कुंडलियाँ छंद-सूर्यकांत गुप्ता"कांत"
1,करू दवाई
करू दवाई चाब के, खाये सकैं न जान।
ओला सोझे लीलथें, करके रोग निदान।।
करके रोग निदान, करूपन नई जनावय।
गुन ओकर तँय मान,तोर वो रोग भगावय।।
बनिहौ तभे महान, लीलना सीखौ भाई।
असफलता अपमान, मान के करू दवाई।।
2,खऊलत पानी
खउलत पानी मा कभू, दिखय न अपने चित्र।
गुस्सा मा जी ओइसने, सुध बुध खोथन मित्र।।
सुध बुध खोथन मित्र, हमन अलहन कर जाथन।
खऊलावत तन मन, ब्यर्थ काछन चढ़वाथन।।
काम क्रोध मद लोभ, बाँध झन मन घानी मा।
दिखय न अपने चित्र, कभू खउलत पानी मा।
1,करू दवाई
करू दवाई चाब के, खाये सकैं न जान।
ओला सोझे लीलथें, करके रोग निदान।।
करके रोग निदान, करूपन नई जनावय।
गुन ओकर तँय मान,तोर वो रोग भगावय।।
बनिहौ तभे महान, लीलना सीखौ भाई।
असफलता अपमान, मान के करू दवाई।।
2,खऊलत पानी
खउलत पानी मा कभू, दिखय न अपने चित्र।
गुस्सा मा जी ओइसने, सुध बुध खोथन मित्र।।
सुध बुध खोथन मित्र, हमन अलहन कर जाथन।
खऊलावत तन मन, ब्यर्थ काछन चढ़वाथन।।
काम क्रोध मद लोभ, बाँध झन मन घानी मा।
दिखय न अपने चित्र, कभू खउलत पानी मा।
3
जाथन हम सब छोड़ के, भाई केवल नाव।
काबर तभो बघारथन, सेखी मा जी ताव।।
सेखी मा जी ताव, बतावन हम फोकट के।
इतरावत मुँँह मोड़, इहाँ रहिथन कट कटके।।
चिटिकुन लेवन सोच, काय खोथन अउ पाथन।
जस अपजस भर छोड़, 'कांत' का लेके जाथन।।
सूर्यकान्त गुप्ता, 'कांत'
सिंधिया नगर दुर्ग(छ.ग.)
वाह वाह बहुत सुग्घर भावपूर्ण सृजन भैया, बधाई
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भाई श्लेष चंद्राकर जी
ReplyDelete🌹🌹🌹🙏🙏
वाह भैया जी सुग्घर सृजन बर बधाई ।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद बहिनी...🌹🌹🙏🙏
Deleteबहुत सुग्घर सर जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद निषाद जी
Delete🌹🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹🌹
जोरदार भैयाजी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद भाई ज्ञानु
Delete🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏
मस्त है
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भाई...
ReplyDelete👌👏👍👆🙏🌹
गज़ब सुग्घर बड़े भैयाजी
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर कुंडलियां छंद लिखे हव भाई जी आप ला बहुत बहुत बधाई हो
ReplyDeleteसादर प्रणाम दीदी...🌹🌹🙏🙏सादर धन्यवाद
Deleteदाई शारदा, श्रद्धेय गुरुदेव अरुण निगम जी के कृपा अउ आपमन के आशीर्वाद/दुआ पा के दू चार लाइन लिखे के प्रयास रथे दीदी
सुग्घर छंद गुरुदेव
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भाई इजारदार जी..
Delete🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹
बहुत बढ़िया विषय छंद भैया जी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद बहिनी...
Deleteमया दया धरे रेहे करौ बहिनी
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏