना।
ये धन जेकर पास,      तेकरे होथे वंदन।
लोग नवाथें माथ, सबो करथें अभिनंदन।।

           (3)

बन के रबो सुपात्र तब,मिलही कृपा अपार।
ज्ञानवान बन जाय ले,मिलही मया दुलार।।
मिलही मया दुलार, माथ मा सजही चंदन।
छूट जही अभिमान,सबो करहीं अभिनंदन।
सच्चा गुरु के ज्ञान, कहाँ पाहौ जी मन के।
जब्भे पाबो मान, रबो जब लायक बन के।।

          *सुरेश पैगवार*
                   जाँजगीर

9 comments:

  1. भावप्रवण कुण्डलिया छंद में गुरु के महत्ता ऊपर कलम चलाये हव आदरणीय पैगवार जी। बहुत बहुत बधाई।

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  2. गुरू उपर बढ़िया छप्पय छंद पैगवार भाई

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  3. बहुत सुंदर भैया

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  4. बहुत सुन्दर सर जी

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  5. अब्बड़ सुग्घर भावपूर्ण कुण्डलियाँ छंद पैगवार भइया जी 🙏🙏

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  6. वाह वाह पैगवार सर

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  7. गुरु ल समर्पित सुग्घर छप्पय

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  8. सादर धन्यवाद आप जम्मो गुणीजन ल आशीर्वाद देहे खातिर

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  9. वाह वाह बहुत सुंदर और भावपूर्ण सृजन, बहुत बधाई

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