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Tuesday, July 14, 2020

कुण्डलियाँ--कमलेश कुमार वर्मा

कुण्डलियाँ--कमलेश कुमार वर्मा

1.मच्छरदानी
मच्छरदानी रोकही, मादा मच्छर वार।
येकर चाबे ले गड़ी, आवय तेज बुखार।।
आवय तेज बुखार, ताप मा तीपय हाड़ा।
मलेरिया तब जान, संग जब लागय जाड़ा।।
मच्छर अड़बड़ होय, जिहाँ हे गन्दा पानी।
बिस्तर मा तँय तान, रोज के मच्छरदानी।।

2.पहुना
पहुना देव समान हे, आँगन के बड़ शान।
सँहरा के तँय भाग ला, पहुना के कर मान।।
पहुना के कर मान, जान झन बोझा येला।
लगय नहीं घर तोर, सगा के रोजे मेला।।
सुग्घर मीठ जुबान, सुवागत कर जी दुगुना।
पा तँय बहुत असीस, भाव रख देव पहुना।।

3. सफलता

सारी दुनिया मा इही, सफल होय के सार।
हर घँव गिर के हो खड़े, मान कभू  झन हार।।
मान कभू झन हार, हौसला रख तँय भारी।
आशा ला मत छोड़, जीत के आही पारी।।
महिनत कर भरपूर, राख तँय कोशिश जारी।
बाधा ला कर पार, तोर हे दुनिया सारी।।

छन्दकार-
कमलेश कुमार वर्मा
भिम्भौरी, बेमेतरा
छत्तीसगढ़

3 comments:

  1. बहुत सुग्घर सर जी

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  2. बहुत ही बढ़िया कुंडलियाँ
    तीनों कुंडलियाँ बड़ सुग्घर..
    बहुत बहुत बधाई भाई कमलेश
    🌹🌹🙏🙏🌹🌹

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  3. वाह वाह एक ले बढ़के एक कुण्डलिया।हार्दिक बधाई

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