अमृतध्वनि छंद - रामकली कारे
1
जग मा बढ़ के हे सुनौ, रक्त दान के दान।
बूॅद - बूॅद दे रक्त ले, बाॅचय मनखे प्रान।।
बाॅचय मनखे, प्रान रक्त दे, जस ला पावव।
नेक करम के, काम आज गा, कर देखावव।।
कली कहे सुन, मानवता भर, अपनो रग मा।
सबो दान ले, रक्त दान हा, बढ़ के जग मा।।
2
बादर करिया छाय हे, बिजली चमके जोर।
लउकत गरजत बड़ हवै, करथे गा बड़ शोर।।
करथे गा बड़, शोर जोर से, पानी गिरथे।
बरस बरस के, ताल तलैया, ला जी भरथे।।
मन ला भावय, मोर आज जी, हरियर चादर।
खुशहाली ले, आय बरसथे, करिया बादर।।
3
परब हरेली गाँव मा, सब ला अबड़ सुहाय।
लइका लोग सियान मन, खोल गली जुरि जाय।।
खोल गली जुरि, जाय सुघर गा, हे मन भावन।
परब हरेली, आज बरस दे, रिमझिम सावन।।
नाचय कूदय, गेड़ी चढ़के, ठेलक ठेली।
बरा ठेठरी, ले महकय घर, परब हरेली।।
4
माटी के महिमा अबड़, दे सबला आधार।
बीज गर्भ रहिथे धरे, सहय सबौ के भार।।
सहय सबौ के, भार सबो ला, जिनगी देवय।
जीव जगत के, पेट भरय अउ, लइका सेवय।।
हाथी चाॅटी, एक बरोबर, हे परिपाटी।
भाव सबो बर, एक धरय जी, बॅदव माटी।।
5
जुरमिल सुम्मत ले रहौ, गुरतुर बतरस बोल।
दुनिया के बाजार मा, झगरा झन लव मोल।।
झगरा झन लव, मोल देख ले, चारों कोती।
पर पीरा ला, देख भाग झन, ऐती वोती।।
भटकव झन जी, देख जमाना, रखव बड़े दिल।
झूठ कपट ले, टोरव नाता, रहौ सबो मिल।।
छंदकार - रामकली कारे
बालको नगर कोरबा
छत्तीसगढ़
वाह् दीदी गजब सुग्घर 👌👌💐💐🙏🙏
ReplyDeleteबहुत बढ़िया दीदी
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